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Whatsapp जासूसी पर सिब्बल का केंद्र से सवाल, कहा- सरकार बताए किसने दी अनुमति




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कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि केंद्र सरकार यह बताए कि किस एजेंसी ने इस सॉफ्टवेयर को खरीदा और किसने इसे पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की जासूसी करने की अनुमति दी?

नई दिल्ली, इजरायल के स्पाईवेयर पेगासस के माध्यम से भारतीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की व्हाट्सऐप द्वारा जासूसी मामले को लेकर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस ने कहा है कि सरकार यह बताए कि किस एजेंसी ने इस सॉफ्टवेयर को खरीदा और किसने इसे पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की जासूसी करने की अनुमति दी?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, ‘इजरायली एनएसओ पेगासस स्पायवेयर को केवल सरकारों को बेचती है। व्हाट्सएप के जवाब देने से पहले, हमारी सरकार को हमें यह बताना चाहिए कि सरकार के किस विंग ने पेगासस को खरीदा? किस कीमत पर खरीदा, किसने इसके संचालन को संभाला, किसने जासूसी के लिए निर्देश दिए और किन अन्य प्लेटफार्मों पर ऐसा हुआ?

पिछले दिनों इस जासूसी के खुलासे के बाद से केंद्र सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है। इसके बाद शुक्रवार को सरकार ने व्हाट्सएप से इसे लेकर स्पष्टीकरण मांगी है। सरकार ने व्हाट्सएप से ये भी पूछा है कि उसने कंपनी के सीईओ के साथ हाल की बैठकों के बावजूद भारतीय नागरिकों की जासूसी की जानकारी भारतीय अधिकारियों से क्यों छिपाकर रखी? इसके बाद ही सिब्बल का यह बयान सामने आया है।

भारत सरकार को मई में जानकारी दी गई थी

व्हाट्सएप ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि वह भारत सरकार द्वारा की गई मांग से सहमत है। साथ ही उसने दावा किया है कि भारत सरकार को इसे लेकर मई में जानकारी दी गई थी। व्हाट्सएप ने एक बयान जारी कर कहा, ‘हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता व्हाट्सएप उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और सुरक्षा है। मई में हमने जानकारी मिलते ही इससुरक्षा मुद्दे को हल किया और संबंधित भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय सरकारी अधिकारियों को इसकी जानकारी दी।

सरकार ने व्हाट्सएप के दावों को किया खारिज

हालांकि, सरकार ने व्हाट्सएप के दावों को खारिज कर दिया है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि व्हाट्सएप ने मई में सरकारी एजेंसी CERT-IN को जानकारी दी थी, लेकिन इसमें पेगासस या किसी तरह के उल्लंघन का उल्लेख नहीं था। सूत्रों ने यह भी बताया कि साझा की गई जानकारी केवल एक तकनीकी समस्या के बारे में थी। भारतीय उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता से छेड़छाड़ के तथ्य से इसका कोई लेना-देना नहीं था।