महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पवार परिवार को बड़ा झटका दिया है. ईडी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार, उनके भतीजे अजित पवार और 75 अन्य के खिलाफ महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (एमएसीब) घोटाले में मामला दर्ज किया. जांच एजेंसी ने यह जानकारी दी.
बॉम्बे HC के फैसले के बाद ED ने उठाया कदम
ED ने एनसीपी के बड़े नेताओं के खिलाफ यह कदम बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पिछले महीने दिए गए फैसले के बाद उठाया है, जिसमें मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को कथित घोटाले में शरद पवार, अजित पवार और 75 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा गया था.
ईडी ने मुंबई पुलिस के एफआईआर के आधार पर मामला दर्ज किया है, जिसने पिछले महीने घोटाले के संदर्भ में मामला दर्ज किया था.
याचिकाकर्ता सुरेंद्र अरोड़ा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एनसीपी नेताओं के नियंत्रण वाले महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक की जांच के लिए मामला दायर किया था, जिस पर अदालत ने यह फैसला सुनाया था.
‘जेल जाने में कोई दिक्कत नहीं’
मामले पर शरद पवार ने कहा, “मामला दर्ज हो चुका है. अगर मैं जेल जाता हूं तो मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है. मैं इससे खुश होऊंगा क्योंकि मैंने कभी जेल का अनुभव नहीं लिया है. अगर कोई मुझे जेल भेजने का प्लान बना रहा है तो मैं इसका स्वागत करता हूं.”
आरोप है कि नेताओं और कोऑपरेटिव बैंकों के पदाधिकारियों के बीच मिलीभगत थी. इस मिलीभगत से चीनी कारखानों और सूत मिलो के संचालकों और पदाधिकारियों को नियमों को ताक पर रखकर 25 हजार करोड़ रुपए कर्ज बांटे गए.
‘घाटे के बावजूद बैंकों ने दिए कर्ज?’
रिपोर्ट के मुताबिक, जांच में सामने आया कि कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए चीनी मिलों की आर्थिक स्थित ठीक न होने और घाटे के बावजूद बैंकों ने कर्ज दिए. कई मामलों में बिना कुछ गिरवी रखे कर्ज दिया गया और कई बार गिरवी रखी गई संपत्ति के मुकाबले काफी ज्यादा कर्ज दिया गया.
गलत प्रबंधन, बढ़ते खर्च और क्षमता का पूरा इस्तेमाल न होने के चलते शक्कर कारखाने आर्थिक तंगी का शिकार हो गईं और उन्हें बेहद कम कीमत पर बेच दिया गया. साथ ही निर्धारित (रिजर्व) कीमत से कम में बेचकर खरीदारों को भी फायदा पहुंचाया गया.