राजस्थान में चल रहे भारी बारिश के दौर के बीच जयपुर जिले के चाकसू में स्थित रावता बांध शनिवार को टूट गया. 1981 के बाद पहली बार लबालब हुआ यह बांध इतना कमजोर हो चुका था की पानी का दबाव सह नहीं सका और टूट गया. बांध टूटने से आसपास के इलाके में बाढ़ के हालात हो गए. पानी गांव-ढाणियों में घुस गया. हालात यह हो गए कि ग्रामीणों को घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है. दूसरी तरफ हाड़ौती अंचल में चंबल कैंचमेंट एरिया में मूसलाधार बारिश होने के कारण कोटा बैराज के 6 गेट खोल दिए गए हैं.
38 साल बाद भरा था रावता बांध
करीब 38 साल बाद भरा रावता बांध प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो गया. स्थानीय लोगों की मानें तो रावता बांध में दरारें पहले से ही थीं. ग्रामीणों ने प्रशासन को इसकी सूचना भी दे थी, लेकिन वह लापरवाह बना रहा. 24 और 25 जुलाई को हुई भारी बारिश से बांध पूरा भर तो गया, लेकिन उसकी कमजोर दीवारें पानी के दबाव को सहन नहीं कर पाईं और शनिवार को बांध टूट गया. बांध एक बार टूटा तो फिर बिखरता ही चला गया. बांध से निकला पानी गांव-ढाणियों में घुस गया. हालात यह हो गई कि कुछ इलाकों में कमर तक पानी भर गया.
इससे पैदा हुए बाढ़ जैसे हालात को देखते हुए ग्रामीणों ने वहां से पलायन करना शुरू कर दिया. ग्रामीण अपना जरुरी सामान और मवेशियों को लेकर घरों से निकल गए और खुली जगह जाकर डेरा डाला. बांध टूटने के बावजूद ग्रामीणों को शनिवार देर रात तक प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिल पाई.
हाड़ौत अंचल के चंबल कैंचमेंट एरिया में मूसलाधार बारिश होने से कोटा बैराज के 6 गेट खोलकर 65 हजार क्यूसेक पानी चंबल में छोड़ा जा रहा है. इतनी भारी मात्रा में बैराज से पानी छोड़ने से नयापुरा स्थित चंबल की रियासतकालीन पुलिया पर पानी आ गया. इससे दोनों तरफ से यातायात को बंद कर दिया है. चंबल नदी किनारे बसे आबादी क्षेत्रों और गांवों को भी प्रशासन ने अलर्ट कर दिया है.