दस साल के शोध के बाद केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) मोदीपुरम के वैज्ञानिकों ने आलू की नई कुफरी फ्राई ओम प्रजाति तैयार की है। खासतौर से फ्रेंच फ्राई में काम आने वाला यह आलू सामान्य तौर पर खाने में भी स्वादिष्ट है। रोग प्रतिरोधक क्षमता दूसरी प्रजातियों से अधिक होने के साथ इसकी उत्पादन क्षमता 5-10 टन ज्यादा है।
सीपीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. वीके गुप्ता के अनुसार किसी भी प्रजाति को तैयार करने में 10-12 साल लग जाते हैं। नई प्रजाति कुफरी फ्राई ओम पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर के किसानों की आय बढ़ाने में काफी कारगर साबित होगी। इसमें पछेता झुलसा बीमारी लड़ने की क्षमता अधिक है। ऐसा वायरस डाला गया है, जो बीमारी की रोकथाम कर सके। इसका औसत उत्पादन 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर है। जबकि दूसरी प्रजातियों का उत्पादन 25-30 टन प्रति हेक्टेयर है। यह प्रजाति कुफरी फ्राईसोना प्रजाति के माध्यम से तैयार हुई है।
ये है प्रजाति की खासियत
– आलू लंबा और सफेद गुद्दा
– पछेता झुलसा बीमारी नहीं लगेगी
– फ्रेंच फ्राई के लिए बड़े होटलों में प्रयोग होगा
– औसत उत्पादन सामान्य प्रजातियों से 5-10 टन अधिक
– आलू की स्टैंडर्ड लिमिट 75 एमएम की है
– कुफरी की अन्य प्रजातियों में सबसे बेहतर
इन जगहों पर बहुत उपयोगी
सीपीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक के अनुसार इस प्रजाति में पछेता झुलसा बीमारी को पोटेटो वायरस वाई से रोका जाएगा। यह प्रजाति पश्चिम उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छिंदवाड़ा, रायपुर आदि के किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी है। रिसर्च के दौरान सीपीआरआई के देशभर के 18 सेंटरों पर इसका परीक्षण किया गया था। सभी जगह परीक्षण सफल रहा। 11 जगह पर उत्पादन अधिक रहा है।
सेंटरों में दूसरी प्रजाति से तुलना
स्थान कुफरी फ्राईओम, कुफरी फ्राइसोना
हिसार 33.8 29.2
जालंधर 32.7 33.0
मोदीपुरम 38.9 35.5
पंतनगर 30.7 28.2
दिशा 35.0 38.8
छिंदवाड़ा 37.5 35.1
ग्वालियर 33.9 33.0
कानपुर 33.3 26.6
कोटा 18.8 16.7
रायपुर 21.4 18.9
नोट: कुल आलू उपज टन प्रति हेक्टेयर
स्थान कुफरी फ्राईओम, कुफरी फ्राइसोना
हिसार 29.1 25.4
जालंधर 17.4 17.4
मोदीपुरम 27.8 22.3
पंतनगर 28.3 25.9
दिशा 25.6 21.9
छिंदवाड़ा 28.8 26.9
ग्वालियर 24.1 23.3
कानपुर 23.6 21.6
कोटा 16.7 15.1
रायपुर 13.8 10.8
नोट: प्रसंस्करण के बाद आलू उत्पादन (टन प्रति हेक्टेयर)
कुफरी फ्राईसोना बनी माध्यस
इस प्रजाति को कुफरी फ्राईसोना के माध्यम से किसानों के लिए तैयार किया गया है। यह प्रजाति उत्पादन के साथ खाने में भी अच्छी होगी। देशभर के 18 सेंटरों पर इसका परीक्षण सफल रहा। इसी साल से इसका बीज किसानों को देना शुरू कर दिया जाएगा। -डॉ. वीके गुप्ता, प्रधान वैज्ञानिक सीपीआरआई
अब तक 61 प्रजाति
वैज्ञानिकों ने शोध कर संस्थान से अच्छी प्रजाति निकाली है। अब तक करीब 61 प्रजाति यहां से निकल चुकी हैं। यह प्रजाति बड़े होटलों में फ्रेंच फ्राई के लिए प्रसिद्ध होगी। खाने में भी अच्छी होगी।