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इस विश्लेषण को पढ़ने के बाद मोबाइल फोन के प्रति आपकी सोच हमेशा के लिए बदल जाएगी…




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कुछ लोग देश को हिंसा का गुलाम बना रहे हैं तो कुछ लोग अपने ही Mobile Phones के गुलाम बन गए हैं. इसलिए Mobile Phones की स्क्रीन में कैद जिंदगियों का विश्लेषण भी जरूरी है. iphone बनाने वाली कंपनी एप्‍पल (Apple) के संस्थापक Steve Jobs ने कहा था “Your time is limited, so don’t waste it living someone else’s life. यानी आपकी जिंदगी के पल गिने-चुने हैं. इन्हें दूसरों की तरह जीने की कोशिश करते हुए बर्बाद मत करिए.

लेकिन मोबाइल फोन और इंटरनेट के इस युग में हम जीवन को अपनी मर्ज़ी के मुताबिक जीना भूल रहे हैं. अब हम सिर्फ दूसरों जैसा दिखना चाहते हैं. दूसरों जैसा खाना चाहते हैं… उनके जैसे कपड़े पहनना चाहते हैं और दूसरों की ही तरह घूमना-फिरना चाहते हैं. कुल मिलाकर हम अपने आपको भुला चुके हैं और अब हमें अपने Smart Phones पर दिखाई देने वाली दूसरों की जिंदगी ही बेहतर लगती है.

मोबाइल फोन की कुछ इंच की स्‍क्रीन पर दिखाई देने वाली इस आभासी दुनिया ने हमारी असली दुनिया, असली रिश्तों और असली दोस्तों को हमसे दूर कर दिया है, लेकिन अब इस दूरी को मिटाया जाना बहुत ज़रूरी हो गया है. इसलिए कुछ देर के लिए अपने स्‍मार्टफोन को साइड में रखकर अपने पूरे परिवार के साथ ये विश्लेषण ज़रूर पढि़ए, क्‍योंकि ये विश्लेषण पढ़ने के बाद मोबाइल फोन के प्रति आपकी सोच हमेशा के लिए बदल जाएगी.

एक स्‍मार्टफोन बनाने वाली कंपनी द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक, एक भारतीय वर्ष में 1800 घंटे अपने मोबाइल फोन पर बिताता है. ये एक साल में ढाई महीनों के बराबर है. इस सर्वे के मुताबिक, भारत के 92 प्रतिशत लोग प्रतिदिन औसतन 3 से 6 घंटे अपने मोबाइल फोन पर बिताते हैं.

इसी सर्वे के मुताबिक, 20 प्रतिशत भारतीय सुबह उठते ही 5 मिनट के अंदर अपना मोबाइल फोन ज़रूर चेक करते हैं, जबकि 32 प्रतिशत भारतीय ये काम बिस्तर से उठने के 15 मिनटों के अंदर कर लेते हैं. 22 प्रतिशत भारतीयों को सुबह उठने के आधे घंटे के अंदर ही मोबाइल फोन चेक करने की तलब होती है, जबकि सिर्फ 9 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो सुबह उठने के बाद 3 घंटों तक बिना मोबाइल फोन चेक किए रह पाते हैं.

इसी तरह 80 प्रतिशत भारतीय सोने से पहले अपना मोबाइल फोन ज़रूर चेक करते हैं. यानी नींद में जाने से पहले और नींद से जागने के बाद जिस आखिरी और पहली चीज़ के दर्शन भारतीय करते हैं… वो उनका मोबाइल फोन है.

सर्वे में शामिल 42 प्रतिशत लोगों ने माना कि उन्हें बार-बार अपना मोबाइल फोन चेक करने की तलब होती है, जबकि 39 प्रतिशत लोग मोबाइल फोन पास में न होने की स्थिति में खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं. मोबाइल फोन की बैटरी खत्म हो जाने की स्थिति में या फिर मोबाइल फोन को घर पर भूल आने से 34 प्रतिशत लोगों को घबराहट होने लगती है. इसे No Mo Fobia यानी No Mobile Phobia भी कहा जाता है. 33 प्रतिशत लोगों ने माना है कि जब वो अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो उनका Mood खराब हो जाता है और वो चिड़चिड़े हो जाते हैं.

