बालाघाट (विशेष संवाददाता)। किसानों को खाद्य सामग्री देने में लापरवाही का एक मामला सामने आया है जहां किसान 2 से 4 दिन तक खाद्य सामग्री के लिए सोसायटी का चक्कर लगाना पड़ रहा है प्रधानमंत्री योजना के अनुसार किसानों को कम से कम मूल्य में आसानी से खाद्य सामग्री देना बताया गया है किन्तु आज यह स्थिति आ गई है कि किसानों को अपने ही खाद्य लेने के लिए खाद्य सोसायटी का चक्कर लगाना पड़ रहा है इसके बावजूद भी खाद्य सामग्री नहीं मिल रही पहले उन्हीं को दिया जा रहा है अपने आपसी आदमी है या जो उन्हें रिश्वत में 100, 200, 500 रुपए दे उन्हे चक्कर लगाने की जरुरत भी नहीं पड़ रही उन्हें तुरंत दिया जा रहा है और जो रिश्वत न दे उन्हें आज कल के चक्कर लगाना पड़ रहा है जबकि प्रधानमंत्री खाद्य योजना के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा डीएपी खाद की कीमत बढ़ाकर 1800 रुपये तक कर दी गई थी, लेकिन बाद में सरकार ने बढ़ी कीमतें वापस ले ली और पुन: कीमत 1200 रुपये प्रति बोरी निर्धारित कर दी। अब सरकार द्वारा यह फैसले से किसान खुश तो है लेकिन खाद्य सामग्री लेने के लिए चक्कर लगाने के साथ-साथ उन्हें रिश्वत में 100, 200, 500 रुपए भी चुकाना पड़ रहा है ऐसा ही एक मामला मीडिया जगत 24 की नजर में आया है जिसकी छानबीन चल रही है पूरा पक्का सबूत जुटाने के बाद ही पता चलेगा कि यह कौन सी सोसायटी में यह खाद्य सामग्री का काम चल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खाद कीमतों के मुद्दे पर उच्च स्तरीय बैठक में चर्चा हुई कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की बढ़ती कीमतों के कारण खाद की कीमतों में वृद्धि हो रही है. प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद मिलनी चाहिए
पुरानी दरों पर ही मिले खाद: पीएम मोदी
मीटिंग में इस बात चर्चा हुई कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की बढ़ती कीमतों के कारण खाद की कीमतों में वृद्धि हो रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद मिलनी चाहिए. इस बैठक में ष्ठ्रक्क खाद के लिए सब्सिडी 500 रुपये प्रति बैग से, 140प्रतिशत बढ़ाकर 1200 रुपये प्रति बैग करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया. मूल्य वृद्धि का सारा अतिभार केंद्र सरकार ने उठाने का फैसला किया है. बता दें कि प्रति बोरी सब्सिडी की राशि कभी भी एक बार में इतनी नहीं बढ़ाई गई है.
