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IIT मुंबई से की है M.Tech की पढ़ाई, अब करेगा रेल पटरियों की मरम्‍मत…




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शुरुआत से ही वे सरकारी नौकरी करना चाहते थे. कुमार को भरोसा है कि वे भविष्य में सरकारी अधिकारी बनेंगे.

देश की सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में शुमार आईआईटी मुंबई ( IIT Bomaby) से एमटेक करने के बाद रेलवे की ग्रुप डी नौकरी ट्रैक मेनटेनर (ट्रैकमैन) के पद पर ज्‍वॉइन करने वाले पटना के श्रवण कुमार इन द‍िनों खूब चर्चा में हैं.श्रवण की पोस्‍टिंग 30 जुलाई को धनबाद रेल मंडल में की गई हैं. दरअसल, आईआईटी जैसे प्रतिष्‍ठ‍ित शैक्षण‍िक संस्‍थान में पढ़ाई करने वाले छात्रों से बेहतर नौकरी की उम्‍मीद की जाती है. ऐसे में एम.टेक करने के बाद श्रवण कुमार का रेलवे के ग्रुप डी पद पर ज्‍वॉइन करना सभी को हैरान कर रहा है. 

श्रवण कुमार ने बतौर ट्रैक मेनटेनर (इसे ट्रैकमैन भी कहा जाता है) रेलवे में ज्‍वॉइन क‍िया है. इस पद पर न‍ियुक्‍त कर्मचारियों की प्रमुख जिम्‍मेदारी होती है रेलवे ट्रैक की देखभाल करना. 

जानिए क्या करता है ट्रैकमैन
श्रवण कुमार ने धनबाद रेलवे डिविजन में ट्रैक मेनटेनर (ट्रैकमैन) की पोस्ट पर जॉइन किया. उनकी पोस्टिंग पब्लिक वर्क्स इंस्पेक्टर (PWI) के अंडर चंदरपुरा में हुई. वे चंदरपुरा और Telo सेक्शन के बीच पटरियों के मेंटेनेंस का काम देखेंगे. ट्रैकमैन को एक सीमित दायरे की पटरियों की देखभाल की जिम्मेदारी दे दी जाती है. जिसे जिस दायरे की जिम्मेदारी दी गई, उसका काम से देखना होता है कि उतने हिस्से की पटरियां पूरा तरह दुरुस्त हो. उनमें कोई कमी न आए. उन्हें पटरी के किसी भी जॉइंट पर किसी नट-बोल्ड में कोई कमी लगती है तो वे तुरंत उसकी मरम्मत करते हैं. 
देश की सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान से इतनी बड़ी डिग्री लेकर ग्रुप डी की नौकरी जॉइन करने पर धनबाद रेलवे डिविजन के अफसर भी चौंक गए थे. बिहार की राजधानी पटना के निवासी श्रवण ने 2010 में आईआईटी जेईई में सफलता पाई. उनकी कटेगरी रैंक (सीएमएल) 1,570 थी. उन्होंने आईआईटी मुंबई में इंटीग्रेटेड डुएल डिग्री कोर्स में दाखिला लिया था. साल 2015 में उन्होंने एक साथ बीटेक और एमटेक की डिग्री हासिल की. उनकी ब्रांच मेट्रोलॉजी एंड मैटेरियल साइंस थी.

शुरुआत से ही वे सरकारी नौकरी करना चाहते थे. कुमार को भरोसा है कि वे भविष्य में सरकारी अधिकारी बनेंगे. उनके बहुत से सहपाठी और IITian दोस्त प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं, लेकिन वे श्रवण को भी प्राइवेट नौकरी करने के लिए मनाने में नाकाम रहे. 
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