भारत में राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को है इसके बाद 21 जुलाई को वोटों की काउंटिंग होगी. इस चुनाव में संसद के दोनों सदनों के अलावा देशभर के विधायक शिरकत करते हैं. उनके वोटों के आधार पर तय होता है कि कौन जीतेगा. जहां राष्ट्रपति के चुनाव में अप्रत्यक्ष तौर पर पूरे देश के निर्वाचित सांसद और विधायक हिस्सा लेते हैं, वैसा उपराष्ट्रपति चुनाव में नहीं होता.
देश में उप राष्ट्रपति के लिए अगस्त 2022 में चुनाव होने की संभावना है. उसकी चुनाव प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है लेकिन जुलाई के पहले या दूसरे हफ्ते चुनाव आयोग की घोषणा के साथ इसकी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
देश में पहली बार उपराष्ट्रपति का चुनाव 1952 में राष्ट्रपति चुनाव के साथ ही शुरू हुआ था. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के पहले उपराष्ट्रपति बने थे. वो दो कार्यकाल तक इस पद पर रहे. उप राष्ट्रपति का कार्यकाल भी पांच साल का ही होता है. ये चुनाव इसलिए अहम है क्योंकि उप राष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति भी होता है.
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद से ही विधानसभाओं का रोल नहीं
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है. संसद के दोनों सदनों के सदस्य इसमें हिस्सा लेते हैं और हर सदस्य केवल एक वोट ही डाल सकता है. राष्ट्रपति चुनाव में चुने हुए सांसदों के साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उप राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते है.
दोनों सदनों के लिए मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते लेकिन वे उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग कर सकते हैं (File Photo)
क्या मनोनीत सदस्य कर सकते हैं वोट
दोनों सदनों के लिए मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते लेकिन वे उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग कर सकते हैं. इस तरह से देखा जाए तो उप राष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 निर्वाचक हिस्सा लेंगे.
राज्यसभा – चुने हुए सदस्य: 233, मनोनीत सदस्य: 12
लोक सभा – चुने हुए सदस्य: 543, मनोनीत सदस्य: 2