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वैज्ञानिकों ने माना माइग्रेन दुनिया की तीसरी आम बीमारी, एस्प्रिन से माइग्रेन का इलाज संभव…




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वैज्ञानिकों ने बताया है कि माइग्रेन दुनिया की तीसरी आम बीमारी है और इस बीमारी का शिकार हर सात में से एक व्यक्ति होता है।इस बीमारी में सिर का आधा हिस्सा दर्द करता है।वैज्ञानिकों की माने तो पर्याप्त व्यवस्था ना होने के कारण माइग्रेन के अधिकतर मरीजो को इसका इलाज नही मिल पाता है।जिसके बाद वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने इस बात का दावा किया है कि एस्प्रिन जैसी सामान्य प्रयोग वाली दवा माइग्रेन के इलाज में मददगार साबित हो सकती है।

शोधकर्ताओ ने इस बारे में 4 हजार से ज्यादा मरीजों पर 13 क्लीनिकल ट्रायल किए और अपने परीक्षणों में पाया कि एस्प्रिन का इस्तेमाल माइग्रेन के इलाज में किया जा सकता है।वैज्ञानिकों ने अपने अध्‍ययन में पाया है कि एस्प्रिन की 900 से 1,300 मिलीग्राम की हाई डोज माइग्रेन के भयंकर दर्द से बचाने में मददगार साबित हो सकती है।

उन्होने बताया है कि बार-बार माइग्रेन के दर्द के दौरे से बचने में के लिए रोजाना 81 से 325 मिलीग्राम तक की एस्प्रिन की डोज प्रभावी हो सकती है।दूसरी तरफ शोधकर्ताओं ने एस्प्रिन को माइग्रेन के इलाज के लिए आसानी से उपलब्ध एवं सस्ता विकल्प के तौर पर माना है।

इसके अलावा हांगकांग की चाइनीज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने एक शोध के नतीजों में पाया गया है कि जिन रोगियों को रोजाना एस्प्रिन दवा को खाने की सलाह दी गई है उनमें लिवर और ओसोफैगनल कैंसर के खतरे में 47 प्रतिशत तक की कमी हुई है।

इसके साथ वैज्ञानिकों ने अपने कई शोध में इस बात को भी माना है कि एस्प्रिन दवा के प्रयोग से गैस्ट्रिक कैंसर के जोखिम में भी 38 फीसदी व पैंक्रियाटिक कैंसर में 34 और कोलोन कैंसर के खतरे में 24 फीसदी तक की कमी देखने को मिली है।