Home छत्तीसगढ़ महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था, और उनका...

महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था, और उनका जन्मोत्सव गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है


IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु की पूजा की जाती है। साधारण भाषा में गुरु वह व्यक्ति हैं जो ज्ञान की गंगा बहाते हैं और हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। पूरे भारत में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 21 जुलाई 2024 रविवार को मनाया जाएगा।

🔸गुरु पूर्णिमा महत्व-:
पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था, और उनका जन्मोत्सव गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।

🔸गुरु पूर्णिमा मुहूर्त-:
21 जुलाई 2024 रविवार का संपूर्ण दिन गुरु पूजन का दिन रहेगा।
प्रातः काल 7:20 से दोपहर 12:26 तक क्रमशः चर, लाभ, अमृत के शुभ चौघड़िये रहेंगे।

🔸 गुरु पूजन-:

  1. इस दिन प्रातःकाल स्नान पूजा आदि नित्यकर्मों को करके उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए।
  2. उसके उपरांत अपने प्रथम गुरु माता- पिता से आशीर्वाद लेना चाहिए।
  3. भगवान श्री हरि विष्णु व भगवान श्री व्यास जी को सुगंधित फल- फूल इत्यादि अर्पित करके उन्हें प्रणाम करना चाहिए।
  4. उपरांत यदि आपने गुरु दीक्षा ले रखी है तो अपने गुरु के पास जाना चाहिए। उन्हें ऊँचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर पुष्पमाला पहनानी चाहिए और उनका पूजन करना चाहिए।
  5. इसके बाद वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण कर कुछ दक्षिणा यथासामर्थ्य धन के रूप में भेंट करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
  6. जहां से भी कुछ अच्छा सीखने को मिलता है जो हमारे ज्ञान को पुष्ट करता है, चाहे फिर वो कोई व्यक्ति हो या कोई पदार्थ या कोई अच्छा ग्रंथ, उसका हृदय से आभार मानना चाहिए।
  7. इस दिन केवल गुरु की ही नहीं अपितु जहां से भी आपने कुछ अच्छा सीखा है, जहां से भी अच्छे मार्गदर्शन व श्रेष्ठ संस्कार मिलते हैं वह सभी गुरु की श्रेणी में आते हैं। अतः उन सब का भी धन्यवाद करना चाहिए।
  8. गुरु की कृपा व्यक्ति के हृदय का अज्ञान व अन्धकार दूर होता है। गुरु का आशीर्वाद ही प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक और मंगल करने वाला होता है। संसार की सम्पूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती है अतः गुरु के प्रति हमेशा श्रद्धा व समर्पण भाव रखने चाहिए।
  9. गुरु से मन्त्र प्राप्त करने के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है, और गुरु का आभार व्यक्त करने के लिए भी इस दिन का विशेष महत्व है। अतः इस पर्व को श्रद्धापूर्वक जरूर मनाना चाहिए।
  10. ज्योतिष/ कुंडली मिलान/ अंक ज्योतिष/ वास्तु/ रत्न व मुहूर्त संबंधित परामर्श के लिए संपर्क करें- प. जागेश्वर अवस्थी श्री सिद्ध तंत्र पीठ
    भैरव मंदिर रतनपु