आज, 1 दिसंबर को पूरी दुनिया ‘विश्व एड्स दिवस’ मनाती है। साल 1988 से यह दिन लोगों के बीच एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता रहा है। कई जागरूकता अभियानों की मदद से ही पूरा संसार इस खतरनाक बीमारी के बारे में जान सका।
लेकिन एक बात और है जिसके बारे में आज भी कई लोग नहीं जानते। वो ये कि दुनिया में सबसे पहले किस व्यक्ति को एड्स हुआ था? ये खतरनाक बीमारी आखिर कैसे फैली थी? इस बारे में आगे पढ़ें।
ऐसा माना जाता है कि एचआईवी एड्स सबसे पहले कॉन्गो में 1920 के आसपास एक चिंपांजी की वजह से हुआ। बताया जाता है कि कैमरून के जंगलों में एक घायल चिंपांजी ने एक शिकारी को खरोंचा और काट खाया था। इससे शिकारी के शरीर पर भी गहरे जख्म हो गए। इसी दौरान घायल चिंपाजी का खून शिकारी के शरीर में जा मिला और इससे एचआईवी का इंफेक्शन फैल गया। लेकिन.. कुछ और कहती है अमेरिका की रिपोर्ट
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट कुछ और ही कहती है। इसके अनुसार ये वायरस समलैंगिक युवकों के कारण फैला। आज से करीब 38 साल पहले 1981 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के लॉस एंजिलिस पांच पुरुषों में यह वायरस पाया गया। ये पांचों समलैंगिक थे। एड्स और ‘पेशेंट जीरो’
पहला मामला ‘गैटन दुगास’ नामक व्यक्ति में मिला। गैटन पेशे से एक कैनेडियन फ्लाइट अटेंडेंट था। माना जाता है कि उसने अमेरिका के कई लोगों को संक्रमित करने के लिए जानबूझकर संबंध बनाए थे। इसी कारण उसे ‘पेशेंट जीरो’ का नाम दिया गया था।
अमेरिका में जब इस बीमारी का पहली बार पता चला, तब से शुरुआती करीब आठ सालों तक 92 फीसदी एचआईवी मरीज पुरुष ही होते थे। धीरे-धीरे महिला मरीजों की संख्या बढ़ती गई।