सेना में चार साल के लिए युवाओं को अग्निवीर के तौर पर भर्ती की अग्निपथ योजना का विरोध बढ़ता जा रहा है। प्रदेश के विभिन्न शहरों में बृहस्पतिवार को योजना के खिलाफ सेना भर्ती के हजारों अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए व जुलूस निकालते हुए उग्र प्रदर्शन किया।
सेना की रेजिमेंटल प्रणाली में अग्निपथ स्कीम सेे कोई बदलाव नहीं होगा। पहले साल में भर्ती होने वाली अग्निवीरों की संख्या कुल सशस्त्र सैन्य बलों का तीन प्रतिशत होगी। देश के कई हिस्सों में इस नई स्कीम के खिलाफ युवाओं द्वारा किए जा रहे हिंसक प्रदर्शन के बीच सरकारी सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि स्कीम का लक्ष्य युवाओं के लिए सैन्य बलों में अवसर बढ़ाना है। इसके तहत सशस्त्र सेना में मौजूदा एनरोलमेंट से करीब तीन गुना सैनिकों की भर्ती होगी। हालांकि इसकी निश्चित समय अवधि अभी नहीं बताई जा सकती। उल्लेखनीय है कि सरकार ने थल सेना, वायुसेना और नौसेना में चार साल के अनुबंध पर सैनिकों की भर्ती के लिए यह योजना शुरू की है।
अग्निपथ योजना आर्मी आयु सीमा
इसे दशकों पुरानी सेना भर्ती प्रणाली में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इसके तहत साढ़े 17 से 21 साल के युवाओं को सेना के तीनों अंगों में शामिल किया जाएगा। चार साल की सेवा पूरी होने पर 25 प्रतिशत को नियमित सेवा में रखा जाएगा, वहीं 4 में से 3 अग्निवीर आगे सेवा जारी नहीं रख पाएंगे। उनके लिए सरकार शिक्षा, नौकरी व कारोबार के लिए कई अन्य विकल्प पेश कर रही है।
रेजिमेंटों को मिलेंगे श्रेष्ठ अग्निवीर : सूत्रों ने बताया कि अग्निपथ योजना से कई रेजिमेंटों की संरचना को लेकर संशय जताए जा रहे थे। इनमें निश्चित क्षेत्र या राजपूत, जाट, सिख आदि जातियों से भर्तियां होती हैं। सूत्रों के मुताबिक अग्निपथ से रेजिमेंटल प्रणाली पर कोई असर नहीं होगा। बल्कि उन्हें श्रेष्ठ अग्निवीर मिलेंगे। इससे उनकी यूनिटों का सामंजस्य और बेहतर होगा।
सेना के अधिकारियों ने बताया कि पहले साल अग्निवीरों का सेना में अनुपात बहुत बेहिसाबी नहीं होगा। इस योजना के तहत नियुक्त जवानों का प्रदर्शन चार साल बाद परखकर उन्हें फिर सेना में शामिल किया जाएगा। ऐसे में सेना को सुपरवाइजर रैंक के लिए जांचे-परखे लोग मिलेंगे।
कई देशों में है छोटा सेवा कार्यकाल
अग्निवीरों के छोटे कार्यकाल से सेना पर असर पड़ने को लेकर भी चिंता जताई जा रही है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि कई देशों में ऐसी ही जांची परखी व्यवस्था है। चार साल पूरे करने पर अग्निवीरों के प्रदर्शन को फिर परखा जाएगा और 25% को सेवा में रखा जाएगा। नई स्कीम से लंबे समय में युवा और अनुभवी सैनिकों का अनुपात 50-50% हो जाएगा।
अग्निपथ योजना 2022 क्या है
योजना सेवारत सैन्य अधिकारियाें से 2 साल तक विस्तृत चर्चा के बाद लाई गई है। इसका प्रस्ताव सैन्य अधिकारियों के विभाग ने तैयार किया, जो सैन्य अधिकारी हैं। सूत्रों ने कहा कि अग्निवीर सेना से निकल कर समाज के लिए खतरा बन सकते हैं, ऐसा सोचना भारतीय सैन्य बलों के मूल्यों और परंपराओं का अपमान है।
सवाल-जवाब :अग्निवीरों को मिलेंगे नौकरी, पढ़ाई और कारोबार के पूरे अवसर
अग्निवीरों के भविष्य और अग्निपथ स्कीम को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां सामने आ रही हैं, जिन्हें सरकारी सूत्रों ने नकारते हुए तथ्य जारी किए हैं। पढ़िए इनके बारे में।
