बिलासपुर। आबकारी विभाग में पदस्थ भ्रष्टाचार की मुर्ती कहे जाने वाला बाबू कई साल से एक ही जगह पर तैनात है। जबकि नियमानुसार उसका तबादला हो जाना चाहिए था। अफसरों के संरक्षण में फल फूल रहे इस बाबू के घर पर जब एंटी करप्शन ब्यूरों की टीम ने छापामार कार्रवाई की थी। उसके बाद जो खुलासा हुआ उसने सभी को चौका दिया था। हैरानी की बात है कि इस बाबू ने आय से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित किया था। एसीबी की टीम को इसके पास से करोड़ों रूपये की संपत्ति और आलिशान मकानों की जानकारी मिली थी। उसके बाद भी आबकारी विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने अपने चहेते बाबू को हटाने की कार्रवाई नहीं की।
प्रदेश में सत्ता बदल गई और विष्णु की सुशासन वाली सरकार के चेहरे पर कालिख पोत दी गई। आबकारी विभाग प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के पास ही है। उसके बाद भी सुशासन की सरकार को बदनाम करने वाले इस बाबू को जाने किसका संरक्षण प्राप्त है कि किसी की भी सरकार आये इस बाबू पर कार्रवाही नही करत। जबकि इस बाबू के कारनामे जगजाहिर है।
मूलतः बिलासपुर जिले के मस्तूरी के पास पाराघाट गांव निवासी दिनेश दुबे ने साल 2009 में नौकरी ज्वाइन की थी। उसके बाद से उसने ऐसा कारनामा कर दिखाया कि उसकी संपत्ति करोड़ों रूपये की हो गई। इसके अलावा दूबे के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की बजाय उसे बिलासपुर में ही पदस्थ कर दिया गया। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बड़े अफसरों के सरंक्षण में ही दूबे ने करोड़ों रूपये की आय से अधिक संपत्ति बनाई है।
साल 2018 में एसीबी में शिकायत के बाद पदस्थ बाबू दिनेश कुमार दुबे के खिलाफ जांच हुई। इस जांच में जो सामने आया उसके बाद ACB के पैरों तले जमीन खिसक गई थी। कैसे एक बाबू ने रिश्वत से करोड़ो की बेनामी संपत्ति बनाई थी। मामले की पड़ताल हुई पड़ताल में सारी शिकायत सही पाई गई। छापेमार कार्रवाही में इस बाबू के पास से पांच करोड़ की बेनामी संपत्ति का पता चला था।
ACB ने जांच में पाया था कि कुदुदंड में 1200 स्कवेयर फीट का दो मंजिला और 1000 स्क्वेयर फीट का सड़क किनारे मकान, गंगानगर तथा भारतीय नगर में 2-2 हजार स्केवयर फीट के मकान। पत्नी के नाम पर चकरभाठा में 2 एकड़ जमीन के अलावा भारतीय स्टेट बैंक में चार ज्वाइंट एकाउंट, हर एक में 9 लाख रुपए जमा थे। उसकी कुल संपत्ति करीब 5 करोड़ रुपए आंकी गई थी। इसके अलावा पैतृक गांव में दो एकड़ जमीन, साथ ही साथ दुबे की बेटी यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी। इसमें भी उसने लाखों रुपए खर्च किए थे।
आबकारी विभाग के अफसरों ने नहीं उठाया फोनः
इधर, रायपुर में आबकारी विभाग के कमिश्नर सीएल साहू और दिनेश दुबे को कई बार फोन से संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। यदि दोनों अधिकारी अपना पक्ष रखेंगे तो उनकी बातों को जगह दी जायेगी।