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एक ओवरब्रिज चार विधायक, दो सांसद भी नहीं बनवा पा रहे, दिन भर लगता भीषण जाम…




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स्थानीय सांसद और विधायकों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का खामियाजा शहर के बाशिंदों को घंटों जाम से जूझकर भुगतना पड़ रहा है। क्षेत्र के सांसद, एक राज्यसभा सांसद और चार विधायक मिलकर झांसी में ग्वालियर रोड रेलवे क्रासिंग पर प्रस्तावित ओवरब्रिज का निर्माण नहीं करा पा रहे हैं। इसका प्रस्ताव पिछले तीन सालों से शासन के गलियारों में भटक रहा है। वो भी तब जबकि सभी विधायक और लोकसभा सांसद सत्तारूढ़ दल के हैं। प्रदेश और केंद्र दोनों में ही लगातार दूसरी बार भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है। हालात ये हैं कि ट्रेनों की आवाजाही की वजह से ये रेलवे क्रासिंग 24 में से बारह घंटे से अधिक समय के लिए बंद रहती है। सड़क पर दोनों ओर गाड़ियों की लंबी – लंबी कतारें लग जाती हैं, लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं। बावजूद, स्थानीय जनप्रतिनिधि सदन में जनता की आवाज बुलंद नहीं कर पा रहे हैं। झांसी – कानपुर ट्रैक रेलवे के व्यस्त मार्गों में से एक है। यहां रोजाना अप और डाउन की 25-25 सवारी गाड़ियां गुजरती हैं। इसके अलावा साप्ताहिक व मालगाड़ियों की आवाजाही निरंतर बनी रहती है। हर बार ट्रेन के गुजरने पर क्रासिंग को दस मिनट के लिए बंद किया जाता है। इससे यहां सड़क पर दोनों ओर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लग जाती है। क्रासिंग खुलने पर वाहन आमने – सामने आने पर जाम लग जाता है। इसमें वाहन चालकों का समय और ईंधन दोनों ही बर्बाद होता है। इस समस्या से निपटने के लिए यहां ओवरब्रिज का प्रस्ताव तैयार किया गया था। उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम ने डिजाइन तैयार की थी। लगभग सात सौ मीटर का ब्रिज बनाया जाना था, जिस पर पैंसठ करोड़ रुपये की लागत का आकलन किया गया था।
फाइल शासन को भेज दी गई थी। लेकिन, बजट जारी न होने की वजह से ब्रिज का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। इसकी एक बड़ी वजह जिले की सियासत का कमजोर होना भी है। कहने को तो यहां चार विधायक और लोकसभा व राज्यसभा के दो सांसद हैं। केंद्र और प्रदेश में सरकार भी एक ही दल की है, जिससे कोई राजनीतिक अड़चन भी नहीं है। लेकिन, स्थानीय जनप्रतिनिधि जनता की इस मांग को सरकार के समक्ष नहीं रख पा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि जनता की इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
हर समय क्रासिंग के गेट बंद मिलते हैं। एंबुलेंस तक जाम में फंसी रहती हैं। यहां ओवरब्रिज के निर्माण को प्राथमिकता पर लेना चाहिए।
– राहुल सिंह, पंचवटी कॉलोनी
क्रासिंग बंद होने की वजह से समय और ईंधन दोनों की बर्बादी होती है। लेकिन, स्थानीय जनप्रतिनिधि जनता की इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
– मो. इसरार अंसारी, एल्पाइन स्कूल के पास
जिले में चार विधायक हैं और दो सांसद, बावजूद नगर की इस बड़ी समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जनप्रतिनिधि सरकार तक बात नहीं पहुंचा पा रहे हैं।
– कृष्णा कुशवाहा, सैंयर गेट
नेता विकास की बातें ही करते हैं, काम नहीं करते। इसका अंदाजा क्रासिंग पर ओवरब्रिज के प्रस्ताव से लगाया जा सकता है, जिसकी फाइल तीन साल बंद बड़ी हुई है।
– धीरज, पंचवटी कॉलोनी
ग्वालियर रोड रेलवे क्रासिंग के उस पार बड़ी आबादी विकसित हो गई है। दिन भर आवागमन होता रहता है। क्रासिंग बंद होने की वजह से सभी जाम में फंसकर रह जाते हैं।
– विजय दीक्षित, सिविल लाइन
क्रासिंग बंद होने की वजह से बच्चे तक स्कूल समय से नहीं पहुंच पाते हैं। हमारे जनप्रतिनिधियों को सरकार से इस समस्या का समाधान करना चाहिए।
– धर्मेश प्रताप सिंह, बीकेडी
सरकार के पास धन की कोई कमी नहीं है। बावजूद, ब्रिज निर्माण के लिए बजट नहीं मिल पा रहा है। इसमें कमी जनप्रतिनिधियों की है, जो जनता की आवाज नहीं उठा पा रहे हैं।
– विजयंत, मिशन कंपाउंड
जनप्रतिनिधियों की उदासीनता की वजह से ओवरब्रिज का निर्माण नहीं हो पा रहा है। विधायकों को मुख्यमंत्री से मिलकर इसकी मांग करनी चाहिए।
– रवि गौतम, खातीबाबा
नेता सिर्फ भरोसा ही देते हैं, लेकिन धरातल पर उनके काम नजर नहीं आते। रेलवे क्रासिंग पर ब्रिज बन जाने से जन सहूलियत बढ़ेगी।
– निर्मल कुशवाहा, सीपरी बाजार
ग्वालियर रोड क्रासिंग पर ब्रिज निर्माण आसानी से हो सकता है। क्योंकि, यहां सड़क के आसपास ज्यादा निर्माण नहीं है। लेकिन, नेताओं की इच्छाशक्ति की कमी से ये नहीं हो पा रहा है।
– कृष्णगोपाल, पंचवटी कॉलोनी