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वजह है बड़ी रोचक, इस देश की संसद में छत से नहीं जमीन से जुड़े हैं पंखे




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आपके-हमारे सबके घरों में पंखे तो लगे ही होते है, और कैसे लगे होते है, जाहिर है छत से नीचे की तरफ लटकते हुए। लेकिन, इस देश की संसद में पंखे उल्टे लगे है, यानी जमीन से ऊपर की तरफ।

नेशनल डेस्क: आपके-हमारे सबके घरों में पंखे तो लगे ही होते है, और कैसे लगे होते है, जाहिर है छत से नीचे की तरफ लटकते हुए। लेकिन, इस देश की संसद में पंखे उल्टे लगे है, यानी जमीन से ऊपर की तरफ। हैं ना दिलचस्प बात। तो अब आप ये जानना नहीं चाहेंगे कि हम किस देश की संसद का जिक्र कर रहे हैं। ये मजेदार बात किसी और की नहीं बल्कि हमारे अपने ही देश भारत की है। जी हां, हमारी संसद के सेंट्रल हॉल में उल्टे पंखे लगे हैं। अगर आप पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल की कोई तस्वीर या वीडियो देखें तो आप गौर करेंगे कि वहां पंखे उल्टे लगे हैं, यानी ये पंखे खंबे बनाकर उन पर उल्टे लटकाए गए हैं।

अब आप सोचेंगे कि इसके पीछे की वजह क्या है। दरअसल, इसके पीछे की वजह है इसका आर्किटेक्चर है। जब संसद भवन बनी तो इसके गुंबद को ही इसका मेन प्वाइंट माना गया, जिसकी वजह से उसे बहुत ऊंचा रखा गया। ये बात है साल 1921 की और अब उस वक्त तो एयर कंडीशनर होता नहीं था और सीलिंग ऊंची होने के कारण पंखे लगाना काफी मुश्किल था। वहीं बहुत ज्यादा लंबे डंडों के सहारे पंखे लगाने से संसद की खूबसूरती पर असर पड़ रहा था। ऐसे में खंबों पर पंखें लगाने की तरकीब सोची गई। फिर क्या था सेंट्रल हॉल की लंबाई को ध्यान में रखते हुए खंबे बनाए गए और उस पर उल्टे पंखे लगाए जिससे हॉल के कोने-कोने में उसकी हवा पहुंचे।

हालांकि बाद में जब वहां एयर कंडीशनर लगाने की बात हुई तो संसद की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए इन पंखों को उल्टा ही लगे रहने दिया गया। जिससे पार्लियामेंट की खूबसूरती और ऐतिहासिकता बनी रहे।

अब जब आपने पखों के पीछे की कहानी जान ली तो आप ये भी जरूर सोच रहे होंगे कि आखिर निर्माण में इतने ऊंचे गुम्बंद की क्या जरूरत थी। तो इसके पीछे भी एक दिलचस्प बात है। क्या आपको मालूम है कि हमारे पार्लियामेंट का निर्माण के एक मंदिर के तर्ज पर हुआ है। सही पढ़ा आपने एक मंदिर के तर्ज पर, उस मंदिर का नाम है चौसठ योगिनी मंदिर।

अब भारत में 4 चौसठ योगिनी मंदिर है दो उड़ीसा में और दो मध्य प्रदेश में, लेकिन मध्य प्रदेश के मुरैना में बने चौसठ योगिनी मंदिर सबसे प्रमुख और प्राचीन है। ये मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला और खूबसूरत निर्माण के लिए जाना जाता है। शानदार वास्तुकला और बेहद खूबसूरती से बनाए गए यह मंदिर एक वृत्तीय आधार पर निर्मित है, और इसमें 64 कमरें हैं। हर कमरे में एक-एक शिवलिंग बना हुआ है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 200 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। वहीं इसके मध्य में एक खुला हुआ मण्डप है, जिसमें एक विशाल शिवलिंग है। यह मंदिर 1323 ई में बना था।

ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने इसी मंदिर को आधार मनाकर दिल्ली के संसद भवन का निर्माण कराया था। संसद भवन का पूरा आर्किटेक्चर इस मंदिर पर बेस्ड है। जिस तरह ये मंदिर एक वृत्तीय आधार और 101 खंभों पर टिका है। उसी तरह से संसद भवन का भी मुख्य आकर्षण उसका बेहद ऊंचा गुंबद और 144 खंभे हैं।

हमारा संसद भवन देश की ऐतिहासिक धरोहर है। जो दुनिया के शानदार वास्‍तुकला के कुछ उत्‍कृष्‍ट नमूनों में से एक माना जाता है। तो अब जब भी आप दिल्ली आए संसद भवन जरूर देखें। जहां कुछ दिलचस्प बातों के साथ-साथ एक बेहद शानदार और भव्य आर्टिटेक्चर आपको देखने को मिलेगा।