इस दुनिया में अगर सबसे पावरफुल देशों की बात की जाए। तो इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आता है अमेरिका का। और अमेरिका के पास काफी सोना है। दरअसल आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका के ऑफिशियल गोल्ड रिजर्व का एक बहुत बड़ा हिस्सा कैंटटूकी के फोर्ट नॉक्स स्थित बुलियन डिपॉजिटरी में रखा है। वही रखे हुए इस गोल्ड की मात्रा 4600 टन है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि फोर्च नॉक्स एक आर्मी पोस्ट है और करीब 109,000 एकड़ में इसका विस्तार है। दरअसल इसके अंदर रखा हुए गोल्ड वाल्ट मोटी ग्रेनाइट की दीवारों से घिरा हुआ है। वही इसकी छत की बात की जाए तो इसकी छत बम प्रूफ है। अगर बात करें दुनिया की सबसे सुरक्षित बिल्डिंग की तो इसका नाम सबसे ऊपर आता है।
● वहीं अगर फेडरल रिजर्व की माने। इस बिल्डिंग में करीब 147.3 मिलियन आउंस यानी कि 4600 मीट्रिक टन सोना रखा हुआ है। इसे एक तरह से यूनाइटेड स्टेट डिपॉजिटरी भी कहा जाता है।
● आपको बता दें कि इस बिल्डिंग के अंदर जहां पर गोल्ड को रखा गया है। उस जगह की दीवारें ग्रेनाइट की मोटी दीवारों से बनी हुई है। तो साथ ही फोर्ट नॉक्स बिल्डिंग मल्टीपल अलार्म वाली, फेसिंग से भी घिरी हुई है। और इस बिल्डिंग की निगरानी अपाचे हेलीकॉप्टर से होती है।
● इस बिल्डिंग में लगे हुए दरवाजों का वजन 22 टन है। वही दरवाजे के लॉक की बात की जाए। तो दरवाजे का लॉक स्टाफ के 10 अलग-अलग लोगों के कॉम्बिनेशन के कोड से लॉक किया गया है। हर मेंबर को बस अपना ही कोड पता होता है। उसे बाकी 9 मेंबर का कोड बिल्कुल भी नहीं पता होता।
● अगर कोई इस बिल्डिंग के पास में जाने के बारे में सोचता भी है। तो उसे सुरक्षा के लिए मौजूद अपाचे हेलीकॉप्टर, टैंक्स, फेंसिंग, गार्ड, कंक्रीट लाइन वाली ग्रेनाइट की दीवारें और चारों तरफ दीवारों के लगे हुए अलार्म किसी को भी इस काम में सफल नहीं होने देते है।
और साथ ही आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आप इस बिल्डिंग की सिक्योरिटी सिस्टम के बारे में इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं। कि जब सेकंड वर्ल्ड वार हुआ था। तो तब आखिर क्यों फोर्ट नॉक्स को प्राइमरी स्टोरेज ऑप्शन के रूप में ही चुना गया था। दरअसल यहां पर यूरोपीय नेशन के गोल्ड रिज़र्व, मैग्ना कार्टा, UK का क्राउन ज्वेल्स और अमेरिकी संविधान को रखा गया था।
दरअसल इस बिल्डिंग के कंट्रक्शन का काम साल 1936 में अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने किया था। अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट को यह जमीन अमेरिकी मिलिट्री आर्मी ने दी थी। और उस दौरान जब इस बिल्डिंग का निर्माण किया गया था। तो उस समय करीब 3 करोड रुपए का खर्चा आया था। वहीं अमेरिका ने साल 1988 में इस जगह को नेशनल रजिस्टर ऑफ हिस्टोरिक प्लेसेज़ के रूप में शामिल कर लिया।