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विशेषज्ञ : ऑप्शन ट्रेडिंग से किसानों को मिल सकता है फसलों के बेहतर दाम…




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कमोडिटी डेरीवेटिव्स एक्सचेंज अब हाजिर भाव के आधार पर ऑप्शन ट्रेडिंग (विकल्प कारोबार) शुरू कर सकते हैं, क्योंकि इससे किसानों को उनकी फसलों का बेहतर दाम मिल सकता है और हेजिंग के प्रति किसानों की दिलचस्पी बढ़ सकती है। ऑप्शन ट्रेडिंग किसानों के लिए ऐसा विकल्प है जिससे उनको यह भी मालूम होगा कि किस फसल को उगाने से उनको आने वाले दिनों में अच्छा मुनाफा मिल सकता है।

सरकार की ओर से कमोडिटी डेरीवेटिव्स एक्सचेंज को हाजिर भाव के आधार पर ऑप्शन ट्रेडिंग (विकल्प कारोबार) शुरू करने को हरी झंडी मिल गई है।

कमोडिटी बाजार के जानकार बताते हैं कि सरकार के इस कदम से किसानों के लिए अब हेजिंग करना सुगम हो जाएगा और इससे ऑनलाइन कमोडिटी डेरीवेटिव्स बाजार में किसानों की दिलचस्पी बढ़ेगी।

कमोडिटी बाजार में ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरुआत हालांकि दो साल पहले ही शुरू हो चुकी है, लेकिन हाजिर भाव पर विकल्प अनुबंधों का सेटलमेंट हाजिर भाव पर करने की अनुमति सरकार ने पहली बार दी है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि खासतौर से एग्री कमोडिटी डेरीवेटिव्स के कारोबार में किसानों की भागीदारी बढ़ेगी।

एग्री कमोडिटी के देश के सबसे बड़े वायदा बाजार नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ विजय कुमार वेंकटरमण ने आईएएनएस को बताया कि ऑप्शन ट्रेडिंग किसानों के लिए लाभकारी है क्योंकि किसान आगे का भाव देखकर एक प्रीमियम की राशि चुकाकर अपने उत्पाद के एक निश्चित परिमाण के लिए पुट ऑप्शन ले सकता है जिससे बाद में भाव कम होने पर भी किसान को नुकसान नहीं होगा बल्कि वही भाव मिलेगा जिस पर उन्होंने लॉक किया है और कीमत बढ़ने पर किसान अपने उत्पाद ऊंचे भाव पर हाजिर बाजार में बेच सकते हैं।

इसे विस्तार से समझाते हुए उन्होंने बताया, “अगर कोई किसान 5,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर पुट ऑप्शन लेता है तो इसके लिए उसे प्रीमियम के तौर पर सिर्फ छह फीसदी यानी 300 रुपये देना पड़ता है और फसल आने पर भाव घटकर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हो जाता है तो किसान को 2,000 रुपये एक्सचेंज की तरफ से मिल जाता है। इसके विपरीत हाजिर भाव अगर 7,000 रुपये प्रति क्विंटल हो जाता है तो किसान ऊंचे भाव पर अपना उत्पाद बेच सकता है, इसके लिए उसे महज 300 रुपये प्रीमियम के तौर पर भुगतान की गई राशि का नुकसान होगा।”

उन्होंने कहा, “हालिया अधिसूचना के अनुसार, ऑप्शन को सीधा फिजिकल पर डिलीवर किया जा सकता है। वर्तमान में ऑप्शन का सेटलमेंट पहले फ्यूचर में होता है, फिर फ्यूचर का फिजिकल में होता है, लेकिन अब सीधे फिजिकल में सेटलमेंट होगा।”

केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि किसानों को फ्यूचर्स या ऑप्शन के जरिए प्राइस डिस्कवरी का फायदा दिलाने के लिए पहले ऑनलाइन ट्रेडिंग में उनकी भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है जोकि उनमें जागरूकता पैदा करने पर ही संभव हो पाएगा।

हालांकि उन्होंने कहा कि इसमें दो राय नहीं कि ऑप्शन ट्रेडिंग किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है और यह फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का विकल्प हो सकता है।

एक अन्य कमोडिटी बाजार विश्लेषक ने बताया कि भारत में आमतौर पर देखा जाता है कि जिस फसल का किसानों को अच्छा भाव मिलता है उसकी खेती वे ज्यादा करते हैं लेकिन पैदावार ज्यादा होने पर किसानों को उतना भाव नहीं मिल पाता है जितने की उम्मीद से वे खेती करते हैं, बशर्ते एमएसपी पर फसल न बेचा जाए।

ऐसे में ऑप्शन ट्रेडिंग किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है कि वे तीन महीने आगे के भाव पर अपने फसल का पुट ऑप्शन ले सकते हैं।