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नित्‍यानंद जो चाहता है क्‍या वो इतना आसान है? जानें कैसे बनता है कोई नया देश…




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भारत से भागे स्‍वयंभू बाबा नित्‍यानंद ने अलग ‘देश’ बना लिया है. उनका यह ‘देश’ असल में इक्‍वाडोर के पास पैसिफिक में कोई आइलैंड है. नाम रखा गया है ‘कैलासा’. बाकायदा पासपोर्ट, वेबसाइट, मंत्रालय बनाए गए हैं. इस ‘देश’ ने संयुक्‍त राष्‍ट्र (UN) से खुद को मान्‍यता देने के लिए अप्‍लाई भी किया है. मगर क्‍या एक देश बनाना इतना आसान है?

इराक में कुर्द सालों से अपने अलग देश की लड़ाई लड़ रहे हैं. तिब्‍बत अलग देश है, ऐसा भारत मानता है पर चीन नहीं. कई और देश भी चीन के साथ खड़े हैं. स्‍पेन में कैटनोलिया भी आजादी चाहता है. आखिर एक देश कैसे स्‍थापित होता है? उसे कौन और किस तरह मान्‍यता देता है? एक देश में क्‍या होना चाहिए? इन सब सवालों के जवाब आज हम आपको बताते हैं.

कौन कर सकता है ऐलान?

स्‍वतंत्रता की मांग दुनिया के कई हिस्‍सों से उठती रही है. कोई भी निर्धारित इलाका खुद को देश से अलग घोषित कर सकता है. झारखंड का पत्थलगड़ी आंदोलन’ कुछ ऐसा ही था. वहां की कई ग्राम सभाओं ने खुद को संप्रभु घोषित कर दिया था. यह आंदोलन 2017-18 में तब शुरू हुआ, जब बड़े-बड़े पत्थर गांव के बाहर शिलापट्ट की तरह लगा दिए गए. पत्थरों पर संविधान की पांचवीं अनुसूची में आदिवासियों के लिए प्रदान किए गए अधिकारों को लिखकर उन्हें जगह-जगह जमीन पर लगा दिया. यह आंदोलन काफी हिंसक भी हुआ. इस दौरान पुलिस और आदिवासियों के बीच जमकर संघर्ष हुआ. यह आंदोलन अब शांत पड़ गया है.

सोमालिया में सोमालीलैंड 1991 से खुद को अलग देश कहता आ रहा है, कोई और मुल्‍क़ नहीं मानता. सर्बिया के कोसोवो ने भी 2008 में खुद को स्‍वतंत्र घोषित कर दिया था, कुछ देश इस मान्‍यता भी देते हैं. भारत की बात करें तो

देश है या नहीं, कैसे तय होगा?

नया देश बनाने को लेकर कोई स्‍पष्‍ट कानून नहीं है. 1933 की मॉन्‍टेवीडियो कंवेंशन में देश को स्‍वीकार करने की थ्‍योरी दी गई. इसके मुताबिक, किसी देश का क्षेत्र, जनता, सरकार निर्धारित होना चाहिए. साथी ही दूसरे देशों के साथ संबंध स्‍थापित करने की क्षमता हो. यह भी ध्‍यान में रखा जाता है कि बहुमत से मूल देश से अलग होने का फैसला हुआ हो. बूगनविल नाम का पैसिफिक आइलैंड रेफरेंडरम के जरिए यह तय करने जा रहा है कि वह पापुआ न्‍यू गिनी का हिस्‍सा रहेगा या अलग देश बन जाएगा.

किसी देश की मान्‍यता दूसरे देशों पर निर्भर करती है. इस पर कि कितने देश उसे एक संप्रभु राष्‍ट्र के रूप में देखते हैं और वहां के नागरिकों को वीजा देते हैं. बहुत से विशेषज्ञ संयुक्‍त राष्‍ट्र के किसी इलाके को देश मान लेने को ही इकलौता क्राइटेरिया मानते हैं. वर्ल्‍ड लेवल पर सबसे अहम UN से मान्‍यता मिलना ही है.

UN से मान्‍यता मिलते ही उस देश की करेंसी इंटरनेशनली वैलिड हो जाती है. इसके बाद अन्‍य देशों से लेन-देन किया जा सकता है. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF), वर्ल्‍ड बैंक जैसी संस्‍थाएं भी UN से मान्‍यता प्राप्‍त देशों को ही सदस्‍य बनाती हैं.

संयुक्‍त राष्‍ट्र चार्टर में ‘सेल्‍फ डिटर्मिनेशन’ का अधिकार शामिल हैं. यानी कोई आबादी यह तय कर सकती है कि वह कैसे और किसके नियंत्रण में रहना चाहती है. हालांकि प्रैक्टिकली ऐसा नहीं होता. कई ऐसे देश हैं जिन्‍होंने अपनी सीमाओं के भीतर कुछ इलाकों को ज्‍यादा स्‍वतंत्रता दे रखी है ताकि वह अलग देश ना बनें.