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टीसीएस और पीडब्ल्यूसी की सलाहों पर स्मार्ट सिटी ने 4 साल में 52 करोड़ रु. फूंके, अब हटाए जाएंगे…




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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में कंसल्टेंट एजेंसी के तौर पर नियुक्त टाटा कंसल्टेंसी और पीडबल्यूसी पर पिछले 4 साल में 52 करोड़ रुपए फूंक दिए गए हैं। दोनों सलाहकारों के स्टाफ को 12 करोड़ रुपए बतौर सैलरी दिए गए हैं। यही नहीं, जो प्रोजेक्ट पूरे हो गए या शुरू हुए हैं, उनकी कंसल्टेंसी फीस के रूप में 40 करोड़ रुपए अदा किए जा चुके हैं। 


यह खुलासा तब हुअा, जब केंद्र सरकार से निर्देश अाया कि स्मार्ट सिटी के किसी भी प्लान के लिए अाम लोगों की सहमति जरूरी है, क्योंकि ऐसे कई कार्यों में करोड़ों रुपए फूंके जा चुके हैं जो वहां के लोगों के लिए उपयोगी नहीं हैं। इस निर्देश पर अमल शुरू करते हुए दोनों सलाहकारों को निर्देश दिया गया है कि तुरंत अपना स्टाफ कम कर लें। यही नहीं, 28 मार्च को दोनों सलाहकारों का अनुबंध खत्म हो रहा है और इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। सिर्फ चुनिंदा प्रोजेक्ट में जरूरी हुअा, तभी कंसल्टेंट बुलाए जाएंगे। प्रदेश में नवा रायपुर, रायपुर और बिलासपुर में ही स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट चल रहे हैं।


इनमें नवा रायपुर से सलाहकार हटाए जा चुके हैं। ये रायपुर और बिलासपुर में काम कर रहे हैं, लेकिन इनकी वजह से हुई बड़ी फिजूलखर्ची को कम करने के लिए कंसल्टेंसी एजेंसियों की भूमिका ही खत्म की जा रही है। रायपुर को 2016 में स्मार्ट सिटी के लिए चुना गया, उसी समय यहां के विकास के लिए टाटा और पीडब्ल्यूसी जैसी कंसल्टेंसी से एग्रीमेंट किया गया। टाटा एरिया बेस्ड डेवलपमेंट (एबीडी) प्रोजेक्ट देख रही है। पीडब्ल्यूसी एजेंसी पैन सिटी प्रोजेक्ट का काम संभाल रखा है।


स्थानीय ही समझते हैं जरूरत : स्मार्ट सिटी के कुछ अफसरों के मुताबिक बड़े कंसल्टेंट के बजाय स्थानीय सलाहकार बेहतर हैं क्योंकि वे यहां के लोगों की जरूरत को समझते हैं। स्मार्ट सिटी के ज्यादातर प्रोजेक्ट कंसलटेंट एजेंसियों के पेमेंट के कारण ओवर बजट का शिकार हुए हैं। कुछ काम तो ऐसे भी हैं जो अभी तक वजूद में नहीं आ पाए हैं, लेकिन उनके लिए केवल सर्वे पर ही करोड़ों रुपए फूंके जा चुके हैं। पिछले साल जुलाई अगस्त में नवा रायपुर अटल नगर स्मार्ट सिटी ने भी कंसलटेंट को इसीलिए हटाया था।


निर्माण एजेंसियां बनाएंगी प्रोजेक्ट : अभी स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट और प्रजेंटेशन का काम कंसल्टेंट एजेंसियां संभाल रहीहैं। इनके प्लान को निर्माण एजेंसियां फॉलो करती रही है। सर्वे, डिजाइन और सुपरविजन के लिए ही कंसल्टेंट को मोटी रकम दी जा रही है। इसके लिए कंसलटेंट एजेंसियां ने जिन इंजीनियरों और तकनीकी स्टाफ को तैनात किया है, उनका वेतन स्मार्ट सिटी दे रही है। सूत्रों के अनुसार सलाहकारों को समेटने के बाद प्रक्रिया यह होगी कि जो कंपनियां काम का टेंडर भरेंगी, प्रोजेक्ट भी वही डिजाइन करेंगी।