आयुर्वेद में दिनचर्या वात, पित्त व कफ की प्रकृति को ध्यान में रखकर निर्धारित की जाती है. महिलाएं ज्यादा व्यस्त रहने के कारण अपनी स्वास्थ्य का खयाल नहीं रख पाती हैं. इस वजह से उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की परेशानियां धीरे-धीरे घेरने लगती हैं. ऐसे में प्रकृति के हिसाब से दिनचर्या तय करें तो स्वास्थ्य अच्छा रहेगी. महिलाएं भी प्रातः काल उठकर फ्रेश होने के बाद टहलने व योग-आसन के लिए समय जरूर निकालें.
सूर्योदय से पहले उठें: दिन की आरंभ सूर्योदय से पहले उठकर करें. प्रातः काल की ताजी हवा शरीर को स्फूर्ति व ताजगी देती है.
ऐसे करें शुद्धिकरण: प्रातः काल उठते ही नित्यकर्म से निपटें. इससे पेट में रातभर में जमा विषैले तत्त्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं. पेट साफ होने के बाद नाक को साफ करें ताकि ऑक्सीजन अच्छा से ले सकें व नाड़ी साफ हो सके.
रोज 5-10 मिनट लें लंबी सांस-
नाश्ते से पहले खाली पेट व्यायाम व योग करें. जो शरीर में ऊर्जा व रक्त संचार को बढ़ाता है. खुली हवा में खड़े होकर 5 से 10 मिनट तक लंबी-लंबी सांस लेने से श्वांस संबंधी रोग नहीं होते हैं व फेफड़े भी मजबूत रहते हैं.
तिल के ऑयल से शरीर की मालिश 2-3 मिनट करने से शरीर हल्का लगता हैं. इससे वात का शमन होता है. शरीर की त्वचा, अंगों को पोषण मिलता है. मालिश के आधे घंटे बाद नहाएं.
दोपहर का भोजन: दोपहर का खाना 12 से 1 बजे के बीच कर लें, इससे पाचन तंत्र मजबूत रहेगा. दोपहर का खाना दिन का सबसे भारी भोजन होना चाहिए.