मानवता के इतिहास में 5 हज़ार सालों से भी ज़्यादा समय से झंडों का इस्तेमाल होता रहा है. 3000 ईसा पूर्व तक के प्रमाण और नमूने भी मिलते हैं. 20वीं सदी में झंडों को लेकर कायदे से अध्ययन का सिलसिला शुरू हुआ था, तब डॉ व्हिटनी स्मिथ ने झंडों से जुड़े अध्ययन के लिए ‘वेक्सिलोलॉजी’ शब्द ईजाद किया. झंडे कैसे, क्यों, कब और कहां प्रचलन में आए, ये इतिहास का विषय है, लेकिन झंडों से जुड़ा एक दिलचस्प विषय ये है कि अलग अलग रंगों के झंडों का मतलब क्या होता है. यानी किस भावना या मंतव्य के लिए किस रंग के झंडे का इस्तेमाल किया जाता है.
उदाहरण के तौर पर ताज़ा घटनाक्रम के अनुसार भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के केरन सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास अग्रिम चौकी पर पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) के एक हमले को विफल कर पांच से सात घुसपैठियों को मार गिराया. इसके बाद सेना ने कहा कि चार के शव भारतीय सीमा में हैं इसलिए पाकिस्तान सफेद झंडा दिखाते हुए आए और शव लेकर चला जाए. तो यहां सफेद झंडे का क्या मतलब है? ऐसे ही किसी घटना में काले, नीले या लाल झंडों का इस्तेमाल हो तो उनका क्या प्रतीक होता है?
रणभूमि में झंडों के अर्थ
युद्ध या मैदान ए जंग में झंडों की बड़ी अहमियत और इतिहास रहा है. जीत और हार के अलावा झंडों का इस्तेमाल दुश्मन के खिलाफ संकेत भेजने के लिए भी होता रहा है. आज के समय में हर देश का अपना एक अलग झंडा है, जिसमें इस्तेमाल होने वाले रंगों के साथ ही चिह्नों को भी प्रतीक के तौर पर समझा जाता है. देशों के अलावा, कुछ संस्थाएं या खेल टीमें भी अपने निजी झंडे रखती हैं. और, ये तमाम झंडे प्रतीक के तौर पर किसी खास अर्थ का इज़हार करते हैं.
भारत के राष्ट्रध्वज को तिरंगा कहा जाता है, जिसमें हर रंग को एक खास प्रतीक के तौर पर शामिल किया गया है. फाइल फोटो.
क्या कहते हैं झंडों में रंग?
अलग अलग देशों के झंडों में इस्तेमाल होने पर एक रंग का प्रतीक भी उस देश की परंपरा या सभ्यता के अनुसार बदल सकता है. उदाहरण के लिए हरा रंग किसी देश में हरियाली या प्राकृतिक संपन्नता का प्रतीक हो सकता है, तो किसी और देश में इसका कोई धार्मिक
प्रतीक भी हो सकता है. लेकिन, कुछ रंगों के प्रतीक विश्वव्यापी हैं यानी लगभग पूरी दुनिया में एक जैसे समझे जाते हैं. आइए जानें.
काला झंडा : झंडे में काला रंग या काले रंग का झंडा दृढ़ संकल्प या फैसले, शत्रु की पराजय या किसी खास सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक होता है. मृत्यु या शोक के समय भी काले झंडे को कई जगह प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.
सफेद झंडा : ये झंडा शांति, पवित्रता और सौहार्द्र का प्रतीक रहा है. रणभूमि में एक पक्ष के समर्पण के लिए भी सफेद झंडे का इस्तेमाल होने का इतिहास है.
लाल झंडा : लाल रंग को शक्ति, क्रांति और युद्ध या भीषण रक्तपात का प्रतीक माना जाता है. इसी के साथ इस रंग के झंडे से साहस और वर्चस्व का प्रतीक भी जुड़ा है. दुनिया में लाल झंडे को कम्युनिस्ट विचार का प्रतीक समझा जाता है. वहीं, कुछ पारंपरिक या व्यवस्थागत संदर्भों में लाल झंडा खतरे का संकेत भी है.
नीला झंडा : नीले झंडे के प्रतीक मज़बूत इरादे, आज़ादी, सजगता और सौभाग्य से जुड़े रहे हैं. भारत में काफी समय से राजनीतिक संदर्भों में गहरे नीले रंग का झंडा एक विशिष्ट जाति के आंदोलनों का प्रतीक बना हुआ है.
हरा झंडा : ज़्यादातर हरे झंडे को कृषि संबंधी संपन्नता का प्रतीक माना जाता है. इसे उत्साह, उमंग और आशावादिता के प्रतीक के तौर पर भी समझा जाता है.
पीला झंडा : सूरज की रोशनी से मेल खाते पीले रंग के झंडे को संपत्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. खुशी और उत्साह ज़ाहिर करने के लिए भी इस झंडे का इस्तेमाल हो सकता है.
केसरिया झंडा : नारंगी या केसरिया झंडे के पीछे साहस, शौर्य और बलिदान को प्रतीक माना गया है, लेकिन भारत में काफी समय से यह हिंदुत्व से जुड़ी विचारधाराओं के प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है.
गौरतलब है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा कहा जाता है जिसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग तीन पट्टियां होती हैं, जो साहस-बलिदान, शांति-सौहार्द्र और आस्था एवं कृषि संपन्नता का प्रतीक होती हैं.