सतही और भूमिगत जल की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए रिमोट सेंसिंग और भू-स्थानिक (Geospatial) जैसी नवीनतम तकनीकों के उपयोग से प्रदेश के हर जिले में कम से कम 75 तालाब बनाए जाएंगे। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से मिशन अमृत सरोवर के तहत ये तालाब (सरोवर) बनाए जाएंगे। जिन गांवों में वाटर हार्वेस्टिंग पोटेंशियल के नवीन स्थल उपलब्ध नहीं हैं, वहां पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार कर उनका विकास एवं कायाकल्प किया जाएगा। मिशन अमृत सरोवर के अंतर्गत बनने वाले इन तालाबों को ‘अमृत सरोवर’ नाम दिया गया है।
बारिश के पानी के संरक्षण एवं संचय के लिए इन तालाबों के निर्माण को मिशन का रूप देते हुए इन्हें जल्द से जल्द पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। मनरेगा आयुक्त श्री मोहम्मद कैसर अब्दुलहक ने सभी जिलों के कलेक्टर को परिपत्र जारी कर समय-सीमा के भीतर इस संबंध में कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। मनरेगा राज्य कार्यालय द्वारा जारी परिपत्र के साथ केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा मिशन अमृत सरोवर के लिए तैयार संयुक्त मार्गदर्शिका एवं दिशा-निर्देश भी सभी जिलों को प्रेषित किए गए हैं।
मिशन अमृत सरोवर के अंतर्गत हर जिले में रिमोट सेंसिंग एवं जीओ-स्पेशियल तकनीकों का उपयोग करते हुए कम से कम 75 सरोवरों (तालाबों) का निर्माण किया जाएगा। कम से कम एक एकड़ (0.4 हेक्टेयर) क्षेत्रफल में बनने वाले ऐसे प्रत्येक तालाब की जलधारण क्षमता करीब दस हजार घनमीटर होगी। यदि किसी चिन्हांकित पंचायत में नया अमृत सरोवर बनाने के लिए उपयुक्त जगह नहीं है तो वहां पहले से बने तालाब का पुनरुद्धार या गाद निकासी का कार्य उसकी पारिस्थितिकी और उत्पादक उपयोगिता को बहाल करने के उद्देश्य से लिया जा सकता है।
मनरेगा राज्य कार्यालय द्वारा अमृत सरोवर के निर्माण के लिए स्थल चयन, उनकी सूची तैयार करने, निर्माण की प्रगति की निगरानी एवं तत्संबंधी दस्तावेजों को अपलोड करने के लिए भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस एप्लीकेशन एंड जियोमैटिक्स-नेशनल (बाईसेग-एन) द्वारा विकसित अमृत सरोवर पोर्टल के उपयोग के निर्देश दिए गए हैं। अमृत सरोवर के निर्माण के लिए स्थल चयन को अंतिम रूप देते समय पेयजल के लिए पानी की कमी वाले विकासखण्डों पर विशेष ध्यान देने कहा गया है। चयनित सभी स्थलों पर सरोवर के निर्माण के लिए ग्राम सभा का अनुमोदन अनिवार्य होगा। अमृत सरोवर के निर्माण और विकास कार्य की निगरानी के लिए ग्रामसभा द्वारा एक पंचायत प्रतिनिधि का भी चयन किया जाएगा। अमृत सरोवर के निर्माण के लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों के गांवों के चिन्हांकन को प्राथमिकता देने के भी निर्देश जिलों को दिए गए हैं।