सर्वे में हिस्सा लेने वाले 16 प्रतिशत लोगों ने माना कि मोबाइल फोन के बगैर रहना उनके लिए असंभव है, जबकि 18 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो ज्यादा से ज्यादा एक घंटा अपने मोबाइल फोन के बगैर रह सकते हैं. सिर्फ 3 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो मोबाइल फोन के बगैर 17 से 24 घंटे बिता सकते हैं.

48 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वो अपना मोबाइल फोन कभी भी Switch Off नहीं करते हैं. सर्वे में शामिल सिर्फ 4 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जो अपनी मर्ज़ी से 24 घंटों के लिए अपना Smart Phone Switch Off कर सकते हैं.

भारत में मोबाइल फोन का इस्तेमाल इसलिए भी तेज़ी से बढ़ा है, क्योंकि भारत में इंटरनेट डाटा दुनिया के मुकाबले सबसे सस्ता है. आज की तारीख में आप सिर्फ 18 रुपये में 1 GB Data खरीद सकते हैं. यही वजह है कि भारत रोटी, कपड़ा और मकान के युग से निकलकर मोबाइल फोन और डाटा के युग में आ गया है. एक रिसर्च के मुताबिक, हर तीन में एक व्यक्ति परिवार के साथ खाना खाते वक्त भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहा होता है. आज के ज़माने में ये आंकड़ा इसलिए हैरान नहीं करता है, क्योंकि लोग अब एक वक्त खाना खाए बगैर तो रह सकते हैं, लेकिन वो बिना मोबाइल फोन और Data के नहीं रह पाते. आज की स्थिति ये है कि लोग बिना घर के बिना अच्छे कपड़ों के और बिना पौष्टिक भोजन के तो रह सकते हैं, लेकिन मोबाइल फोन से दूरी किसी को बर्दाश्त नहीं है. आधुनिक युग में Data ही नई Diet बन गया है, जिसे मोबाइल फोन की स्क्रीन पर परोसा जाता है.

Mobile Phone Addiction पर किए गए ताज़ा सर्वे के मुताबिक, भारत के लोग Mobile Phone का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सोशल मीडिया पर Active रहने के लिए करते हैं. 76 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल तब करते हैं, जब उन्हें तस्वीरें या Videos देखने होते हैं. 72 प्रतिशत लोग तब Social Media का इस्तेमाल अपने पुराने दोस्तों को ढूंढने के लिए करते हैं.

खबरों की जानकारी हासिल करने की ललक भी 68 प्रतिशत लोगों को सोशल मीडिया पर ले आती है, जबकि 67 प्रतिशत लोग नए दोस्त बनाने के लिए और 66 प्रतिशत लोग मनोरंजन के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं.

भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला Social Media Paltform Whatsapp है. 24 प्रतिशत भारतीय अपने Smart Phone पर प्रमुखता से WhatsApp इस्तेमाल करते हैं. 23 प्रतिशत लोग Smart Phones पर FaceBook का इस्तेमाल करते हैं] जबकि Instagram इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 16 प्रतिशत है. 13 प्रतिशत Users के साथ Twitter चौथे नंबर पर है. 5 प्रतिशत लोगों के लिए Tik-tok प्रमुख सोशल मीडिया Platform है.

इस सर्वे में शामिल 70 प्रतिशत लोगों की उम्र 18 से 34 वर्ष के बीच है, जबकि भारत की 65 प्रतिशत आबादी भी 35 वर्ष से कम उम्र की है. यानी देश के करीब 87 करोड़ युवा इस डिजिटल गुलामी का शिकार हो चुके हैं. अगर आप भी डिजिटल मुस्कुराहट और डिजिटल आंसुओं की मदद से अपनी भावनाओं का इज़हार कर रहे हैं तो आज आपको सावधान हो जाना चाहिए और अगर आप भी जीवन में खुशियों वाली बैटरी को बचाकर रखना चाहते हैं और रिश्तों के बीच आई सोशल मीडिया की दीवारों को गिराना चाहते हैं तो आपको हमारा ये विश्लेषण ज़रूर देखना चाहिए.