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छत्तीसगढ़(बिलासपुर) : नौकरी करने की पूरी उम्र गुजर गई केस लड़ने में रिटायर के समय कोटवार को मिली नियुक्ति…




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नौकरी करने की पूरी उम्र एक आदमी की केस लड़ने में गुजर गई। अंत में हाईकोर्ट पहुंचा तो उसे न्याय मिला। अब वह रिटायर होने के समय गांव में कोटवारी करेगा। जिला बलौदा बाजार के बिलाईगढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम काेमसकुंडा निवासी छुनकू उर्फ भीष्म बुधराम 1993 में गांव का स्थायी कोटवार नियुक्त हुआ था। एक साल बाद शिकायत हो गई। उसके खिलाफ 107, 16 का प्रकरण चला था। वह पैसे के लेनदेन के मामले में गवाह भी बना था। तत्कालीन तहसीलदार ने 1994 में उसे बिना नोटिस दिए या इंक्वायरी किए ही नौकरी से बर्खास्त कर दिया। उसके स्थान पर बोधीराम को कोटवार नियुक्त कर दिया गया।

छुनकू इस बीच अपने स्तर पर अधिकारियों के पास जाकर न्याय की गुहार करता रहा पर कहीं से मदद नहीं मिली। अपनी बर्खास्तगी आर्डर के 3 साल बाद उसने बिलाईगढ़ एसडीओ के पास चैलेंज किया। तब एसडीओ ने यह कहकर उसका आवेदन खारिज कर दिया कि यह प्रकरण समय पर फाइल नहीं किया गया है। उसने 1998 में कलेक्टर के पास चैलेंज किया। 2006 में कलेक्टर ने कह दिया कि एसडीअाे का आदेश सही था। छुनकू ने फिर रेवन्यू बाेर्ड में केस फाइल किया। इसी दाैरान कोटवार बाेधीराम की माैत हाे गई। रेवन्यू बाेर्ड ने कह दिया कि बाेधीराम अब मर गया है इसलिए यह याचिका चलने योग्य नहीं है। छुनकू ने एक साल बाद फिर से रेवन्यू बाेर्ड में पुनरावलोकन प्रकरण लगाया। यहां दूसरे जज ने सुनवाई की। उन्होंने माना 107, 16 प्रतिबंधित धारा है उसे आपराधिक प्रवृत्ति नहीं माना जा सकता। इसी तरह यदि लेनदेन में गवाह बना है ताे भी अपराधी नहीं है। 


निष्कर्म में यह कहा गया कि बाेधीराम की माैत हाे गई है इसलिए इस पद पर फिर से नियुक्ति की जाए और इसमें छुनकू भी भाग ले सकता है। छुनई ने 2016 में अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से इस मामले को हाईकोर्ट में लेकर गया। इस बीच गणेशराम नाम का व्यक्ति कोटवार के लिए नामित हो गया। इधर, केस की सुनवाई शुरू हुई तो हाईकोर्ट ने पाया कि छुनकू को बिना अवसर दिए ही तहसीलदार ने हटा दिया है। हाईकोर्ट ने राजस्व मंडल के दोनों आदेश को गलत करार दिया। जस्टिस गौतम भादुड़ी की बेंच ने उसे नौकरी पर बहाल करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट में तीन साल के भीतर ही उसे न्याय मिल गया। छुनकू की वर्तमान उम्र 55 साल है। 26 साल पहले जब वह 28 साल का था तब से वह नौकरी के लिए लड़ रहा है। रिटायर होने की उम्र में उसे अब नौकरी मिलेगी।