कांकेर। आदिवासी बहुल कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा जनपद पंचायत में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का सनसनीखेज मामला सामने आया है। नक्सल हिंसा से निपटने के लिए एक ओर राज्य सरकार कड़े कदम उठा रही है। औऱ ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए विकास कार्यों के तेज किया गया है। वहीं अधिकारी कर्मचारी मिलकर सरकारी योजनाओं पर बट्टा लगाने में पिछे नहीं है। यहाँ के सरपंच सचिवों को पुल पुलिया निर्माण जैसे अतिमहत्वपूर्ण कार्यों के लिए भी कमीशन देना पड़ रहा है। अफसरों की दबंगई ऐसी है कि ये भ्रष्ट लोग घुसखोरी का पैसा चेक से लेने में भी नहीं कतराते, और अपने हिस्से का पूरा कमीशन एक साथ हड़पना चाहते है।
तत्कालीन जनपद पंचायत के प्रभारी सीईओ राहुल रजक और लिपिक वर्ग 2 सतीश रामटेके ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए सरपंचों से लाखों रूपये की उगाही की और जिन लोगों ने कमीशन देने से इंकार कर दिया। उनका काम निरस्त कर दिया गया। फिलहाल डिप्टी कलेक्टर राहुल रजक और लिपिक वर्ग 2 सतीश रामटेके का तबादला चारामा और दुर्गूकोंदल कर दिया गया है। तबादला होने के पहले ही दोनों अधिकारी कर्मचारी ने मिलीभगत कर सरपंच का काम निरस्त कर दिया।
भूपेश सरकार के संरक्षण में हुआ भ्रष्टाचार
यह कारनामा कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में हुआ है। इसमें सरपंचपति प्रवीण ढाल बीजेपी कार्यकर्ता बताया जा रहा है। उसे कमीशन नहीं देने के कारण जमकर प्रताड़ित किया गया। पीड़ित सरपंचपति ने बताया कि ग्राम पंचायत बैकुंठपुर की सरपंच सरिता उसेंडी ने ग्रामीणों की मांग पर पुलिया निर्माण के लिए पहल की थी। इसके बाद डीएमएफ मद से 15 लाख 50 हजार रूपए का काम स्वीकृत किया गया। जिसमें पहली किश्त की राशि 7 लाख 75 हजार रूपये बैकुंठपुर ग्राम पंचायत के खाते में जमा की गई। लेकिन जब तत्कालीन जनपद पंचायत के प्रभारी सीईओ तथा डिप्टी कलेक्टर राहुल रजक और लिपिक सतीश रामटेके ने काम के बदले 25 प्रतिशत कमीशन की मांग की।
चेक से मांगा कमीशन का पैसा, पूरा नहीं दिया तो चेक वापरस किया
सरपंच पति को बड़ेबाबू सतीश रामटेके ने राजकिशोर भगत के नाम से कमीशन का चेक मांगा। सरपंचपति ने 1 लाख 94 हजार 500 रूपये का चेक सतीश रामटेके को दिया। कमीशन का पैसा कम होने के कारण सतीश रामटेके ने चेक को फेंक दिया और सरपंचपति को कमीशन का पूरा पैसा लाने के लिए कहा गया। और 3 लाख 89 हजार रूपये नहीं देने पर पुलिया निर्माण कार्य निरस्त करने की धमकी दी गई। इस बीच सरपंच सरिता उसेंडी लगातार कोयलीबेड़ा जनपद प्रभारी सीईओ रजक से पुलिया निर्माण कार्य शुरु कराने की गुहार लगाती रही। उसके बाद भी कमीशनखोरो ने ग्रामीणों के विकास को नजरअंदाज कर पुलिया निर्माण का काम ही निरस्त कर दिया। अब बैकुंठपुर के ग्रामीण सरकार से दोबारा काम शुरु कराने की मांग कर रहें हैं।
गरीब आदिवासी, नक्सली और कमीशन का कारोबार
माओवाद प्रभावित कोयलीबेड़ा विकासखंड में सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की तैनाती को किसी जमाने में सजा के तौर पर देखा जाता था। लेकिन वक्त बदला और आज यहाँ तैनात अफसर और कर्मचारी विकास कार्यों के लिए जारी होने वाले पैसे में कमीशनखोरी कर अपनी झोली भर रहें हैं। सूत्रों के मुताबिक कोयलीबेड़ा जनपद पंचायत में आने वाले 103 ग्राम पंचायतों से कमीशन के बदले काम देने वाले अधिकारी कर्मचारी की भ्रष्ट जोड़ी ने लाखों रूपये की उगाही को अंजाम दिया औऱ अपनी झोली भरकर चलते बनें।
ट्रांसफर होने के बाद भी पखांजूर में पोस्टिंग का नहीं छूटा मोह
