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मॉरिशस के पीएम ने इसरो और सरकार को दी शुभकामना, कहा- दुनिया ने माना लोहा…




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चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के भारत के सपने को झटका जरूर लगा है लेकिन पूरा देश इसरो के वैज्ञानिकों के जज्बे को सलाम कर रहा है। बेशक हमारा लैंडर व्रिक्रम चांद से सतह पर उतरने से पहले संपर्क टूट गया मगर मिशन को पूरी तरह से खत्म नहीं कहा जा सकता क्योंकि ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चांद के चक्कर लगा रहा है। इस मिशन पर भारत के साथ ही दुनिया की नजरें गड़ी हुई थी। सभी इसरो के वैज्ञानिकों की प्रशंसा कर रहे हैं। इसी बीच मॉरिशियस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने इसरो की टीम और भारत सरकार को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं भारत सरकार और इसरो की टीम को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को उतारने की उनकी कोशिश के लिए बधाई देना चाहता हूं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि इस बार सफल लैंडिंग नहीं हो पाई लेकिन दुनिया भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की ताकत को पहचान गई है। हम भविष्य में मॉरीशस और इसरो टीम के बीच सहयोगी प्रयासों के लिए तत्पर हैं।’


प्रधानमंत्री ने बढ़ाया इसरो का हौसला

वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विज्ञान में असफलता नहीं होती बल्कि प्रयास और प्रयोग होते हैं। उन्होंने कहा, ‘इस पूरे मिशन के दौरान देश कई बार आनंदित हुआ है। अभी भी ऑर्बिटर पूरी शान से चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है। अमृत की संतान के लिए कोई निराशा असफलता नहीं है। मैं आप सभी को आनेवाले हर मिशन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आज भले ही कुछ रुकावटें आई हों, रुकावटें हाथ लगी हो लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ेगा। इससे हमारा हौसला और मजबूत हुआ है।’

नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री ने की चंद्रयान-2 की तारीफ

इसी बीच नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री जेरी लिनेंगर ने शनिवार को कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की साहसिक कोशिश से मिला अनुभव भविष्य में होने वाले मिशन में सहायक होगा। वर्ष 1986 से 2001 तक पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित रूसी अंतरिक्ष केंद्र मीर में लिनेंगर पांच महीने तक रहे थे। लिनेंगर ने कहा कि हमें इससे हताश नहीं होना चाहिए। भारत कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है जो बहुत ही कठिन है।