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर कहा है कि बढ़ोतरी के बावजूद किसानों को डीएपी की एक बोरी पुरानी दरों यानि 1200 रुपए में ही मिलेगी।
मध्य प्रदेश में फरवरी 2021 में खाद की एक बोरी 1200 रुपए में बिक रही थी। इसकी कीमत मई माह में अचानक 1900 रुपए हो गई है। कई कंपनियों ने इस कीमत पर भी खाद की आपूर्ति से हाथ खड़े कर दिए हैं। हालांकि कंपनियों से सरकार ने कम कीमत के दौरान ही एक लाख टन डीएपी और 10 हजार टन एनपीके खरीद लिया था, लेकिन जरुरत 10 लाख टन से ज्यादा की है।
मंत्रालय सूत्रों का कहना है, खाद की कीमत 700 रुपए बढऩे उनकी फसल की लागत बढ़ेगी। अभी किसान फसल के लिए खेतों में तैयारी कर रहे हैं। उन्हें खाद की जरुरत 25 मई के बाद से होगी। खाद की मांग जून से तेजी पकड़ सकती है। तब खाद के लिए संकट की स्थिति निर्मित होने की आशंका है। ऐसे में किसानों को राहत देने के लिए खाद पर सब्सिडी बढ़ाई जा सकती है। हालांकि जारी वित्तीय वर्ष के लिए सब्सिडी की दरों में बदलाव न कर यथावत रखा गया है।
2019 में 900 रुपए थी कीमत
कमलनाथ सरकार जब सत्ता से बाहर हुई थी, तब डीएपी की एक बोरी की कीमत 900 रुपए थी। इसे दिसंबर 2020 में शिवराज सरकार ने 1200 रुपए कर दिया था। अब इसे बढ़ाकर 1900 रुपए कर दिया गया है। जानकारों का कहना है, प्रदेश में अगले माह करीब साढ़े 9 लाख टन खाद की जरुरत पड़ेगी। चूंकि कीमतों में इजाफा हुआ है। खुले बाजार की हालत ठीक नहीं है, तो खाद को लेकर संकट की स्थिति बन सकती है।
पीएम बैठक के अनुसर-
किसानों को डीएपी का एक बैग 2400 रुपये के बजाय अब 1200 रुपये में मिलेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मूल्यवृद्धि के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद मिलना जरूरी है
केंद्र सरकार ने बुधवार को किसानों के हित में खाद सब्सिडी बढ़ाने का बड़ा फैसला किया. सरकार ने डीएपी पर 140 प्रतिशत सब्सिडी बढ़ाई है. बताया जा रहा है कि अब किसानों को डीएपी का एक बैग 2400 रुपये के बजाय अब 1200 रुपये में मिलेगा. सरकार के इस निर्णय से किसानों को डीएपी पर 500 रुपये प्रति बोरी से बढ़कर अब 1200 रुपये प्रति बोरी की सब्सिडी मिलेगी. किसानों को डीएपी का एक बैग 2400 रुपये के बजाय अब 1200 रुपये में मिलेगा. सरकार इस सब्सिडी के लिए 14,775 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय करेगी. प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मूल्यवृद्धि के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद मिलना जरूरी है।
नोट:-
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग देश की खाद्य अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। यह विभाग कई महत्वपूर्ण कार्यों जैसे – खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति, भंडारण एवं वितरण, वितरण एजेंसियों तक खाद्य सामग्री पहुँचाने इत्यादि का संचालन करता है। इस खंड में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं अन्य संबद्ध संस्थानों के सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है। खाद्य सामग्रियों,उपभोक्ता मामले, उपभोक्ता सहकारी समितियों एवं योजनाओं से संबंधित जानकारी भी यहाँ उपलब्ध है।
विभाग का उद्देश्य
खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग का मुख्य उद्देश्य लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत चिन्हांकित परिवारों को पात्रतानुसार रियायती दर पर सामग्री का वितरण कराना, किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने हेतु समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न का उपार्जन करना एवं उपभोक्ता हितों का संरक्षण करना है। प्रदेश में दिनांक 01 मार्च, 2014 से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के प्रावधान अनुसार लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का प्रारम्भ किया गया। पात्र परिवारों में अन्त्योदय अन्न योजना के परिवारों के साथ-साथ प्राथमिकता परिवार के रूप में 24 श्रेणियों को शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में सम्मिलित किया गया। प्राथमिकता परिवार की श्रेणियों में न सिर्फ समस्त बीपीएल परिवार सम्मिलित किए गए अपितु 23 अन्य श्रेणियों के गैर-बीपीएल परिवारों को भी सम्मिलित किया गया। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के प्रावधानानुसार ‘राज्य खाद्य आयोग का दायित्व अंतरिम रूप से मध्यप्रदेश राज्य उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग को दिया गया है तथा प्रत्येक जिले के कलेक्टर को ‘जिला शिकायत निवारण अधिकारी घोषित किया गया है।