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इस शख्स से ‘घबराता’ है चिदंबरम परिवार, जिसकी मदद से जांच एजेंसियों ने कसा शिकंजा

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पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम को कानून के शिकंजे तक पहुंचाने में एक शख्स का बड़ा योगदान है। ये दोनों भले ही उस शख्स से नाराज हों और उसे गलत ठहराते रहे, लेकिन सीबीआई और ईडी अप्रत्यक्ष तौर पर उसका शुक्रिया करती रही हैं। उस शख्स ने चिदंबरम परिवार के किस देश में कहां प्रॉपर्टी है, बैंक खातें हैं या प्रॉपर्टी खरीद का जरिया क्या है, ये सभी जानकारियां सबूतों के साथ जांच एजेंसियों को सौंपी थी।

स्वामी ने दी जानकारी

ये शख्स कोई और नहीं बल्कि भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी हैं। ईडी और आयकर विभाग 2015 में चिदंबरम के खिलाफ धीरे-धीरे कुछ खोजने में लगा था, लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिल पा रही थी। तभी अचानक सुब्रमण्यम स्वामी पूर्व वित्त मंत्री के खिलाफ खुलकर सामने आ गए। उन्होंने जांच एजेंसियों को अलर्ट भेजना शुरु कर दिया। मार्च 2017 में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को सात पन्नों का एक पत्र भेजकर चिदंबरम का मामला उछाल दिया। करीब 23 विदेशी बैंकों में चिदंबरम परिवार के खाते, कैंब्रिज में प्रॉपर्टी और रुपयों का लेन-देन, यह सब कैसे हुआ, ये जानकारी भी जांच एजेंसियों को दे दी गई। इस परिवार की मुखौटा कंपनियां कहां-कहां पर हैं, ये सूचना भी ईडी के पास पहुंच चुकी थी।

24 देशी-विदेशी कंपनियों के दस्तावेज सौंपे

आयकर विभाग ने स्वामी के मुहैया कराए गए दस्तावेजों की जांच की, तो सब सही निकलता चला गया। चिदंबरम परिवार के ठिकानों पर छापेमारी कर आयकर विभाग ने दो सौ से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट तैयार कर दी। एक हार्ड डिस्क भी जब्त की गई, जिसमें काई अहम जानकारियां थीं। इसके बाद स्वामी ने ही करीब 24 देशी-विदेशी कंपनियों के दस्तावेज जांच एजेंसी को दे दिए। इनमें भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की कई फाइलें भी थीं। साथ ही, 18 ऐसी कंपनियों के दस्तावेज भी जांच एजेंसियों के हाथ में दे दिए, जिनसे यह पता चला कि चिदंबरम परिवार ने कई कंपनियों में कथित तौर पर गैर-कानूनी तरीके से रुपयों का लेन-देन किया था। इनमें विदेशी कंपनियों की खरीद-फरोख्त के दस्तावेज भी शामिल थे।

कैंब्रिज में प्रॉपर्टी खरीदी

ईडी अधिकारी का कहना है कि स्वामी ने जो भी दस्तावेज सार्वजनिक किए, जांच के दौरान वे सभी सही पाए गए। स्वामी ने विदेश में चिदंबरम परिवार की जिन संपत्तियों का जिक्र किया था, हार्ड डिस्क की जांच में भी वही बातें सामने आईं। आयकर विभाग को स्वामी के जरिये यह पहले ही पता चल गया था कि कीर्ति की कंपनियों में पी चिदंबरम, उनकी पत्नी नलिनी चिदंबरम और कीर्ति की पत्नी श्रीनिधि का भी शेयर है। 2008 में कैंब्रिज में ‘सीबी 237 एक्यू’ प्रॉपर्टी खरीदी गई थी। यह प्रॉपर्टी एडमंड सुले हॉल्ट और हैदर हॉल्ट नाम से खरीदी गई।

विजय माल्या से था कनेक्शन

यह प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लंदन स्थित मेट्रो बैंक में कीर्ति चिदंबरम के खाता संख्या 16714313 से पेमेंट की गई थी। चिदंबरम ने इस प्रॉपर्टी में केवल नलिनी का हिस्सा बताया था, जबकि कीर्ति ने उस प्रॉपर्टी को दूसरे तरीके से बांटा था। बतौर स्वामी, चिदंबरम ने इस प्रॉपर्टी को सार्वजनिक नहीं किया था। इसके बाद स्वामी ने ये बात भी खोल दी कि विजय माल्या की ब्रिटिश कम्पनी डिएगो स्कॉटलैंड लिमिटेड से कीर्ति की कंपनी को पंद्रह हजार यूएस डॉलर दे दिए गए। इस बाबत स्वामी का आरोप था कि यह राशि कथित तौर पर माल्या की पीएम और वित्तमंत्री से मुलाकात कराने के लिए दी गई थी।

पी चिदंबरम ने की कार्ति की मदद

साल 2015 में जब सुब्रमण्यम स्वामी ने कार्ति चिदंबरम की कई कंपनियों के बीच हुए वित्तीय लेनदेन का खुलासा किया, तो एंडवांटेज कंसलटिंग प्राइवेट लि., आईएनएक्स मीडिया और एयरसेल-मैक्सिस डील में कई नए दस्तावेज सामने आ गए। स्वामी ने सार्वजनिक तौर से पी. चिदंबरम पर यह आरोप लगा दिया कि उन्होंने बतौर वित्तमंत्री रहते हुए अपने बेटे कार्ति चिदंबरम को एयरसेल-मैक्सिस डील के जरिए फायदा लेने में मदद की। इसके लिए न केवल दस्तावेजों की प्रक्रिया रोकी गई, बल्कि कुछ समय के लिए अधिग्रहण प्रक्रिया को भी नियंत्रित कर दिया गया और यह सब इसलिए किया गया ताकि कीर्ति चिदंबरम को अपनी कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने का वक्त मिल जाए।

पीएम को लिखा था पत्र

साल 2017 में स्वामी ने पीएम से मांग की थी कि जल्द से जल्द चिदंबरम परिवार के खिलाफ सीबीआई और ईडी की जांच शुरु कराई जाए। उनकी प्रॉपर्टी जब्त हो।स्वामी ने अपने पत्र में यह भी लिख दिया कि वित्त मंंत्रालय आयकर विभाग की चेन्नई यूनिट को इस मामले की जांच के लिए इजाजत नहीं दे रहा है। छह माह से उनके पास दस्तावेज मौजूद हैं, लेकिन अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। एफआईपीबी की मंजूरी पर भी स्वामी ने कई खुलासे किए। इसके दो माह बाद ही सीबीआई ने मई 2017 को आईएनएक्स मीडिया मामले में एफआईआर दर्ज कर दी। इसके साथ ईडी ने भी मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज कर चिदंबरम परिवार पर अपना शिकंजा कस दिया।