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छत्तीसगढ़ – 15 लाख लोगों के नए राशनकार्ड बने, ढाई लाख अपात्रों के नाम भी काटे गए…




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छत्तीसगढ़ में रहने वाले 15 लाख नए लोगों के राशनकार्ड बनाए गए हैं जबकि ढाई लाख ऐसे लोगों के नाम भी काटे गए हैं जिन्हें अपात्र पाया गया है। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि छत्तीसगढ़ में कुल राशनकार्ड धारकों की संख्या बढ़कर 62 लाख हो जाएगी जिनमें बीपीएल कार्ड धारक 58 लाख जबकि एपीएल राशनकार्ड धारकों की संख्या 8 लाख होगी। 

न्यू सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए खाद्यमंत्री अमरजीत भगत आैर खाद्य विभाग के सचिव कमलप्रीत सिंह ने बताया कि यूनिवर्सल पीडीएस स्कीम के तहत छत्तीसगढ़ के लगभग सभी लाेगों को भोजन का अधिकार देने की शुरुआत की गई है। इसके लिए 58 लाख 54 हजार लोगों के राशनकार्ड का नवीनीकरण किया गया है जबकि एपीएल राशनकार्ड के लिए 8 लाख आवेदन आए हैं इनमें से पांच लाख राशनकार्ड बनाए जा चुके हैं। भगत ने बताया कि नए प्रावधान के तहत अब प्रदेश में लगभग 15 हजार टन अतिरिक्त खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। भगत ने कहा कि कस्टम मिलिंग की प्रक्रिया भारत सरकार की गाइडलाइन के निर्देशों के तहत की जा रही है। इसी तरह बस्तर संभाग के लोगों को प्रतिमाह 17 रुपए प्रति किलो की दर से दो किलो गुड़ प्रदान किया जाएगा। भगत ने कहा कि पीडीएस के तहत राशन सामग्री का वितरण प्वाइंट ऑफ सेल डिवाइस के माध्यम से राशन सामग्री का वितरण किया जाएगा। 
 

मृत हो चुके 41,452 लोगों के नाम भी कटे 
खाद्य सचिव ने बताया कि राशनकार्ड नवीनीकरण के तहत लगभग दो करोड़ 10 लाख लोगों की जानकारी विभाग ने एकत्रित की है। इस तरह लगभग 99 प्रतिशत लोगोंं के आधार कार्ड भी विभाग के पास आ चुके हैं इसलिए इस बार राशनकार्ड बनाने में गड़बड़ी की बिल्कुल भी गुंजाइश नहीं है। उन्होंने बताया कि नाम नहीं जुड़ पाने के कारण खाद्यान्न से वंचित हो चुके 15 लाख लोगों का नया राशनकार्ड बनाया गया है जबकि 12 लाख लोगों के नाम जो त्रुटिपूर्ण थे उन्हें भी हटाया गया है। इसी तरह मृत हो चुके 41,452 लोगों के नाम राशन कार्ड से काटे गए।
 

छात्रावासों के लिए जारी किया गया चावल 
केन्द्र द्वारा एक अप्रैल से अनुदान प्राप्त निजी छात्रावास, आश्रमों एवं कल्याणकारी संस्थाआें को चावल देना बंद कर दिया गया था। इन संस्थाआें को भी राज्य सरकार ने एक अक्टूबर से चावल देना शुरू कर दिया है। इसके तहत 471 संस्थाआें को 515 टन का आवंटित किया चुका है। केन्द्र सरकार से भी योजना फिर से शुरू करने की मांग की जा रही है।