जांजगीर-चाम्पा साल के अंत में राज्य में विधान सभा का चुनाव होना है। जांजगीर-चांपा जिले में नए नेतृत्व को मौका देने की मांग उठ रही है । आम लोगो के बीच से जनसरोकार से जुड़े जन नेता व भुतपुर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राघवेन्द्र पाण्डेय का नाम सामने आ रहा है,जिन्हें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रुप में देखा जा रहा है।
विधायक बनना नही, मकसद तस्वीर बदलना है।
हालांकि उन्होंने साफ कहा है कि मेरा सपना विधायक बनना नहीं,मेरा मकसद, जांजगीर-चांपा की तस्वीर बदलना है। जन-भावनाओं के अनुरूप मुझे कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ने की जवाबदारी दी जाए तो जनता की आवाज बनकर मैदान में रहूंगा। उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में जांजगीर-चांपा के विकास को लेकर आम जनता संतुष्ट नहीं है। गांव से लेकर शहर तक होटल,किराना पान दुकान, गली मोहल्ले चौक-चौराहों निजी एवं शासकीय दप्तरों से लेकर विभिन्न सोशल साइट्स में लोग जिले के आधा-अधुरे विकास की चर्चा करते है ।
इन मुद्दों को लेकर 28 वर्षो से मुखर हैं पाण्डेय
अपने आंदोलनों व जन सरोकारों के मुद्दे पर राघवेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि वर्ष 1995 के जर्जर सड़को के नव-निर्माण की मांग को लेकर 13 घंटे तक के छात्र महा चक्काजाम का नेतृत्व कर जनता की आवाज उठाई थी,तब से लोगों के हक में मेरा संघर्ष आज तक जारी है। जिला चिकित्सालय की स्थापना की मांग को लेकर वर्ष 2000 में सर्वदलीय मोर्चा के बेनर तले हम आम लोगों ने 13 घंटे तक का चक्काजाम किया था।वर्ष 2007 में जिला चिकित्सालय के लोकार्पण के लिए हम आम लोगों ने ही शासन-प्रशासन को मजबूर किया था तथा स्थानीय मुद्दों को लेकर इसी वर्ष एक बार फिर और तीसरी बार मैंने चक्का जाम का नेतृत्व किया था। बिजली की समस्या को लेकर अधीक्षण यंत्री के कार्यालय में भी ताला ठोका था और अधिकारियों को बंधक बनाया था लिखित में शर्त मानने पर ताला खुला था तथा एक सप्ताह में ही हम लोगों ने 19 गांव में बंद पड़े ट्रांसफार्मर को बदलवाया था। शहर में अंग्रेजी शराब दुकान को हटाने आबकारी आयुक्त को राजधानी से जांजगीर-चांपा आना पड़ा था। स्थानीय समस्याओं को लेकर जब हम आम लोग नगर पालिका पहुंचा थे तो सीएमओ को चेंबर छोड़कर भागना पड़ा थाउनकी स्थान पर कलेक्ट्रेट छोड़कर अपर कलेक्टर को नगर पालिका आना पड़ा था। श्री पाण्डेय ने कहा कि ऐसे अनेक आंदोलनो में आम लोगों के साथ मैने सडक में संघर्ष किया है।
कब तक संघर्ष करें निर्णायक लड़ाई जरूरी
उनका कहना है कि अगर इच्छा शक्ति हो तो जांजगीर-चाम्पा को देश का टाप वन जिला बनाया जा सकता है। अफसोस यहां आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जनता को सड़क पर संघर्ष करना पड़ता है, उन्होंने कहा कि आखिर कब तक हम अपने हक के लिए सड़क पर संघर्ष करते रहेंगे।
सदन में जनता की पैरवी की जिम्मेदारी मिले।
“सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सहीत डेवलपमेंट के सभी मुद्दों पर आम लोगों ने सड़क पर संघर्ष किया है। मैं अपनी आखरी सांस तक जनता के हक के लिए संघर्ष कर सकता हूँ, लेकिन जांजगीर-चांपा का भला तब होगा जब मुझे विधानसभा के सदन में जनता की पैरवी करने की जिम्मेदारी मिलेगी ।” राघवेन्द्र पाण्डेय,