1 भ्रांति : अग्निवीरों का भविष्य असुरक्षित है।
तथ्य : भविष्य में यह होगा।
- जो युवा उद्यमी बनने के इच्छुक हैं, उन्हें वित्तीय पैकेज व बैंक लोन मिलेंगे
- जो आगे पढ़ने के इच्छुक हैं, उन्हें 12वीं के समकक्ष प्रमाणपत्र देकर ब्रिज कोर्स करवाया जाएगा
- जो जॉब करना चाहते हैं, उन्हें केंद्रीय सशस्त्र सुरक्षा बलों व राज्य पुलिस में प्राथमिकता मिलेगी
- कई अन्य सेक्टर भी इन अग्निवीरों के लिए खोले जाएंगे।
2 भ्रांति : अग्निपथ की वजह से युवाओं के लिए अवसर घटेंगे
तथ्य : युवाओं के लिए सशस्त्र सैन्य बलों में जाने के अवसर बढ़ेंगे। आज सशस्त्र सेनाओं में जितनी संख्या है, अग्निवीरों की भर्ती इससे तीन गुना होगी।
3 भ्रांति : रेजिमेंटल निष्ठा पर असर पड़ेगा
तथ्य : सरकार रेजिमेंटल प्रणाली में कोई बदलाव नहीं कर रही है। बल्कि यह प्रणाली और मजबूत बनेगी क्योंकि यहां श्रेष्ठ अग्निवीर चुनकर आएंगे, इससे सामंजस्य में और भी सुधार आएगा।
4 भ्रांति : इससे सशस्त्र सैन्य बलों की कार्यक्षमता को नुकसान होगा।
तथ्य : अधिकतर देशों में छोटी अवधि के लिए सैन्य भर्ती व्यवस्था है, यह युवा और चुस्त सेना के लिए अच्छी मानी जाती है। पहले साल में भर्ती होने वाले अग्निवीर कुल सशस्त्र सैन्य बल के 3% होंगे। उनका प्रदर्शन जांच कर चार साल बाद सेना में फिर शामिल किया जाएगा। इस प्रकार सेना को वरिष्ठ रैंक पर जांचे-परखे सैनिक मिलेंगे।
5 भ्रांति : सेना के लिए 21 साल के सैनिक अपरिपक्व और विश्वास के काबिल नहीं होंगे।
तथ्य : विश्व की अधिकतर सेनाएं युवाओं पर निर्भर हैं। किसी भी समय सेना में अनुभवी लोगों से युवाओं की संख्या ज्यादा नहीं होगी। बल्कि अग्निपथ योजना से भी धीरे-धीरे 50-50 प्रतिशत युवा व अनुभवी वरिष्ठ रैंक अधिकारियों का अनुपात कायम होगा।
6 भ्रांति : सेना के लिए खतरा, आतंकियों से मिल सकते हैं।
तथ्य : ऐसा सोचना सेना के मूल्यों और प्रतिष्ठा का अपमान है। जो युवा 4 साल सेना की यूनिफॉर्म पहनेंगे, वे देश के प्रति समर्पित रहेंगे। हजारों सैनिक रिटायर होते हैं, लेकिन ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया, जिसमें वे देश विरोधी ताकतों से मिल गए हों।
अग्निवीरों के 12वीं प्रमाणपत्र के लिए होगा विशेष प्रोग्राम
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) रक्षा अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर 10वीं कक्षा पास कर अग्निपथ सेवा में आने वाले अग्निवीरों को 12वीं का प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए एक विशेष प्रोग्राम तैयार करेगा। इसके तहत अग्निवीरों के लिए विशेष रूप से तैयार कोर्स शुरू किए जाएंगे जो उनके सेवा क्षेत्र के हिसाब से प्रासंगिक होगा। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 12वीं का यह प्रमाणपत्र सिर्फ रोजगार के लिए ही नहीं बल्कि आगे की शिक्षा के लिए भी पूरे देश में मान्य होगा।
सैनिकों की औसत उम्र 32 से 25 वर्ष करने में मदद मिलेगी : ब्रह्म चेलानी
सुरक्षा मामलों के विश्लेषक ब्रह्म चेलानी ने अग्निपथ योजना का समर्थन करते हुए कहा कि इसकी मदद से सेना के जवानों की मौजूदा औसत उम्र को 32 वर्ष से घटाकर 25 वर्ष करने में मदद मिलेगी। भारत के शोरगुल भरे लोकतंत्र में हर सुधार का विरोध होता हैं। इसके अलावा सर्वश्रेष्ठ में से भी सर्वश्रेष्ठ युवाओं को स्थायी तौर पर सेना में शामिल होने का मौका मिलेगा। बाकी पुलिस व अन्य सेवाओं में शामिल हो सकते हैं। नए भर्ती के नियमों से भारतीय सेना में मूलभूत सुधारों में भी मदद मिलेगी।
