Home जानिए ब्रिटेन के नए टोरी प्रधानमंत्री के सामने क्या-क्या होंगी चुनौतियां?

ब्रिटेन के नए टोरी प्रधानमंत्री के सामने क्या-क्या होंगी चुनौतियां?




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

ब्रिटेन (Britain) में लिस ट्रस के बाद अब अगले प्रधानमंत्री (Prime Minister) के लिए राह आसान नहीं होगी. यह पद नए प्रधानमंत्री के लिए किसी कांटों भरे ताज से कम नहीं होने वाला है. आर्थिक मोर्चे (Economic Front) के अलावा सार्वजनिक मोर्चे पर कर्मचारियों का असंतोष शांत करना भी कम बड़ी चुनौती नहीं होगी. इसके अलावा ऊर्जा, रक्षा और अंतरराष्ट्रीय पर राह आसान नहीं है.

हाइलाइट्स

ब्रिटेन में लिज ट्रस के इस्तीफे से नए टोरी प्रधानमंत्री के चयन की प्रक्रिया चल रही है
इस बार प्रधानंमत्री पद की दौड़ में ऋषि सुनक सबसे आगे चल रहे है.
नए पीएम के लिए कई मोर्चों पर कठिन चुनौतियां इंतजार कर रही हैं.

इस समय ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी (Conservative Party of Britain) में नए प्रधानमंत्री (New Prime Minister of Britain) के चयन की कवायद चल रही है. दुनिया की निगाहे इसी पर टिकी हुई हैं कि क्या इस पद के सबसे मजबूत दावेदार ऋषि सुनक को कोई अन्य टोरी नेता पीछे छोड़ सकेगा या नहीं. लेकिन उससे भी अहम सवाल जिनके जवाब तलाशे जा रहे हैं. इसमें सबसे अहम सवाल यही है कि आखिर नए ब्रिटिश पीएम देश की आर्थिक चुनौती से कैसे निपटेंगे. इतना ही नहीं बहुत सारी चुनौतियां नए प्रधानमंत्री (Challenges for New Prime Minister of Britain) का इंतजार कर रही हैं और यह ताज इस बार का बहुत सारे कांटों से भरा होगा.

आर्थिक मोर्चे की सबसे बड़ी चुनौती
इस समय ब्रिटेन की सबसे बड़ी समस्या आर्थिक समस्या ही है और इसी की वजह से लिज ट्रस की कुर्सी भी गई थी. खजाना पहले से ही गहरे संकट में हैं, अंतरिम चांसलर जेर्मी हंट पहले ही एक योजना पर काम कर रहे हैं जिससे 31 अक्टूबर तक कोई राहत मिल सके, लेकिन उसके लिए उन्हें बड़ी कटौती करनी होगी. नए पीएम को यह तय करना होगा यह कटौती किस तरह की और कितनी होगी या फिर इसकी जगह या इसके साथ करों में इजाफे से काम चलाना पड़ेगा.

सार्वजनिक क्षेत्र में देनदारी
महंगाई के साथ लोगों को लाभ में बढ़ोत्तरी सबसे बड़े चुनौती भरे कार्यों में से एक होगा. पार्टी में कई लोग इसके पक्ष में हैं और वे इससे इतर कुछ भी पार्लियामेंट में पास होने देंगें इसमें संदेह है. इसी के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की देनदारी भी महंगाई से जुड़ी एक बड़ी समस्या है. स्वस्थ्य सेवाओं के कर्मचारी, नर्सें, एंब्युलेंस ड्राइवर, शिक्षक,ट्रेन चालक, सिविल सेवक, और बहुत सारे सर्वजनिक सेवक इन सर्दियों में स्ट्राइक का विचार कर रहे हैं, क्योंकि उनकी तन्ख्वाह में से कटौती कर दी गई है.