जुगाड़ और पैसे के दम पर मनचाही जगह पोस्टिंग पाने वाले अफसर और कर्मचारी ने तबादले के बाद भी पखांजूर में वापसी की आस नहीं छोड़ी है। यही कारण है कि आज भी सरकारी आवासों में दोनों का कब्जा है। और दूसरे अधिकारी किराये के मकान में रहने मजबूर हैं।बताया जाता है कि तबादला होने के बाद से ही दोनों अपनी वापसी के जुगाड़ में लगे हुए। इधर दोनों ही भ्रष्टों की वापसी की खबरों के बीच सरपंच सचिवों में दहशत का माहौल है। और वे लोग सरकार से प्रार्थना कर रहें है कि ऐसे भ्रष्ट लोगों की वापसी ना हों।
कांग्रेस सरकार के सरंक्षण में हुई लूट, विकास कार्यों के पैसों में बंदरबांट
डीएमएफ मद में घोटाला और भ्रष्टाचार की खबरों के बीच बीजेपी सरकार ने घोटालेबाजों के खिलाफ अभियान चलाया और आईएएस अफसरों को भी जेल की हवा खानी पड़ी है। इधर माओवाद प्रभावित इलाके में कमीशनखोरी के खुलासे के बाद हड़कंप मच गया है। आदिवासी बहुल क्षेत्र में गरीबी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जनता त्राहीमाम कर रही है। दूसरी ओर, जनता के विकास कार्यों लिए जारी पैसों की लूट कोई नई बात नहीं है।
कार्रवाई नहीं होने से अफसरों के हौसले बुलंद
नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनाती के बाद विकास कार्यों की आड़ में लाखों करोड़ों रूपये की संपत्ति अर्जीत करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से उनके हौसले बुलंद है। इधर विकास विरोधी कहे जाने वाले नक्सलियों के दबाव और धमकियों के बीच सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने वाले सरपंच सचिवों को भ्रष्ट अफसरों की प्रताणना का शिकार होना पड़ रहा है। और बदले में कमीशन देने पड़ रहा है। जिससे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ रहा है।
30 हजार के वॉटर कूलर को 99 हजार रूपए बताया, बिल पास किया
कोयलीबेड़ा जनपद पंचायत के लिपिक वर्ग 2 सतीश रामटेके के कारनामों की लंबी फेहरिस्त है, सरपंचों के मुताबिक बाजार में मात्र 30 हजार रूपये में मिलने वाले वॉटर कूलर को अलग अलग ग्राम पंचायतों को 99 हजार रूपये में बेंचा गया। और उस बिल की भरपाई 15वें वित्त की राशि से की गई। अब आप खुद सोचिए की 103 ग्राम पंचायतों में इस बड़े पैमाने पर वसूली और भ्रष्टाचार किया गया तो इन लोगों ने कितने पैसे कमाये होंगे।
खेल सामग्री में भी खेला कर गए, आज तक नहीं मिला सामान
ग्राम पंचायतों में बच्चों के लिए क्रिकेट बैट बॉल कीट का वितरण करना था। यहाँ भी खेल सामग्री में खेला कर दिया गया। विभिन्न गांवों के लिए लाखों करोड़ों रूपये का बजट आया था, सिर्फ कागजों पर ही बच्चों को खेल सामग्री का वितरण कर दिया गया। पैसे का आहरण कर लिया गया। घोटाला और बंदरबांट की लंबी कहानी है, मगर सत्ता के संरक्षण में फल फूल रहें अफसरों पर क्या कार्रवाई होगी यह तो वक्त ही बतायेगा।
बीजेपा नेताओं ने प्रभारी सीईओ और लिपिक के खिलाफ मोर्चा खोला
भाजपा नेता और मरोड़ा गांव के सरपंच लक्ष्मण मंडावी ने जनपद पंचायत के प्रभारी सीईओ राहुल रजक और लिपिक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उऩ्होंने भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की जांच की मांग की है। नक्सल प्रभावित इलाके में नागरिकों की सुविधाओं के लिए जारी पैसे में कमीशन का खेल सरकार की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचायेगा। ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि आने वाले दिनों में कोई कमीशनखोरी ना करें।
सरपंच संघ ने लिपिक को हटाने विधायक सौंपा था ज्ञापन
लिपिक सतिश रामटेके के खिलाफ सरपंच संघ ने मोर्चा खोल दिया था, और अंतागढ़ के बीजेपी विधायक विक्रम उसेंडी को ज्ञापन दिया गया। तब भाजपा विधायक ने लिपिक को तत्काल हटाने के लिए कलेक्टर को निर्देश दिया था।