प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना को दो वर्ष पूरे हो गए हैं। इस संक्षिप्त कार्यकाल में गौठानों के जरिए समूह स्वावलम्बी हो रहे हैं। गोबर से आय के नवाचार के साथ ही रासायनिक खाद के विकल्प के तौर पर जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) तैयार कर जनमानस को सेहतमंद खाद्यान्न की ओर अग्रसर किया जा रहा है। इन गौठानों में बहुआयामी गतिविधियों के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता भी आई है। जिले के 274 सक्रिय गौठानों में अब तक 3 लाख 62 हजार 800 क्विंटल खरीदकर 7 करोड़ 29 लाख 60 हजार रूपए की आमदनी 10 हजार 279 पशुपालकों को हुई है।
शासन के निर्देशानुसार जिले के गौठानों को सुविधायुक्त बनाया जा रहा है, जहां बाउण्ड्रीवॉल, तार एवं बाड़ फेंसिंग, पानी के लिए सोलर पम्प एवं मैनुअल बोर, वर्मी टांके, कोटना सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं तैयार की गई है। जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 266 और शहरी क्षेत्र में 8 गौठान स्थित हैं। इनमें लगभग 69 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट और साढ़़े 9 हजार क्विंटल सुपर कम्पोस्ट तैयार किया गया है, जिनके विक्रय का प्रतिशत क्रमशः 81 एवं 54 फीसदी है। लगभग सभी गौठानों की जीमैप एंट्री पूर्ण हो चुकी है। जिले में 45 ऐसे गौठान हैं जहां पर प्रसंस्करण इकाई स्थापित किया जाना प्रस्तावित है, जिनमें तेल मिल, दाल मिल, आटा मिल, मिनी राइस मिल आदि की स्थापना की जानी है। इनमें से 15 गौठानों में प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जा चुकी है। इनमें से 290 गौठानों में बहुआयामी गतिविधियां संचालित की जा रही हैं जहां पर 146 में शाक-सब्जी उत्पादन, 30 में मशरूम उत्पादन, 38 में बकरीपालन, 62 में मुर्गीपालन, 17 में मछलीपालन किया जा रहा है। उक्त मल्टी एक्टिविटी से समूहों को ढाई लाख रूपए का लाभांश प्राप्त हो चुका है।
इसी तरह ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रिपा) के अंतर्गत प्रथम चरण में 23 गौठानों का चयन किया गया है, जिनमें धमतरी विकासखण्ड के छह गौठान भटगांव, पोटियाडीह, परसतराई, सारंगपुरी, देवपुर और अछोटा, कुरूद विकासखण्ड के 07 गौठान, गातापार को., हंचलपुर, पचपेड़ी, भेण्डरा, चटौद, कातलबोड़ और कठौली, मगरलोड के 5 गौठान भेण्ड्री, भरदा, सौंगा, परेवाडीह, केकराखोली और नगरी विकासखण्ड के पांच गौठान छिपली, सांकरा, उमरगांव, भुरसीडोंगरी और गढ़डोंगरी रै. का चयन किया गया है। इन गौठानों में मल्टीएक्टिविटी के तौर पर तेल मिल, दाल मिल, आटा मिल, मिनी राइस मिल, मसाला युनिट, लघु धान्य, लघु धान्य प्रसंस्करण, एलोवेरा प्रसंस्करण, जूट बैग निर्माण, दूध प्रोसेंसिंग युनिट, सिलाई युनिट, सटरिंग प्लेट, हैण्डलूम निर्माण, रंगाई यॉर्न युनिट, बटन मशरूम युनिट, अगरबत्ती निर्माण, वॉशिंग पावडर, इकाई के अलावा आजीविकामूलक गतिविधियों में सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन, मुर्गीपालन, बकरीपालन, मछलीपालन, बटेरपालन, फूलों की खेती, मोमबत्ती निर्माण आदि की कार्ययोजना तैयार कर गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।
गोधन न्याय योजना के दो वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार (योजना, नीति, कृषि एवं ग्रामीण विकास) श्री प्रदीप शर्मा ने जमीनी स्तर के अधिकारियों की बैठक लेकर इसे और बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए समूहों के सुदृढ़ीकरण पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि जिन पशुपालकों को गौठानों में जाकर गोबर बेचने में परेशानी होती है, समूह के सदस्य के द्वारा उनके घर जाकर गोबर संग्रहित करने का काम भी किया जा सकता है।