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महिला हमेशा महसूस करती थी थका-थका, सोचा दवाओं का असर होगा, लेकिन जब डॉक्टर को दिखाया तो




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आज के जमाने में लोग आमतौर पर छोटी मोटी बीमारियों पर ध्यान नहीं देते हुए अपने हिसाब से मेडिसिंस ले लेते हैं. ऐसा ही कुछ इंग्लैंड में रहने वाली एक महिला ने किया जो हमेशा थकान महसूस करती थी. इस महिला ने सोचा कि यह सब कुछ जो पीठ दर्द की दवाई खा रही है, उसी के कारण होता है. धीरे-धीरे यह बीमारी इस कदर बढ़ गई कि टॉयलेट में ब्लड आने लगा. आखिरकार जब इसने डॉक्टर से सलाह मांगी तो इसे एक ऐसी बीमारी थी, जिसके बारे में इस महिला ने आज तक सुना भी नहीं था.

कैंसर के चलते कॉन्स्टिपेशन

लैंकशायर में रहने वाली लेसली पिछले 2 सालों से कॉन्स्टिपेशन की समस्या झेल रही थी. शुरुआती दिनों में इस महिला ने सोचा कि यह सारा सिस्टम उसके ज्यादा मेडिसिन लेने के कारण होता है. दरअसल इस महिला को पीठ का दर्द था, जिस कारण ये काफी दवाइयां खाती थी. धीरे-धीरे इसकी समस्या इस कदर बढ़ गई थी कि इसे बॉटम के रास्ते खून आने लगा. हालाँकि ये खून फ्रेश लग रहा था पर फिर भी लेस्ली ने एक बार डॉक्टर से सलाह मांगी. डॉक्टर ने भी इसे सामान्य कॉन्स्टिपेशन समझ कर दवाइयां दे दी. इन दवाइयों का कोई असर नहीं हुआ और ब्लड ज्यादा आने लगा. हालात इस कदर बन गए थे कि लेस्ली के लिए अब उठना- बैठना उठना भी मुश्किल हो गया था. इस महिला को अब असहनीय दर्द होता था, जिस कारण ये रोजमर्रा के काम भी नहीं कर पाती थी.

जाँच में पता चली हकीकत

महिला की बढ़ती समस्याओं के चलते पिछले जून में एक बार फिर से लेस्ली के कई टेस्ट किए गए. आखिरकार जब जांच आई तो लेस्ली के पैरों तले से जमीन खिसक गई. डॉक्टर ने लेस्ली की रिपोर्ट देखकर बताया कि वो कैंसर से पीड़ित है. अब डॉक्टर के सामने समस्या थी कि लेस्लि को बॉवल, रेक्टल या एनल कैंसर में से कौन सा कैंसर है. लेस्ली का कहना है कि 6 हफ्ते तो कोनसा कैंसर है ये तय करने में लग गये. आखिरकार यह तय हो पाया कि लेस्ली को एनल कैंसर है. इस कैंसर के बारे में लेस्ली ने आज तक नहीं सुना था. एनल कैंसर के इलाज के लिए डॉक्टरों ने लेस्ली को कीमोथेरेपी और रेडियोथैरेपी देनी शुरू की. इस इलाज से लेस्ली की त्वचा जगह-जगह से इस कदर क्रेक हो गई थी की उसके लिए अंडरवियर तक पहनना मुश्किल था.

लोगों को कर रही है अलर्ट

खतरनाक एनल कैंसर से झूझ चुकी लेस्ली अब लोगों के इसके प्रति जागरूक कर रही है. लेस्ली का कहना है कि अगर हम इसके लक्षणों के बारे में लोगों को बताते हैं तो काफी जिंदगियां बचा सकते हैं. पिछले साल अक्टूबर में लेस्ली का इलाज पूरा हुआ, जिसके बाद वो काफी हद तक ठीक है. अब लेस्ली जॉब करने के साथ-साथ ईस्ट लैंकशायर हॉस्पाइस के साथ रोजमेरे कैंसर फाउंडेशन के लिए फंड भी जुटा रही हैं.