भारत में 70 से 90 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी पाई गई है। ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। क्योंकि भारत जैसे देश में लोगों को बारहों महीने धूप नसीब होती है। ऐसे में लोगों में विटामिन डी की कमी निराशाजनक है। विटामिन डी की कमी से ग्रसित लोगों की स्थिति काफी हद तक टाइप 2 मधुमेह व उच्च रक्तचाप से जुड़ी हुई है।
मुंबई स्थित शुश्रुशा हॉस्पिटल में डायबिटोलॉजिस्ट पी.जी तलवलकर ने इस अध्ययन की खोज करते हुए बताया है कि विटामिन डी की कमी वाले लोगों में खतरनाक बीमारियों के होने का खतरा रहता है। जानकारी है कि भारत में 84 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी की कमी देखी गई है। इसके बाद उनके नवजात शिशुओं में भी यही कमी पाई गई है।
एडल्ट लोगों में विटामिन डी की कमी और लो बोन मास और मासपेशियों की कमजोरी से जुड़ी होती है। जिस कारण हड्डियों के विकार की समस्या देखने को मिलती है। दरअसल 1508 लोगों पर किए गए रिसर्च के अनुसार मुंबई में 88% व्यस्क लोगों में विटामिन डी की कमी देखी गई है। रिसचर्स ने यह भी बताया कि टाइप 2 डायबिटीज रोगियों में 84.2 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी थी। जबकि विटामिन डी की कमी वाले हाई ब्लडप्रेशर के 82.6 प्रतिशत मरीज थे। गौरतलब है कि भारत में विटामिन डी की कमी के कई कारण हैं। इसमें से एक है कि अधिकतर लोगों को सूरत की रौशनी से पर्याप्त संपर्क नहीं होता।