Home क्षेत्रीय खबरें / अन्य खबरें बेटों को पढ़ाने के लिए रात दिन सिलाई करती मां, दोनों बेटे...

बेटों को पढ़ाने के लिए रात दिन सिलाई करती मां, दोनों बेटे एक साथ बने IAS




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

राजस्थान के झूंझनू शहर के मोदी रोड पर रहने वाले सुभाष कुमावत और उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी के चेहरे पर आज एक सुकून है। आंखों में एक गहराई सी है जो खुशियों से इतनी भरी है कि खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।

सुभाष सिलाई का काम करते हैं और राजेश्वरी देवी बंधेज बांधने का। उनके तीन बेटों में से दो का सिविल सर्विसेज में चयन हुआ है। 2018 यूपीएससी की ओर से घोषित परिणाम में उनके बड़े बेटे पंकज कुमावत ने 443वीं और छोटे बेटे अमित कुमावत ने 600वीं रैंक प्राप्त की। सुभाष कुमावत गुढ़ा मोड़ पर टेलरिंग का काम करते हैं। परिवार में दूसरा कोई आज तक सरकारी नौकरी में नहीं गया। पंकज कुमावत ने आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल में बीटेक किया। कुछ समय नोएड़ा की प्राइवेट कंपनी में नौकरी भी की। छोटे भाई अमित को भी अपने साथ रखा। उसने भी आईआईटी दिल्ली से बीटेक किया। दोनों दिल्ली में पढ़ाई करते रहे। दोनों का एक ही सपना था कि किसी भी तरह देश की इस सबसे बड़ी परीक्षा में सफल होना है। माता-पिता का सपना पूरा करना है। आज दोनों ने एक साथ यह सपना पूरा कर दिखाया।

पंकज व अमित ने बताया कि हम जानते हैं, हमें माता पिता ने कैसे पढ़ाया। हमारे लिए पढ़ना आसान था, लेकिन उनके लिए पढ़ाना बेहद मुश्किल। वे हमारी फीस, किताबों और ऐसी दूसरी चीजों का इंतजाम कैसे करते थे। इस बात को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं। इसका संघर्ष तो उन्होंने ही किया। घर की स्थिति कुछ खास नहीं थी। हम चार भाई बहनों को पढ़ाने के लिए मम्मी पापा सिलाई करते। घर पर रातभर जागते। मां तुरपाई करती और पापा सिलाई। वे हमेशा हमसे कहते कि तुम लोगों को पढ़कर बड़ा आदमी बनना है। यह सपना उन्होंने देखा। हमने तो बस उसे पूरा किया है।

आज परिवार की स्थिति ठीक है, लेकिन हम यही कहना चाहते हैं कि कमियों, परेशानियों और नकारात्मक चीजों को कभी आड़े नहीं आने देना चाहिए। हमारी सफलता के लिए माता पिता बड़े सपने देखते हैं उन्हें पूरा करने के लिए सबसे जरूरी केवल मेहनत होती है। इसके बाद सफलता अपने आप मिलती है।