बाराबंकी
पंजाब की रोपड़ जेल में बंद बीएसपी विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी को जिस ऐम्बुलेंस से मोहाली कोर्ट में लाया गया था वह विवादों में घिर गई है। यूपी के नंबर वाली यह ऐम्बुलेंस बुलेटप्रूफ भी बताई जाती है। जब गाड़ी के कागजातों की जांच हुई तो पता चला कि फर्जी वोटर आईडी से उसका रजिस्ट्रेशन कराया गया। चर्चा है कि यह ऐम्बुलेंस खुद मुख्तार अंसारी की है।
अब एआरटीओ (प्रशासन) पंकज सिंह ने ऐम्बुलेंस की ओनर के रूप में दर्ज डॉ. अलका राय के खिलाफ धोखाधड़ी और नकली कागजात तैयार करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया है। एआरटीओ ने डॉ. अलका को नोटिस जारी कर शनिवार को अपना पक्ष रखने को भी कहा है। पुलिस की एक टीम मऊ भी रवाना की गई है। कोतवाली नगर में एआरटीओ की ओर से दर्ज मुकदमे में कहा गया है कि 21 दिसंबर 2013 को ऐम्बुलेंस (यूपी 41 एटी 7171) का पंजीकरण डॉ. अलका राय के नाम पर करवाया गया था। रजिस्ट्रेशन के लिए डॉ. अलका की वोटर आईडी लगाई गई थी, जिस पर उनका पता मकान संख्या 56, रफीनगर, बाराबंकी दर्ज है।
इस ऐम्बुलेंस का संचालन मऊ जिले के श्याम संजीवनी हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च सेंटर से संबद्ध कर किए जाने का प्रपत्र लगाया गया था। 1 अप्रैल 2021 को जानकारी में आया कि ऐम्बुलेंस का संचालन बिना फिटनेस और बीमा के हो रहा है। वाहन की फिटनेस 31 जनवरी 2017 को ही खत्म हो चुकी है। इससे पहले 23 जनवरी 2020 को भी दर्ज पते पर नोटिस भेजा गया था और फिटनेस न करवाने पर ओनर की वोटर आईडी को जांच के लिए एसडीएम सदर को भेजा गया। एसडीएम सदर ने गुरुवार को जांच करवा कर अपनी रिपोर्ट दी। इसमें कहा गया कि रफीनगर में कभी कोई डॉ. अलका राय नहीं रहती थीं। इस नंबर का कोई मकान भी नहीं है। मामले की जांच अतिरिक्त इंस्पेक्टर कोतवाली नगर एमपी सिंह को सौंपी गई है।
कागजात कब्जे में लिए गए
एआरटीओ कार्यालय शुक्रवार को अवकाश के बाद भी खोला गया और विवेचक एमपी सिंह ने पंजीकरण में लगाए गए कागजात कब्जे में लिए। जांच में पता चला है कि पंजीकरण के समय एआरटीओ प्रशासन राजेश्वर यादव थे। वह इस समय इसी पद पर बलिया में तैनात हैं, जबकि पटल सहायक का नाम पता नहीं चल सका। एआरटीओ प्रशासन ने कहा कि ऐम्बुलेंस ओनर को बाराबंकी और मऊ के पते पर नोटिस देकर शनिवार तक पेश होने को कहा गया है। ऐसा न होने पर ऐम्बुलेंस का पंजीकरण निरस्त किया जाएगा। पंजीकरण में दर्ज मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ है। यह नंबर किसके पास है, पुलिस इसकी भी जांच कर रही है।
तीन तरह से लिखा गया नाम
छानबीन में पता चला है कि ऐम्बुलेंस को फाइनेंस करवाया गया था। फाइनेंस में ओनर श्याम संजीवनी हॉस्पिटल को बताकर दो मोबाइल नंबर दर्ज करवाए गए थे। ये मोबाइल नंबर एआरटीओ में पंजीकरण में दर्ज नंबर से अलग हैं। लोन की रकम 36 माह में अदा करनी थी, लेकिन अदायगी 33 महीने में ही कर दी गई थी। इसमें गारंटर के रूप में शेषनाथ राय नाम दर्ज है। वहीं, तीन कागजात में अलका राय का नाम तीन तरह से दर्ज है। ऐम्बुलेंस के पंजीकरण में डॉ. अलका राय, वोटर आईडी में अलका राय जबकि फाइनैंस के कागजात में नाम श्रीमती अलका राय लिखा है।
पंजाब भी जा सकती है टीमें
ऐम्बुलेंस को बरामद करने के लिए पुलिस टीम को पंजाब भेजने की भी तैयारी की जा रही है, जबकि ऐम्बुलेंस चला रहे शख्स की मुख्तार से कड़ियां भी जोड़ी जा रही हैं। वहीं, मऊ के अस्पताल व उसकी निदेशक डॉ. अलका राय के बैंक खातों पर भी पुलिस की निगाहें है कि कहीं इसमें मुख्तार अंसारी या उनके गुर्गों ने कोई रकम तो अदा नहीं की। पुलिस ने बाराबंकी के पूर्व एआरटीओ (प्रशासन) राजेश्वर यादव, संबंधित क्लर्क और पंजीकरण व फाइनेंस में दर्ज मोबाइल नंबरों को भी रेडार पर लिया है।