आर्थिक सशक्तीकरण के साथ देशसेवा का मिलेगा सुनहरा अवसर : मेजर जनरल एम. श्रीवास्तव, (रिटायर्ड), विशिष्ट सेवा मेडल
मोदी सरकार ने भारतीय युवाओं के लिए सशस्त्र बलों में सेवा के लिए ‘अग्निपथ’ योजना को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी पहल से देश के भावी निर्माता युवाओं में क्षमताओं व कौशल का निर्माण होगा। साथ ही देश का रक्षातंत्र और भी सशक्त होगा। इस योजना के नतीजे में भारतीय सशस्त्र बलों की औसत आयु 4-5 वर्ष कम होने से सैन्यबलों को युवा चेहरा मिलेगा। ऐसा नहीं कि 4 साल बाद अग्निवीरों को आगे सशस्त्र बलों में काम करने का अवसर नहीं मिलेगा। इनमें से सबसे बेहतरीन 25 फीसदी अग्निवीरों को नियमित कैडर में जगह मिलेगी।
सेना को भी ये आजादी होगी कि वे सबसे बेहतरीन 25 प्रतिशत सैनिकों को रखें। इससे सैन्य कौशल भी और सुदृढ़ होगा। यह योजना हवा-हवाई नहीं, सेना के ही वरिष्ठ अधिकारियों ने काफी सोच-विचार कर इसे तैयार किया है। पुराने लोगों को तकनीकी तौर पर सशक्त करना मुश्किल होता है लेकिन वर्तमान पीढ़ी तकनीकी मामले में ज़्यादा सक्षम है। इसलिए, इन्हें और सशक्त करने में कोई मुश्किल नहीं होगी। इस्राइल, रूस, ब्राजील, ग्रीस, ईरान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड, तुर्की, यूएई, नॉर्वे, मेक्सिको दुनिया में ऐसे 16 देश ऐसे हैं, जहां पर अनिवार्य सैन्य सेवा लागू है। सैन्य सेवा से मना करने पर सजा भी भुगतनी पड़ती है। कई देशों में तो इस सेवा के बदले युवाओं को जेब खर्च के अलावा कुछ भी नहीं दिया जाता।
भारत इस मामले में युवाओं को आज़ादी देता है। साथ ही, अग्निवीर योजना के माध्यम से उन्हें न केवल दुनिया की सबसे अनुशासित और पेशेवर सेना के साथ काम करने का अवसर दे रहा है, बल्कि वेतन, बीमा सुरक्षा, चार साल पूरे होने पर सेवा निधि आदि से उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त भी कर रहा है। योजना के तहत चार साल में 1.86 लाख अग्निवीरों की भर्ती होगी। ये चार साल हमें ये समझने का समय देंगे कि क्या युवा इससे आकर्षित हो रहे हैं या नहीं, क्या वो यूनिट से जुड़ पा रहे हैं।
साथ ही, सरकार को भी यह तय करने में आसानी होगी कि यह योजना उसकी उम्मीदों पर खरी उतर रही है या नहीं। इस तरह सरकार, इस पर आगे और भी वैज्ञानिक कदम उठा सकती है। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि अग्निवीरों को केंद्रीय सशस्त्र बलों और असम राइफल्स में भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, असम और हरियाणा सरकार ने भी पुलिस और अन्य भर्तियों में प्राथमिकता देने का ऐलान किया है। यूजीसी ने भी कहा है कि आयोग अग्निवीरों के कौशल को मान्यता दिलाएगा।
शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि अग्निवीरों के लिए तीन साल का कौशल प्रशिक्षण आधारित डिग्री कोर्स शुरू किया जाएगा। चार साल भारतीय सेना में सेवा देने के दौरान प्राप्त कौशल का लाभ उन्हें सेना छोड़ने के बाद दूसरे क्षेत्रों में मिल सकेगा लेकिन उन्हें बेहतर अवसर आगे भी मिले, इस पर सरकार के शुरुआती कदम स्वागतयोग्य हैं लेकिन सरकार को इसके कार्यान्वयन के लिए एक बेहतर और मजबूत मैकेनिज्म बनाने की जरूरत है।