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विधायक ही नहीं चाहते सीजी में शराबबंदी:भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा 1 जनवरी 2022 से शराबबंदी का लाए थे रिजॉल्यूशन,




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केवल 13 विधायकों का मिला समर्थन, इसलिए खारिज

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था। सरकार बनाने के ढाई वर्ष बाद वह शराबबंदी की तारीख तक बताने को तैयार नहीं हैं। भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा शुक्रवार को एक अशासकीय संकल्प (रिजॉल्यूशन) लाए। यह एक जनवरी 2022 से राज्य में पूर्ण शराबबंदी का संकल्प था। इसे सत्ता पक्ष का समर्थन नहीं मिला। ऐसे में संकल्प खारिज हो गया।

सरकार ने किया था वादा

संकल्प की शुरुआत करते हुए शिवरतन शर्मा ने कहा, 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने गंगा जल हाथों में लेकर शपथ लिया था कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू होगी। कांग्रेस ने जब घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था। खासकर महिलाओं ने सोचा था कि अब कलह दूर होगी, झगड़े खत्म होंगे। आर्थिक कमजोरी दूर होगी। इससे पहले कई राज्यों में दलों ने चुनावी घोषणा पत्र में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था। जनता का समर्थन मिला और सरकार बनते ही वादा पूरा किया। छत्तीसगढ़ में ढाई साल बीत जाने के बाद भी वादा पूरा नहीं किया गया। छत्तीसगढ़ में 898 हत्या के प्रयास हुए हैं। 10 हजार से ज्यादा आत्महत्या हुई है। हर अपराध की पृष्ठभूमि में नशा है। पूरे प्रदेश में सरकारी संरक्षण में अवैध शराब की सप्लाई की जा रही है।

वैध-अवैध कमाई का जरिया है शराब

शिवरतन शर्मा ने कहा, सरकार का लक्ष्य साल में 5200 करोड़ रुपये अर्जित करना है। मेरा आरोप है कि सरकार के वैध-अवैध कमाई का सबसे बड़ा जरिया शराब है। मंत्री अमरजीत भगत से जब शराब को लेकर पत्रकार सवाल पूछते हैं तो इन्हें सुनाई नहीं देता। शिवरतन ने कहा, आने वाले दिनों में यह प्रदेश उड़ता छत्तीसगढ़ बन जाएगा। सत्ता पक्ष ने इस संकल्प का विरोध किया। मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, मणिपुर, केरल, तमिलनाडु में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई थी, लेकिन सफल नहीं हुई। कोरोना के वक्त स्प्रिट पीकर कई लोगों की मौत हो गई। राज्य सरकार ने तीन समितियां गठित की हैं। पूर्ण शराबबंदी के लिए अध्ययन किया जा रहा है। संकल्प पारित करने के लिए मत विभाजन की बात आई। शराबबंदी के समर्थन में 13 विधायकों ने वोट दिया, जबकि इसके विरोध में 58 वोट पड़े। ऐसे में यह संकल्प पारित नहीं हो सका।

गंगाजल की शपथ वाली बात पर भड़के सीएम

भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा के गंगाजल की शपथ वाली बात पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भड़क गए। उन्होंने कहा, शिवरतन शर्मा अपनी बात गलत कथन के साथ रख रहे हैं। इन्हें ट्रेनिंग ही यही मिली है कि किसी झूठ को सौ बार बोला जाये तो वह सच लगे। इन लोगों ने गिरीश देवांगन के लेटरपैड पर फर्जी दस्तखत कर पत्र वायरल कराया था, जिसके चलते हमारे नेताओं ने गंगाजल की कसम खाई थी कि 2500 रुपए धान का समर्थन मूल्य देंगे।

शराब को खराब पानी कहा तो उठा विवाद

संकल्प पेश करते हुए भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा, अरबी में शराब का अर्थ है खराब पानी। आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने अरबी को हल्बी समझ लिया और कहा- गलत अर्थ बता रहे हैं। ऐसा नहीं है। हल्बी में ऐसा नहीं कहते हैं। मैं वहीं से आता हूं। हल्बी में ऐसा कोई शब्द नहीं है और ऐसा कोई अर्थ नहीं है। यह अपमान है। इसे लेकर गहमागहमी हुई। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि शिवरतन शर्मा ने अरबी में अर्थ कहा है, हल्बी का नही। मंत्री माेहम्मद अकबर ने कहा, छत्तीसगढ़ में आदिवासी बड़ी संख्या में हैं। आदिवासी इलाकों में राज्यपाल की प्रदत्त शक्तियों के तहत शराब की अनुमति दी गई है और सदन में इसे खराब पानी कहा जा रहा है। सदन में आपको माफी मांगनी चाहिए।

घोषणापत्र से शुरू हुआ तो भाजपा का वादा याद दिलाया

मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, शिवरतन शर्मा ने घोषणा पत्र से बातचीत शुरू की थी, ज़रा अपना घोषणा पत्र भी देख लेते। हर आदिवासी परिवार को गाय और एक नौकरी देने का वादा किया था। पांच हॉर्स पावर पंप फ्री, बेरोजगार युवाओं को भत्ता। दिल्ली की सरकार बनी तब कहा गया कि विदेशों से काला धन लाएंगे। 15 लाख सभी खातों में भेजे जाएंगे। कम से कम घोषणा पत्र की बात न करें।

धर्मांतरण पर निजी विधेयक लाए बृजमोहन अग्रवाल

इससे पहले भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने धर्मांतरण पर रोक संबंधी एक निजी विधेयक पेश किया। उन्होंने इस पर चर्चा की मांग की। अध्यक्ष ने कहा, इसपर चर्चा संभव नहीं है। बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, आसंदी बात नहीं सुनेगी तो मुझे धरने पर बैठना होगा। 28 फरवरी 2003 को मैं एक निजी विधेयक सदन में ला चुका हूं। उन्होंने कहा, नाबालिग बच्चियों के साथ धर्म परिवर्तन कराकर शादी की जा रही है। शादी के बाद छोड़ दिया जाता है। समाज में विभाजन के हालात बनते हैं। नियोगी आयोग ने कहा था शादी कराकर धर्म परिवर्तन न कराया जाए। छत्तीसगढ़ एक शांत प्रदेश है। यहां सांप्रदायिक दंगे नहीं होते। इस विधेयक को लाकर इसे रोका जा सकता है। निजी विधेयक को रोकना संसदीय परम्पराओं का अपमान है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, इस विधेयक पर सदन में चर्चा की जानी चाहिए। विपक्ष ने इस विधेयक के लिए मत विभाजन की मांग की। मतदान में इस विधेयक को 13 विधायकों का समर्थन मिला। 54 विधायकों ने इस विधेयक का विरोध किया और यह चर्चा के लिए भी नहीं जा सका।

मानसून सत्र का समापन

शुक्रवार की कार्यवाही पूरी होने के साथ ही विधानसभा के मानसून सत्र का समापन हो गया। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। मानसून सत्र 26 जुलाई से शुरू हुआ था। पांच बैठकों में विधानसभा ने चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज अधिग्रहण विधेयक सहित तीन बिल और 2500 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित किया। सत्र के शुरुआती दो दिन सत्ता पक्ष के लिए भारी रहे। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव पर विधायक बृहस्पत सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों से सदन में हंगामा होता रहा।