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भगवान का अवतार पंचमहाभूतो को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए हुआ-आचार्य अनुराग दुबे




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रतनपुर – चंदेल परिवार द्वारा महामाया चौक में आयोजित भागवत कथा प्रसंग मे पंचम दिवसीय प्रवचन व्याख्यान माला मे कथा व्यास आचार्य पंडित श्री अनुराग दुबे महाराज ने श्रद्धालु भक्तो को संबोधित करते हुए कहा ।भगवान का अवतार पंचमहाभूतो को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए हुआ। शासन तंत्र की दिशा हिन्ता के कारण ,केवल भौतिक विकास को अधिक महत्व देने से पृथ्वी ,जल ,वायु, अग्नि,आकाश ,सब प्रदूषिण था भगवान के अवतार का कई प्रयोजन होने पर भी प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाना था पूतना ,तृणावर्त, व्योमासूर, कालियानाग को नियंत्रण कर समाज को प्रकृति का संरक्षण नदी ,वन आरण्य सरोवर ,पर्वत आदि सुरक्षित रखने का संदेश दिया श्याम सुंदर भगवान श्रीकृष्ण के प्रतेक लीलाओ से प्रेरणा लेकर ज्ञान प्राप्त कर सकते है भगवान ने बच्चो को युवापीढी को प्रेरित किया है

बाल्यकाल से उन्होने कठिन संघर्षो का सामना करते हुए संकटोकाल धैर्य पूर्वक आसुरी प्रवृति को समाप्त कर सनातन संस्कृति को सुरक्षित रखने का अभियान चलाया अन्याय, अपराध अधर्म अनीति के विरोध मे बोलने का साहस बचपन काल से ही होना चाहिए गौ सेवा गौ संरक्षण के माध्यम से भगवान बांके बिहारी ने संदेश दिया राष्ट्र के उत्कर्ष के लिए लौकिक, पार लौकिक मनोकामनाओ के पूर्ति लिए गौ सेवा आवश्यक है धर्म प्राण भारत देश मे गौ हत्या पर पूर्ण रूप से नियंत्रण हो प्रतिबंध लगे गौ माता देश की नही ( गावोविश्वस्य मातरः) संपूर्ण की मां है वृन्दावन भी लीलाओ का मार्मिक विवेचन करते है आचार्य श्री ने कहां तीर्थ यात्रा भगवत प्राप्ति केलिए करना चाहिए। तीर्थो मे भौतिक विकास हो परंतु संस्कृति का ह्रास न हो सनातन परम्परा सू पूजन ,आराधना ,हो तीर्थ और धाम पर्यटन केन्द्र नही हो सकता उससे आस्था कमजोर होगी मठ, मंदिर, आश्रम , तीर्थ सुसंस्कृति सुरक्षित स्वावलंबी बनने के लिए है।
शिक्षा रक्षा सेवा संस्कृती धर्म और मोक्ष का केंद्र हो चीरहरण गोवर्धन लीला के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण ने गौदुध दही , घृत गौमूत्र,गोबर को धार्मिक सामाजिक संस्कृतिक आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक आर्थिक दृष्टि से परम उपयोगी सिद्ध करते हुए जन मानस को प्रेरणा दी इसकी उपयोगिता हर काल मे प्रत्येक युग मे रहेगा । कोई भी शासन तंत्र मे यदि वैदिक संस्कृति का विरोध करते हुए समाज मे अराजकता फैलाते है उन्हे नियंत्रण कर धर्म राज्य की स्थापना की रावण कंश हिरण्यकश्यप दुर्योधन आदि उदाहरण अंत मे द्वारिका पुरी मे भगवान का मंगलमय विवाह महोत्सव का आयोजन कर भागवत कथा से शिक्षा मिलती है परिवार मे अनायास भाव से जिवन यापन करे धन्य गृहस्थाश्रमः वैदिक विवाह मे पाणिग्रहण संस्कार का महत्व है बाहरी आडम्बर दिखावा प्रदर्शन मे लोगो का दिखावा जादा रहता है समय पर विवाह मुहूर्त मे संपन्न हो ।