हुरून ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2022 की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल की पहली तिमाही में दुनिया भर में कुल 254 यूनिकॉर्न बने, इसमें सबसे अधिक अमेरिका में 138 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुए. हालांकि यह पहला मौका नहीं है कि भारत ने यूनिकॉर्न की रेस में चीन को पीछे छोड़ा दिया है.
नई दिल्ली. कोरोना महामारी और यूक्रेन संकट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था भारतीय कंपनी नित नए ऊंचाइयों और कीर्तिमानो को छूते जा रही है. भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है . इसके साथ ही साथ जनवरी से जुलाई 2022 के बीच नई यूनिफॉर्म जोड़ने के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है. 2022 की पहली छमाही में भारत में 14 स्टार्टअप ने 1 अरब डॉलर ( 7981 करोड़ रुपये) से अधिक का वैल्यूएशन हासिल किया अर्थात यूनिकॉर्न बने. जबकि इसी दौरान चीन में महज 11 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने.
हुरून ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2022 की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल की पहली तिमाही में दुनिया भर में कुल 254 यूनिकॉर्न बने, इसमें सबसे अधिक अमेरिका में 138 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुए. हालांकि यह पहला मौका नहीं है कि भारत ने यूनिकॉर्न की रेस में चीन को पीछे छोड़ा दिया है. इससे पहले भी वित्तीय वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में भारत ने 10 नए यूनिकॉर्न जुड़े थे जबकि इसी दौरान चीन और हांगकांग में 7- 7 में यूनिकॉर्न जुड़े थे. हालांकि यूनिकॉर्न की कुल संख्या के लिहाज से अमेरिका और चीन के बाद भारत का तीसरा स्थान है.
भारत 100 यूनिकॉर्न क्लब में हो चुका है शामिल
भारत के 100 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो चुके है. भारत के इस उपलब्धि पर पीएम नरेंद्र मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया था कि लगभग 75 महीने पहले हमने स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम शुरु किया था. तब स्टार्ट अप इकोसिस्टम के रूप में हमारी गिनती कहीं नहीं होती थी.आज हम यूनिकॉर्न्स के मामले में दुनिया में नंबर-3 पर हैं. आज स्टार्ट अप्स के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम हिंदुस्तान है.
इन कंपनियो का होता है यूनिकॉर्न क्लब
जानकारी के मुताबिक एक अरब डॉलर से अधिक मूल्य वाली कंपनियों को यूनिकॉर्न क्लब में शामिल किया जाता है. ट्रेड संगठन से जुड़े प्रवीण खंडेलवाल का मानना है कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती ताकत को बताता है. उनका कहना है कि भारत अब सिर्फ उपभोक्ता के तौर पर नहीं बल्कि उत्पादक और निर्यातक के तौर पर विश्व पटल में उभर रहा है. यही कारण है कि भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में 400 बिलियन डॉलर के वस्तुओं के निर्यात के लक्ष्य को हासिल किया था.
खंडेलवाल कहते हैं कि इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काफी काम किए गए है. वे इसके लिए कई मामलों में सिंगल विंडो सिस्टम पीएलआई किसकी जैसे प्रोत्साहन हो प्रमुख कारण मानते हैं. साथ ही साथ पीएम नरेंद्र मोदी के ब्रांड भारत के तौर पर विकसित होने और सरकार की नीतियों में निरंतरता को भी महत्वपूर्ण कारक मांगते हैं.
5000 से अधिक व्यापार से जुड़े कानूनों में बदलाव
खंडेलवाल का कहना है कि एक अनुमान के अनुसार भारत मे पिछले 7-8 साल में 5000 से अधिक व्यापार से जुड़े कानूनों में बदलाव किए है जिसका प्रभाव हम इन आर्थिक उपलब्धियों में देखते हैं . हालांकि उनका कहना है कि अभी भी कई कानूनों में बदलाव किए जाने बाकी है. खंडेलवाल इसके साथ ही साथ शिक्षा पद्धति को भी इंडस्ट्री और इसके जरूर तो के मुताबिक बनाने की बात करते हैं. हालांकि उनका कहना है कि नई शिक्षा नीति में इसके लिए काफी प्रयास किए गए हैं.
“इज ऑफ डूइंग बिजनेस की रेटिंग में सुधार”
बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला का मानना है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में वर्क कल्चर को बदला है. इसके साथ ही साथ देश में इज ऑफ डूइंग बिजनेस की रेटिंग में काफी सुधार आया है. अब काम को कर्तव्य के तौर पर देखा जा रहा है और किसका सकारात्मक परिणाम सामने आ रहा है. शहजाद पूनावाला का कहना है कि यूनिकॉर्न की बढ़ती संख्या मोदी सरकार की सकारात्मक सोच का ही परिणाम है.