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जानिए कौन हैं मुकुल वासनिक, जो राहुल के बाद संभाल सकते हैं कांग्रेस की बागडोर




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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के कांग्रेस अध्यक्ष (Congress President) पद से इस्तीफा देने के बाद अब मुकुल वासनिक (Mukul Wasnik) को कांग्रेस की कमान दिए जाने की खबर आ रही है. कांग्रेस के लिए इस बेहद चुनौतीपूर्ण वक्त में पहले सुशील कुमार शिंदे का नाम अध्यक्ष पद के तौर पर सामने आ रहा था. अब मुकुल वासनिक के नाम पर बात चल रही है.

मुकुल वासनिक महाराष्ट्र से कांग्रेस के सीनियर नेताओं में से एक रहे हैं. मुकुल वासनिक कांग्रेस के बड़े नेता और तीन बार के सांसद बालकृष्णा वासनिक के बेटे हैं. बालकृष्ण वासनिक कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से रहे हैं. वो महाराष्ट्र के बुलढाना से सिर्फ 28 साल की उम्र में लोकसभा सांसद चुने गए थे.

मुकुल वासनिक यूपीए की सरकार में सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय की जिम्मेदारी निभा चुके हैं. 2009 का लोकसभा चुनाव उन्होंने महाराष्ट्र के रामटेक लोकसभा सीट से जीता था. इसके पहले वो महाराष्ट्र के बुलढाना से चुनाव लड़ते रहे हैं. 1984 में जब वो वहां से चुनकर संसद पहुंचे तो उनकी उम्र महज 25 साल थी. वो संसद के सबसे कम उम्र के सदस्य थे.

मुकुल वासनिक ने पिता की राजनीतिक विरासत संभाली 1984 से 86 के दौरान मुकुल वासनिक कांग्रेस के छात्र संगठन के अध्यक्ष रहे. वो 1988 से 90 के दौरान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए.

1984 में बालकृष्ण वासनिक ने अपने बेटे मुकुल वासनिक के लिए ही बुलढाना की सीट खाली की थी. 1984 में वो सबसे कम उम्र के सांसद बने. लेकिन इसके अगले ही 1989 के चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उनकी अनदेखी नहीं की. मुकुल वासनिक को पार्टी के भीतर जिम्मेदारी दी गई.

वासनिक ने मशहूर एक्टर और कांग्रेस के दिवंगत नेता सुनील दत्त के साथ मिलकर महात्मा गांधी की विरासत के प्रति लोगों को जागरुक करने का काम किया. दांडी मार्च के 75 साल पूरा होने के मौके पर वासनिक ने उस वक्त की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए विशेष आयोजन करवाया था.

मुकुल वासनिक के बारे में कहा जाता है कि दो चीजों पर उन्हें काबू नहीं है. वो है- उनका स्वभाव और भूख. वो कभी भी अपना टेंपर लूज़ कर जाते हैं. अपने आसपास अगर उन्हें चीजें बेतरतीब मिलती हैं तो उन्हें गुस्सा आ जाता है. मुकुल वासनिक ने शादी नहीं की है.

2009 में चुनाव जीतने से एक साल पहले उन्हें खतरनाक ब्रेन हैमरेज हुआ था. वो उनके लिए सबसे कठिन दौर था. लेकिन वासनिक ने वापसी की और 2009 का लोकसभा चुनाव जीता. वासनिक लो प्रोफाइल नेता रहे हैं. वो अकेले चलने मे यकीन रखते हैं. कुछ लोग कहते हैं इसीलिए उन्होंने जनता के नब्ज से हाथ खो दिया और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा.

वासनिक कांग्रेस के महासचिव हैं और अब वो कांग्रेस के अध्यक्ष पद संभालकर अपने राजनीतिक करियर में आगे निकल सकते हैं.