स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियां
कोविड के कारण ब्रिटेन में स्वास्थ्य सेवाएं पहले ही चरमरा गई हैं. आने वाला सर्दी का मौसम भी कोविड और फ्लू की चुनौती से दो चार करा सकता है. स्टाफ का उत्साह खो चुका है, अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं में लंबी प्रतीक्षा सूची चल रही है. नए प्रधानमंत्री को स्वास्थ्य सेवाओं पर दबावों से निपटने की कठिन चुनौती इंतजार कर रही है जिसके और गंभीर होने की ज्यादा संभावना है.

ऊर्जा की चुनौती
रूस यूक्रेन युद्ध के कारण पूरे यूरोप में ऊर्जा संकट छाया हुआ है और ब्रिटेन इससे अछूता नहीं हैं. यूं तो सरकार ने पहले ही अप्रैल तक कि ऊर्जा विधेयक के लिए समर्थन जुटा लिया है, लेकिन उसके बाद की स्थिति से निपटना बहुत ही बड़ी चुनौती होगी क्योंकि नए प्रधानमंत्री को यह तय करना होगा कि ऊर्जा के मामले में लोगों को कितनी सब्सिडी दी जाए. खुद लिज ट्रस ने ऊर्जा बचत अभियान का विरोध किया था. यानि मुश्किल यहां भी छोटी नहीं है.

ऊर्जा की चुनौती
रूस यूक्रेन युद्ध के कारण पूरे यूरोप में ऊर्जा संकट छाया हुआ है और ब्रिटेन इससे अछूता नहीं हैं. यूं तो सरकार ने पहले ही अप्रैल तक कि ऊर्जा विधेयक के लिए समर्थन जुटा लिया है, लेकिन उसके बाद की स्थिति से निपटना बहुत ही बड़ी चुनौती होगी क्योंकि नए प्रधानमंत्री को यह तय करना होगा कि ऊर्जा के मामले में लोगों को कितनी सब्सिडी दी जाए. खुद लिज ट्रस ने ऊर्जा बचत अभियान का विरोध किया था. यानि मुश्किल यहां भी छोटी नहीं है.

ऊर्जा की चुनौती
रूस यूक्रेन युद्ध के कारण पूरे यूरोप में ऊर्जा संकट छाया हुआ है और ब्रिटेन इससे अछूता नहीं हैं. यूं तो सरकार ने पहले ही अप्रैल तक कि ऊर्जा विधेयक के लिए समर्थन जुटा लिया है, लेकिन उसके बाद की स्थिति से निपटना बहुत ही बड़ी चुनौती होगी क्योंकि नए प्रधानमंत्री को यह तय करना होगा कि ऊर्जा के मामले में लोगों को कितनी सब्सिडी दी जाए. खुद लिज ट्रस ने ऊर्जा बचत अभियान का विरोध किया था. यानि मुश्किल यहां भी छोटी नहीं है.

पेंशन और भत्तों मे कटौती
सरकार के समाने सबसे बड़ी चुनौती इन समस्याओं को हल करने के साथ ही अपने वोटरों को खुश रखना होगी. महंगाई के कारण पेंशन और भत्तों को बढ़ाने का दबाव भी है. ऐसा करने से सरकार पर और ज्यादा बोझ बढ़ेगा जिससे समस्या और गंभीर होगी. और कटौती का मतलब सीधे सीधे वोटरों को नाराज करना होगा.

ब्रिटेन का रक्षा खर्च में इजाफा भी एक मुद्दा है जिसे साल 2030 तक जीडीपी का 3 प्रतिशत तक बढ़ाना तय किया जा चुका है. रक्षा सचिव इस नीति पर कायम रहने की बात कर रहे हैं. इसके अलावा प्रवासी नीति में संतुलन,  विदेशी सहायता में निवेशकों को विश्वास की बहाली, पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के खिलाफ चल रही जांच, आदि कई ऐसे मुद्दे है जो नए प्रधानमंत्री की परीक्षा साबित होंगे.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें NewsBharat24x7 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट NewsBharat24x7 हिंदी |