जिला अस्पताल धमतरी महिला डॉक्टराें की कमी से बीते लगभग डेढ़ दशक से जूझ रहा है। 200 बिस्तर के इस अस्पताल में 3 जिलों के लोग इलाज कराने आते है, यहां गायनिक के पद सालों से खाली है। वर्तमान में यहां स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा त्रिपाठी, डॉ. आभा हिशीकर ही प्रसूता महिलाओं की जांच के बाद नार्मल प्रसव करा रहीं है। डॉक्टरों की कमी के कारण उन पर भी काम का बोझ बढ़ गया है।
डॉ. माधुरी वानखेड़े भी स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। वे पैथोलॉली विभाग संभाल रही हंै। लगातार महिला मरीजों की संख्या बढ़ रही, इसलिए अब नेत्र विभाग के विशेषज्ञ डा. मोनिका खंडेलवाल की ड्यूटी लगाई गई। उन्हें इस क्षेत्र का ज्ञान ही नहीं। वे नेत्ररोग विशेषज्ञ हैं। प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं का इलाज करने में असहज महसूस कर रहीं हैं। जिला अस्पताल प्रबंधन ने डॉ. मोनिका की ड्यूटी प्रसव वार्ड में लगा दी है। इसके बाद से वे लगातार परेशान हैं। अस्पताल प्रबंधन की भी मजबूरी है। प्रसव वार्ड में महिला डॉक्टर ही इलाज कर सकती हैं।
उधर सीएमएचओ डॉ. डीके तुर्रे ने कहा कि अस्पताल के सारे डॉक्टर एमबीबीएस है। सारे डॉक्टर अपने-अपने क्षेत्र की डिग्री जरूर लिए है। सभी डॉक्टर किसी भी मरीज का इलाज करने में सक्षम है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मीना ने ऑनकॉल ड्यूटी करने का सिफारिश की है। अस्पताल में स्त्री डॉक्टरों की कमी है। स्वास्थ्य संचालनय को पत्र लिखकर महिला डॉक्टरों की समस्या बताई है।