


मुंगेली। जिले के कलेक्टर राहुल देव ने अपने कार्यकाल के एक हजार दिन गुजर जाने के बाद किसी प्रभावशाली व्यक्तित्व के समक्ष कुछ पत्रकारों द्वारा जिला प्रशासन के खिलाफ नाराजगी और आक्रोश जब पता चला तब आनन फानन में पत्रकार सम्मिलन बुला लिया गया। बाकायदा जनसंपर्क विभाग ने सूचना जारी कर पत्रकार सम्मिलन के बहाने मुंगेली के एक होटल में पत्रकारों को बुलाया गया। इसमें जिला प्रशासन का रवैया देखने लायक था। सम्मिलन को दोयम दर्जे का रख कार्यक्रम की खानापूर्ति कर ली गई। आखिर इस सम्मिलन का मकसद क्या था? क्या मुंगेली कलेक्टर व्यक्तिगत कारणों से अवकाश पर जा रहे हो अथवा स्थानांतरण पर जाने का हो तो यह सब उनका व्यक्तिगत मामला है। पत्रकार सम्मिलन रख पत्रकारों को अपने उद्बोधन में नसीहत देने की परिपाटी का नहीं। सम्मिलन में पहुंचे वरिष्ठ पत्रकारों तक का ना स्वागतना शिष्टाचार । एक प्रकार से वरिष्ठ पत्रकारों का अपमान ही किया गया। हद तो तब हो गई जब सम्मिलन में मुंगेली प्रेस क्लब के अध्यक्ष द्वारा पत्रकारों के हित में अपनी बात रखना प्रारंभ किया गया तब उनके पूरे उद्बोधन के दौरान कलेक्टर मोबाइल पर मशगूल रहे। अचानक किसी ने ध्यान दिलाया कि समारोह में अध्यक्ष जी अपने वक्तव्य पर ध्यान चाहते हैं तब कलेक्टर साहब ने मोबाइल कट किया। बता दें मुंगेली जिले के सभी पत्रकार जिला प्रशासन की खबरों को पूरी प्राथमिकता से उठाते रहे हैं और अपेक्षा रखते हैं कि आपसी सहयोग और सामंजस्य बना रहे मगर जिला प्रशासन की नजर में पत्रकारों के इस सद्भाव को दोयम दर्जे के रूप में ही देखने की ही रही। सम्मिलन में भी जिला प्रशासन का रवैया कुछ यही देखने को मिला कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने इस अपना रोष भी जाहिर किया है। जिला प्रशासन पहली बार पत्रकारों के सम्मिलन का आयोजन करे और वहां भी गिने चुने पत्रकारों का नाम ले और उनके महिमामंडन के साथ सम्मिलन खत्म कर चुनिंदा लोगों के साथ भोज के नाम पर हंसी ठिठोली करना जिला प्रशासन के सम्मिलन कार्यक्रम की गरिमा अनुरूप कैसे कहा जा सकता ? सम्मिलन में कुछ पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया गया, जिसे लेकर पत्रकारों में रोष देखा जा रहा है।एसपी के दरबार में जो हाजिर हुआ वही पत्रकार प्रायः यह जाता रहा है कि जब से मुंगेली पुलिस अधीक्षक के रूप में भोजराम पटेल आए हैं उनके सामने जो आया हो वहीं शायद पत्रकार माना जाता है। मुंगेली एसपी पत्रकारों के प्रति रूख नागरिक प्रशासन वाला ही रहा है। मुंगेली पुलिस प्रशासन लंबे समय से वरिष्ठता के आधार पर पत्रकारिता का धर्म निभा रहे पत्रकारों की सूची या जानकारी नहीं हो , यह कैसे स्वीकार किया जा सकता है। ऐसे में किसी खास मौके पर पुलिस पुलिस प्रशासन भी पत्रकारों को अपनी कार्यवाहियों, गतिविधियों से दूर रखने की मानो कोशिश करता रहा है।मीडिया पर मनमानी चलाने का प्रयास यह काफी समय से चला आ रहा है। जिला प्रशासन द्वारा मीडिया पर मनमानी चलाने का दौर चल रहा है। खबरों के लिए अधिकारियों को बाइट देने में भी दिक्कत होती है। जो पत्रकार जितना ज्यादा जनहित के मुद्दे उठाता है उन पत्रकारों की जिला प्रशासन द्वारा उतनी ही उपेक्षा की जाती है उनके फोन भी नही उठाए जाते। पत्रकारों के प्रति जिला प्रशासन का दोयम दर्जे का व्यवहार की चर्चा वरिष्ठ पत्रकारों में चर्चा का विषय रही है। संभवतः इन्हीं चर्चाओं के बीच सम्मिलन बुलाने का विचार आया। यह प्रयास भी उल्टा ही पड़ गया। सम्मिलन में उपेक्षा पर पत्रकारों का गुस्सा फुट पड़ा और जिला प्रशासन मुर्दाबाद के तक के नारे लग गए।जिला प्रशासन का रवैया बेहद निंदनीय- मनीष शर्मा छत्तीसगढ़ सक्रिय पत्रकार संघ के प्रदेश सचिव मनीष शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन का यह रवैया बेहद निंदनीय है। ऐसा पहली बार नही है जब मुंगेली जिले में वरिष्ठ पत्रकारों के साथ ऐसा सलूक हुआ है। जिला प्रशासन द्वारा ना ही पत्रकारों को महत्व दिया जाता रहा है और ना ही जनहित के खबरों पर कार्यवाही होती है। मुंगेली जिले के अधिकारी निरंकुश होते जा रहे हैं, जिसके कारण आम जनता में भी दिनोंदिन आक्रोश देखने को मिल रहा है। पत्रकारों के साथ हुए व्यवहार को लेकर जिला प्रशासन को अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए। जिसके भी सुझाव पर यह सम्मिलन हुआ, उसे भी मालूम होना चाहिए कि किस ढंग से जिला प्रशासन पत्रकार सम्मिलन के आयोजन को लिया गया है।