नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और राज्य के पूर्व होम मिनिस्टर अनिल देशमुख की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें दोनों ने हाई कोर्ट दिए गए सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती दी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूर्व पुलिस कमिश्नर के आरोपों के मद्देनजर प्रारंभिक जांच का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के पूर्व होम मिनिस्टर अनिल देशमुख पर जो आरोप लगाए हैं, वह गंभीर हैं और ऐसे में स्वतंत्र जांच की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार और अनिल देशमुख ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें हाई कोर्ट ने सीबीआई से कहा था कि वह आरोपों की प्रारंभिक जांच करें। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी में कहा कि जो आरोपों का नेचर है उसमें स्वतंत्र जांच एजेंसी की ओर से जांच की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने कहा कि ये सिर्फ प्रारंभिक जांच (पीई) है इसमें कुछ भी गलत नहीं है। जब पूर्व पुलिस कमिश्नर ने मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं तो इस तरह की जांच में कुछ भी गलत नहीं है।
बेंच ने कहा कि आरोप गंभीर किश्म के हैं और इस मामले में जो लोग भी शामिल हैं वो काफी दिनों तक साथ काम कर चुके हैं। ये मामला लोगों के विश्वास से जुड़ा हुआ है। हम हाई कोर्ट के आदेश में दखल नहीं देना चाहते हैं। दोनों उच्च पद पर काम कर चुके हैं। इस मामले में सीबीआई की जांच जरूरी है। दोनों लोगों के कद का नेचर देखना होगा और आरोप की गंभीरता देखनी होगी। आरोप किसी दुश्मन ने नहीं लगाया है बल्कि मंत्री का दाहिना हाथ रह चुके शखस ने आरोप लगाए हैं।