वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संकेत दिया कि सरकार आयकर में बदलाव कर सकती है। सीतारमण ने यहां एक समिट को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई कदमों पर विचार कर रही है और आयकर में कमी करना भी इन्हीं में एक हो सकता है। इस सवाल के जबाव में कि आम लोगों को कितनी जल्दी आयकर में कटौती का तोहफा मिल सकता है वित्त मंत्री ने कहा कि बजट तक का इंतजार कीजिए। आगामी वित्त वर्ष का बजट फरवरी में पेश किया जाना है। देश की अर्थव्यवस्था में वर्तमान में सुस्ती की गिरफ्त में है। हाल में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के सकल घरेल उत्पाद(जीडीपी) के आंकड़े आए जिसमें अर्थव्यवस्था की रफ्तार जनवरी-मार्च 2013 के बाद के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर रह गई।
गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक नीति में 2019.20 के लिए जीडीपी अनुमान घटाकर पाँच प्रतिशत कर दिया है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार निरंतर कदम उठा रही है। दूर-दराज के क्षेत्रों में खपत बढ़ाने के लिए सार्वजिनक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले दो माह के दौरान पाँच लाख रुपये का ऋण वितरित किया है। बुनियादी सुविधा ढांचे पर जोर दिया जा रहा है जिससे श्रमिक वर्ग तक लाभ पहुंचाया जा सके। इसके अलावा पिछले कुछ माह के दौरान शेयर बाजार से लाभ पर प्रभार बढ़ोतरी का फैसला वापस लिया गया और कंपनी कर को घटाया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय करने समेत कई और निर्णय लिए गए जिससे कि अर्थव्यवस्था को गति दी जा सके।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के स्लैबों के बदलाव के संबंध में श्रीमती सीतारमण ने कहा कि इस पर कोई भी फैसला जीएसटी परिषद करेगी। मीडिया में ऐसी रिपोर्टें हैं कि जीएसटी की सबसे निचली दर पाँच प्रतिशत को बढ़ाने के साथ ही इसके दायरे में ऐसी वस्तुओं को लाया जा सकता है जिन पर फिलहाल जीएसटी नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार सामाजिक दायित्वों पर भी पूरा जोर दे रही है। उसका लक्ष्य प्रत्येक नागिरक के पास अपना घर और बिजली पहुंचाने के साथ ही लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने पर है।