देश आजादी के बाद करीब 6 दशकों तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी (Congress party) की हालात ऐसी हो जाएगी शायद इसका अंदाजा किसी ने नहीं लगाया होगा. 2014 के लोकसभा (Lok Sabha) से शुरु हुआ कांग्रेस का पतन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद और तेज हो गया. हालंकि, 2018 के अंत में हुए तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में ऐसा लगा कि कांग्रेस एक बार वापसी करेगी लेकिन 2019 के चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व भी संकट में चला गया. हालांकि, सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेकर इस संकट को कुछ हद तक कम करने की कोशिश की है. फिलहाल, तीन राज्यों में होने वाले चुनावों को लेकर कांग्रेस की तैयारी को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस का पूरा जोर सत्ता में वापसी करने की बजाय बीजेपी को रोकने में पर है. इसके लिए कांग्रेस अपना सब कुछ दाव पर लगाने को तैयार है.
बीजेपी को रोकने के लिए हर राज्य में गठबंधन
इस साल के अंत में जिन तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उनमें हरियाणा और महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हुई थी. वहीं, पश्चिम बंगाल में पिछले चार दशक से कांग्रेस सत्ता में आने का इंतजार कर रही थी लेकिन इस बार कांग्रेस नेतृत्व ने जिस तरह बीजेपी रोकने के लिए ममता बनर्जी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया उससे साफ है चार दशक बाद अब कांग्रेस के नेता सत्ता में वापसी के अपने सारे रास्ते बंद देख रहे हैं.
उनका उद्देश्य सिर्फ बीजेपी को पश्चिम बंगाल में सत्ता से आने से रोकना है. कुछ यही हाल महाराष्ट्र का भी है. एनसीपी और कांग्रेस में जिस तरह के समझौते के खबरें आ रही हैं उसमें एक बात साफ है एनसीपी फ्रंटफूट पर है जबकि कांग्रेस बैकफुट पर है. बात करें हरियाणा तो बीजेपी रोकने की राजनीति के नाम पर कांग्रेस दो फाड़ हो चुकी है जिन नेताओं के सहारे कांग्रेस बीजेपी सरकार को उखाड़ फेकने की कोशिश में लगी है वो नेता पार्टी के साथ कितने दिन रहेंगे इसका भी भरोसा नहीं है. जम्मू कश्मीर में भी धारा 35ए और 370 हटाने का कांग्रेस के कुछ नेताओं ने जिस तरह विरोध किया उसमें भी कांग्रेस की नीतियों से ज्यादा असर बीजेपी के विरोध का रहा है. यही वो कारण था जिसके चलते इस बड़े मुद्दे पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में भी फूट नजर आई. साथ ही जिस तरह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के दिग्गज नेताओं के 370 हटाने के सरकार के फैसला का समर्थन करने के बाद विपक्ष के नेताओं के साथ कश्मीर की यात्रा की उससे साफ है कि कांग्रेस बीजेपी का विरोध करने के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार है.