हाथी रिजर्व को हरी झंडी देते हुए राज्य सरकार अब भी सोच-विचार ही कर रही। इधर होनहार छात्रा सोनिया ने कोरबा के वनवासियों के लिए जिंदगी और मौत का सवाल बन चुकी समस्या पर फोकस कर अभयारण्य का मॉडल भी पेश कर दिया। निर्धन परिवार की इस बेटी के सिर से पिता का साया छिन चुका है। मां सिलाई-कढ़ाई कर दो बेटियों का पालन कर रही। मां ने सोनिया को 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ सिलाई में मदद करने कहा था, पर शिक्षकों के समझाने पर इस साल वह कॉलेज में पढ़ रही। इतना ही नहीं, पिछले साल 12वीं में बनाया हाथी अभयारण्य का उसका मॉडल अब राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व कर रहा है।
कोरबा-रायगढ़-सरगुजा कॉरिडोर समेत प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में हाथियों की धमक लोगों की जिंदगी में दहशत की वजह बनी हुई है। गंभीर हो चली इस बड़ी समस्या से जनता को राहत देने सरकार भले ही सोच-विचार में मग्न हो, पर शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा सोनिया बरेठ ने इस दिशा में एक उम्दा पहल करते हुए हाथी अभयारण्य का मॉडल भी तैयार कर लिया है। उसका यह मॉडल वर्तमान में चल रहे 46वें राष्ट्रीय जवाहरलाल नेहरू विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी मेला रायपुर में प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने चुना गया है। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय उतरदा की छात्रा सोनिया ने संसाधन प्रबंधन विषय अंतर्गत यह मॉडल बनाया है, जिसमें बताया है कि जंगली हाथी से हम अपनी सुरक्षा कैसे करें। कई बाल वैज्ञानिकों व तेलंगाना, झारखंड और ओडिशा समेत दीगर राज्यों से आए शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए सोनिया का मॉडल आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। उतरदा स्कूल की प्रचार्या उमा निधि ने बताया कि काफी निर्धन परिवार से ताल्लुक रखने वाली दो बहनों में सोनिया बड़ी है और वर्तमान में वह स्नातक प्रथम वर्ष में जीव विज्ञान की छात्रा है। उसने 12वीं बोर्ड में भी 75 फीसदी अंक प्राप्त कर टॉप किया था।
आबादी से ऐसे दूरी, बचने को टनल
मॉडल में अभयारण की बाउंड्री के बाहर एक गहरा जलाशय बनाए जाने का सुझाव दिया गया है। अहाते के के बाहरी क्षेत्र में चौड़े कांक्रीट की ऊंची दीवार बना दी जाए। हाथी गहरा पानी होने व दीवार होने के कारण सड़क या गांव की ओर प्रवेश नहीं कर पाएंगे। यदि कोई व्यक्ति जंगल में वन संपदा संग्रहण करने पहुंच जाता हैं और हाथी दिख गए तो वहां बनी टनल में घुसकर अपनी जान बचा सकता है। टनल में लगे सेंसेटिव बटन को दबाने पर इसकी सूचना गांव में कंट्रोल रूम तक पहुंच जाएगी, जिससे ग्रामीण तथा वन विभाग के बचाव दल संबंधित के पास जाकर हाथियों को खदेड़ कर उस व्यक्ति की जान बचा सकते हैं।
खदेड़ेगा मधुमक्खी का शोर, सिंचाई भी
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जंगल में जगह-जगह बड़े-बड़े टावर लगाकर उसमें एलीफेंट सेंसेटिव कैमरा लगा दिया जाए। जैसे ही कैमरा हाथी को ट्रेस करेगा, इसकी सूचना वन विभाग तक पहुंच जाएगी। बचाव दल व गांव की हुल्ला पार्टी संबंधित टनल के पास जाकर हाथियों को खदेड़ कर उस व्यक्ति की जान बचा सकता है। कैमरे से हाथी ट्रेस कर उसकी लाकेशन बताकर क्षेत्र को सतर्क कर सकते हैं। हाथी सेंसिटिव कैमरों में एक साउंड सिस्टम लगा रहेगा, जो मधुमक्खी की आवाज निकालेगा। चूंकि हाथी मधुमक्खी की आवाज से डरता है, उसे सुनकर हाथी दूर चले जाएंगे। जलाशय के पानी का उपयोग ग्रामीण सिंचाई का साधन के रूप में कर सकते हैं तथा अतिरिक्त अनाज भी उत्पादन कर सकते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ होगा।
शिक्षाविदों के आकर्षण का केंद्र बना
यह विज्ञान मेला 20 अक्टूबर तक बीटीआइ ग्राउंड रायपुर में आयोजित हो रहा। शिक्षाविदों का कहना है कि इस तरह का हाथी अभयारण यदि हाथी प्रभावित क्षेत्र में धरातल पर योजना तैयार कर बना दिया जाए तो जंगली हाथियों से निर्दोष लोगों की सुरक्षा तो होगी ही, हाथियों के रहवास और पुनर्वास की दिशा में कारगर इंतजाम सुनिश्चित किए जा सकेंगे। किसी प्रकार की जन-धन की क्षति रुकेगी। सोनिया का मॉडल विद्यालय के रसायन शिक्षक राकेश टंडन के मार्गदर्शन में तैयार हुआ। उन्होंने कहा कि अभयारण का जो मॉडल प्रस्तुत है, उसका अनुपालन हो तो हाथियों और मनुष्यों का जनजीवन आसान हो सकता है।
कोरबा, रायगढ़, कोरिया व सरगुजा के लिए भी हाथी उत्पात एक वृहद समस्या बनकर उभरा है। हमारे क्षेत्र की इस अहम समस्या से प्रभावित होकर उसके बारे में विचार करना व निराकरण के लिए प्रयास करते हुए विज्ञान मॉडल प्रस्तुत करना होनहार छात्रा सोनिया बरेठ की संवेदनशीलता प्रकट करता है। उसकी यह अनुपन पहल का महत्व इससे पता चलता है कि उसका मॉडल नेशनल में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व कर रहा और यह जिले के लिए गौरव की बात है।
– सतीश पांडेय, जिला शिक्षा अधिकारी