करीब 26 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर पहली बार महाप्रलय आया था, इसके बाद से छह बार ऐसा हो चुका है. शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि एक बार फिर ऐसी संभावना बन रही है. शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिस तरह से धरती का ताप तेजी से बढ़ रहा है उसे देखते हुए जल्द ही सातवीं बार महाप्रलय आ सकता है.
शोध में दावा किया गया है कि तेजी से बढ़ रहे धरती के तापमान से कई जीवों की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं. ऐसी ही परिस्थिति बनने पर पहले भी महाप्रलय की घटनाएं हो चुकी हैं, तब लोग भुट्टे की तरह जलकर खाक हो गए थे. इस तरह एक बार फिर से धरती के खात्मे का अनुमान है और इंसानों के साथ जानवर भी जलकर खाक हो जाएंगे.
हिस्टोरिकल बायोलॉजी में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है. इसमें कहा गया है कि 27.2 करोड़ से लेकर 26 करोड़ वर्ष के बाद महाप्रलय आते हैं. जल्द ही यह अवधि पूरा होने वाली है. इस दौरान सबसे ज्यादा धरती और महासागर प्रभावित होंगे. तब पृथ्वी के सारे पेड़-पौधों में आग लग जाएगी और सागर का पानी खौलने लगेगा.
बता दें कि इससे पहले साल 2000 और 2008 में धरती पर महाविनाश की बातें कही गई थीं, लेकिन तब यह बातें झूठी साबित हुई थी. साल 2000 आने से पहले मीडिया में कई ऐसे रिपोर्ट्स प्रकाशित हुए थे, जिसमें धरती के खत्म होने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे. लेकिन तब ऐसा नहीं हुआ था.
अब फिर से एक बार दुनिया के खत्म होने की आशंका जताई जा रही है. इस बार दावा किसी धार्मिक नेता या जादूगर नहीं बल्कि शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के आधार पर किया है. इससे विनाश की आशंका काफी बढ़ जाती है. अमेरिका में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिशेल रेम्पिनो ने अपने शोध रिपोर्ट में यह दावा पेश किया है.
इससे पहले तीन साल के एक गहन शोध और हफ़्ते भर तक दक्षिण कोरिया के इंचियोन शहर में तमाम सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ बहस के बाद आला वैज्ञानिकों ने ऐसी ही आशंका जाहिर की थी. वैज्ञानिकों ने कहा था कि जिस तरह से धरती तप रही है. ग्लोबल वॉर्मिंग से वैश्विक तापमान लगातार बढ़ रहा है. अगर पृथ्वी के बुखार को नहीं रोका गया तो ज़िंदगी पर बड़ा ख़तरा पैदा हो जाएगा.