Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ : भूपेश बघेल और रमन सिंह प्रत्याशी नहीं, लेकिन मुकाबला दोनों...

छत्तीसगढ़ : भूपेश बघेल और रमन सिंह प्रत्याशी नहीं, लेकिन मुकाबला दोनों के बीच




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

रायपुर। लोकसभा चुनाव मोदी सरकार के कामकाज और राहुल के चुनावी वादों पर लड़ा जाएगा। दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप भी जारी हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में यह चुनाव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बनाम पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी रहेगा।

वजह यह कि प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा भूपेश हैं, तो भाजपा का चेहरा रमन हैं। विधानसभा चुनाव में इन्हीं दोनों के बीच मुकाबला था। इन्हीं दो नेताओं के नेतृत्व और रणनीति पर कांग्रेस-भाजपा ने चुनाव लड़ा। अब लोकसभा चुनाव में यही दोनों चेहरे आमने-सामने हैं, भले ही ये प्रत्याशी नहीं हैं। दोनों नेताओं पर दबाव है कि वे अपने दल को अधिक से अधिक लोकसभा सीटों पर जीत दिलाएं।

डॉ. रमन सिंह लगातार 15 वर्षों तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे। इस कारण प्रदेश में भाजपा का वही चेहरा थे। पार्टी ने 2018 का विधानसभा चुनाव भी उन्हीं के चेहरे पर लड़ा। रमन और उनके सूबे के 12 मंत्री चुनाव लड़े थे। रमन के अलावा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, पुन्नूलाल मोहले और अजय चंद्राकर अपनी सीट बचाने में सफल रहे, लेकिन आठ मंत्री चुनाव हार गए।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें, तो जनता में रमन के खिलाफ नहीं, बल्कि मंत्रियों और भाजपा के विधायकों की खिलाफ नाराजगी थी। उसके बाद भी रमन ने हार की जिम्मेदारी ली। उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया, लेकिन प्रदेश भाजपा में अब भी रमन का ही कद बड़ा है।

भाजपा लोकसभा चुनाव में केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम को ही नहीं, बल्कि भूपेश सरकार से तुलना करते हुए रमन सरकार के कामों की भी जनता के बीच ब्रांडिंग कर रही है। संगठनात्मक रूप से प्रचार से लेकर चुनाव की सभी रणनीति बनाने में भी रमन की ही महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

वहीं, अब मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बघेल की बात करें, तो कांग्रेस का 15 साल का वनवास खत्म करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बघेल पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रामक रहे। उन्हें कानूनी मामलों में फंसाकर दबाव बनाने की भी कोशिश हुई। बघेल जेल भी गए, लेकिन उन्होंने आक्रामकता नहीं छोड़ी।

बघेल ने पहली बार प्रदेश में बूथ स्तर तक कांग्रेस को संगठनात्मक रूप से खड़े किया। कार्यकर्ताओं को महत्व देकर उनका उत्साह बढ़ाया। बघेल सरकार के 60 दिन में किए कामों पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस ने नारा दिया है, 60 माह बनाम 60 दिन।

भूपेश पर दबाव

15 साल बाद कांग्रेस ने सत्ता में जोरदार तरीके से वापसी की। 90 में से 68 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया। अब बघेल पर दबाव है कि वे लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को बम्पर जीत दिलाएं।

रमन पर दबाव

भाजपा पिछले तीन लोकसभा चुनाव में 10-10 सीटें जीतती रही हैं। विधानसभा चुनाव में महज 15 सीटों पर सिमट गई, ऐसे में रमन के लिए फिर से 10 लोकसभा सीटों पर भाजपा को जिताने की चुनौती है।