एक रिपोर्ट के अनुसार Amazon, Microsoft और Intel जैसी कंपनियां किलर रोबोट का विकास करके दुनिया को खतरे में डाल सकती हैं. लीथल ऑटोनॉमस हथियारों को लेकर किए गए एक सर्वे में ये बात सामने आई. डच एनजीओ पैक्स ने 50 कंपनियों की इस मामले में रैंकिंग की. इनसे पूछा गया कि ये कंपनियां ऐसी किसी तरह की तकनीक का विकास कर रही हैं जो कि डेडली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में सहायक हो सकती है, क्या वे इस तरह के मिलिट्री प्रोजेक्ट में सहायता कर रही हैं और क्या वे इस तरह के काम से अपने आपको भविष्य में दूर रखेंगी. इस हफ्ते छपी रिपोर्ट को लिखने वाले फ्रैंक स्लिजपर ने कहा कि ये कंपियां क्यों इन बातों से इनकार नहीं कर रही हैं कि वे ऐसे किसी तकनीक के विकास में शामिल नहीं हैं.
ये हथियार ऐसे होंगे जो कि खुद इस बात का फैसला करेंगे कि किसे मारना है या किस पर हमला करना है. इस प्रोसेस में किसी आदमी का इन्वॉल्वमेंट नहीं होगा. इससे पूरी दुनिया की शांति को खतरा हो सकता है. यूनीवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर स्टुअर्ट रसेल ने कहा कि ऑटोनॉमस वीपन्स काफी खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि ऐसी स्थिति में एक अकेला आदमी ही करोड़ों हथियारों को लॉन्च कर सकता है.
यह हथियार कितना खतरनाक हो सकता है इसका पता इसी बात से लगा सकते हैं कि फेशियल रिकग्निशन टेक्नीक का उपयोग करके किसी खास एथनिक ग्रुप का सफाया किया जा सकता है या कि सोशल मीडिया पेज को स्टडी करके किसी खास राजनीतिक विचारधारा वाले लोगों को भी खत्म किया जा सकता है. मिलिट्री पर्पज़ के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रयोग पर भी बहस छिड़ गई है. कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं. पिछले साल गूगल ने पेंटागन के एक प्रोजेक्ट Maven को रिन्यू करने से मना कर दिया जो कि ड्रोन वीडियोज़ में आदमियों को ऑब्जेक्ट से अलग पहचानने के लिए था. रसेल ने कहा कि अभी के समय में जो भी हथियार हैं उनको ऑटोनॉमस बनाने के लिए लगातार कोशिश हो रही है.
इस तकनीक से नई कैटेगरी के ड्रोन बन सकते हैं जो कि इस वक्त मौजूद नहीं हैं. उदाहरण के लिए ये साल 2017 की फिल्म स्लॉटरबॉट्स में दिखाए गए हथियारबंद मिनी ड्रोन की तरह हो सकते हैं. इस तरह के हथियारों से आप उन्हें एक कार्गो या कंटेनर में लाखों की संख्या में कहीं भी भेज सकते हैं जो कि काफी खतरनाक हो सकता है. अप्रैल में यूरोपियन यूनियन ने गाइडलाइन जारी की थी कि कंपनियों और सरकारों को किस तरह से आर्टिफिशिल इंटेलीजेंस डेवेलप की जानी चाहिए.