श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में देश-दुनिया के भक्त बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. सभी अपनी-अपनी क्षमता के मुताबिक दान भी दे रहे हैं. इसीलिए अब तक के इतिहास में इस वित्तीय वर्ष में रिकार्ड चढ़ावा विश्वनाथ मंदिर को मिला. यही नहीं, पिछले दिनो गुप्त दान में मिले करीब 60 किलो सोने से मंदिर के गर्भगृह और बाहरी दीवारों को स्वर्ण मंडित किया गया. स्वर्णिम आभा से दमक रहे महादेव के दरबार मे अब तमिलनाडु के भक्त ने चांदी का पलंग अर्पित किया है. ये पलंग 25 किलो चांदी से बनकर तैयार हुआ है.
स्वर्णिम आभा से दमक रहे महादेव के दरबार मे अब तमिलनाडु के भक्त ने चांदी का पलंग अर्पित किया है। ये पलंग 25 किलो चांदी से बनकर तैयार हुआ है।
यूं तो आस्था की कोई कीमत नहीं होती लेकिन इस चांदी के पलंग का बाजारी मूल्य करीब 12 लाख बताया जा रहा है. अब बाबा रात में शयन आरती के बाद इसी पर विश्राम करेंगे. चांदी का ये पलंग गर्भगृह में रखा जाएगा.
बता दें कि 1780 के करीब इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोदार कराया था. जिसके बाद 1835 में पंजाब के तत्कालीन महाराजा रणजीत सिंह ने विश्वनाथ मंदिर के दो शिखरों को स्वर्ण मंडित कराया था.
उस वक्त महाराजा रणजीत सिंह ने करीब साढ़े 22 मन सोना दिया था. यानी करीब 187 साल बाद बाबा दरबार में दोबारा सोना मढ़ा गया.
शुक्रवार को मिले चांदी के पलंग को पहले वाराणसी के सिगरा स्थित नाटकोटम क्षेत्रम शिव मंदिर में रखा गया. जहां तीन दिवसीय महारुद्र यज्ञ के अनुष्ठान के आरंभ के साथ इसकी पूजा अर्चना की गई. दक्षिण भारत के करीब 108 ब्राहमणों के जरिए अनुष्ठान किया गया.
दक्षिण भारत के करीब 108 ब्राहमणों के जरिए अनुष्ठान किया गया. अनुष्ठान के बाद ये चांदी का पलंग बाबा दरबार को सौंप दिया जाएगा. यानी स्वर्णिम आभा वाले दरबार में विराजमान बाबा विश्वनाथ अब इस चांदी के पलंग पर रात्रि विश्राम करेंगे.