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किशोरी का बिना पर्दे के कर दिया चीरफाड़, पाली में खुले में हो रहा पोस्टमाॅर्टम जनिये..




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राजस्थान के पाली जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक खिलवाड़ फिर से सामने आया है. यहां शवों के पोस्टमॉर्टम के लिए मोर्चरी तक की सुविधा नहीं है. नतीजा यह हो रहा है कि डॉक्टर को खुले में पोस्टमॉर्टम करना पड़ रहा है. यहां ऐसा ही एक वाकया शुक्रवार को सामने आया जब पाली जिले के आदिवासी बहुल वेलार गांव में खुले में पोस्टमॉर्टर कर दिया गया. यहां पर मुर्दाघर नहीं होने से पुलिस एक किशोरी का शव नदी के पास खुले में ले गई, जहां पर तीन डॉक्टरों की टीम ने उसके शव का पोस्टमाॅर्टम किया. गौरतलब है कि यह किशोरी तीन दिन से लापता है. किशोरी का शव कुएं में मिला. उसके शरीर पर जख्म के निशान मिले. शर्मनाक बात यह है कि डॉक्टरों ने पोस्टमाॅर्टम के दौरान बिना पर्दा किए ही किशोरी के शव को निर्वस्त्र कर पोस्टमाॅर्टम कर दिया.

इस इलाके में 13 आदिवासी बहुल ग्राम पंचायतें हैं. इसमें बेड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नाणा, भीमाणा, चामुंडेरी, काकराड़ी तथा बीजापुर में उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहे हैं, लेकिन किसी भी अस्पताल में मुर्दाघर की सुविधा नहीं है. ऐसे में दुर्घटनावश होने वाली किसी भी मौत के दौरान शव का पोस्टमाॅर्टम नदी-नालों के किनारे खुले में किया जा रहा है. पिछले महीने भी एक शिक्षक के शव का खुले में ही किया गया था पोस्टमॉर्टम

किशोरी के पिता पीताराम का कहना है कि मुझसे पुलिस ने यह तक नहीं पूछा कि पोस्टमाॅर्टम कहां करना है, कहां नहीं करना है? पीताराम को बच्ची के हत्या की आशंका है. नाणा थाना प्रभारी भंवरलाल माली का कहना है कि उन्होंने गांव में पोस्टमाॅर्टम के लिए परिजनों से रजामंदी ली थी. चामुंडेरी सरपंच जसवंत मेवाड़ा कहते हैं माेर्चरी नहीं हाेना शर्मनाक है. जसवंत मेवड़ा ने बताया कि पिछले महीने भी एक शिक्षक की मौत हो गई तब उसका भी खुले में ही पोस्टमाॅर्टम किया गया था.

वहीं पाली के कलेक्टर दिनेश चंद्र जैन का कहना है कि मेडिकल बाेर्ड वाले मामले में ताे माेर्चरी में ही पाेस्टमाॅर्टम करवाना चाहिए. अगर ऐसा हुआ है ताे यह गलत है. इस बारे में हम पता करवा रहे हैं. कुछ मामलों में परिवार के सदस्य या ग्रामीण रजामंद है ताे उसका पीएम किया जा सकता है.

पाली के सीएमएचओ डॉ. आरपी मिर्धा का कहना है कि पाली जिले में फिलहाल 24 जगहों पर मुर्दाघर हैं. कई अन्य स्थानों पर विभागीय स्तर पर मोर्चरी बनाने के प्रस्ताव भी भेजे गए हैं. खुले में पोस्टमॉर्टम करना गलत बात है.