Home क्षेत्रीय खबरें / अन्य खबरें छात्रसंघ चुनाव: जानिए आदिवासी बहुल इलाकों में क्यों कम हुआ प्रमुख छात्र...

छात्रसंघ चुनाव: जानिए आदिवासी बहुल इलाकों में क्यों कम हुआ प्रमुख छात्र संगठनों का दबदबा




IMG-20240704-WA0019
IMG-20220701-WA0004
WhatsApp-Image-2022-08-01-at-12.15.40-PM
1658178730682
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.50-PM
WhatsApp-Image-2024-08-18-at-1.51.48-PM

राजस्थान के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में छात्र राजनीति में प्रमुख छात्र संगठन एबीवीपी व एनएसयूआई की धाक अब धीरे-धीरे कम हो रही है. जिले में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा छात्र संगठन ने दोनों प्रमुख छात्र संगठनों को काफी पीछे छोड़ दिया है. पिछले तीन साल से हालात ये है की डूंगरपुर जिले के राजकीय कॉलेजो में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ही जीत दर्ज कर रहा है. इधर इस बार भी भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने दोनों प्रमुख संगठनों की नींद उड़ा दी है. इस बार भी जिले के 5 कॉलेजो में से 4 कॉलेजो में अपने पैनल उतारे है, जबकि एनएसयूआई ने जिले के दो कॉलेज व एबीवीपी ने तीन कॉलेज में अपने उम्मीदवार उतारे है.

प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में छात्रसंघ चुनावों में तीसरे मोर्चे के रूप में उतरे भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने छात्र राजनीती के प्रमुख छात्र संगठन एबीवीपी व एनएसयूआई के पसीने छुड़ा दिए है. वर्ष 2016 में जिले के सबसे बड़े एसबीपी कॉलेज में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने जीत के साथ छात्र राजनीति में अपनी दस्तक दी थी और फिर इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. जातिगत मुद्दों पर की गई छात्र राजनीति के बदोलत भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने एसबीपी कॉलेज में प्रमुख छात्र संगठन कहे जाने वाले एबीवीपी व एनएसयूआई को मात देकर लगातार 3 साल तक जीत दर्ज करते हुए हैट्रिक बनाई. भील प्रदेश विद्यार्थी की इस जीत का असर बाद में जिले के अन्य कॉलेजो में भी देखने को मिला.

इधर छात्रसंघ चुनाव 2019 में भी भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने जिले के सबसे बड़े एसबीपी कॉलेज के साथ वीकेबी गर्ल्स कॉलेज, सागवाडा भीखाभाई कॉलेज व सीमलवाडा कॉलेज कुल चार कालेजो में अपने पैनल उतार कर दोनों प्रमुख छात्र संगठनो की नींद उड़ा दी है. वहीं दूसरी और एबीवीपी जिले के एसबीपी कॉलेज, विकेबी गर्ल्स कॉलेज और सीमलवाडा कुल तीन कॉलेज और एनएसयूआई ने एसबीपी और सागवाडा भीखाभाई कॉलेज में ही अपने पैनल उतारे है. वैसे से तो जातिगत मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतरे भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा का पलड़ा इस बार भी भारी नजर आ रहा है. हालांकि दोनों प्रमुख छात्र संगठनों के नेता इस बार अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे है.

इधर छात्रसंघ चुनाव के तहत सभी छात्रसंगठन अपनी-अपनी जीत के दावे जरुर कर रहे है लेकिन छात्र राजनीति में भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा के बाद से छात्र राजनीति में पिछले 3 साल में आमूल-चूल बदलाव आया है. भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने प्रमुख छात्र संगठन कहे जाने वाले एबीवीपी व एनएसयूआई से ज्यादा युवाओं में अपना विश्वास पैदा किया है यही कारण रहा की दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भी इसी छात्र संगठन की भारतीय ट्राइबल पार्टी ने डूंगरपुर जिले की चार में से दो विधानसभा सीटें चौरासी और सागवाड़ा जीती थी. बहराल अब देखना होगा की इस छात्र संघ चुनाव में चौथी बार भी भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा का विजयी रथ आगे बढ़ेगा या अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, एनएसयूआई और एसएफआई छात्र संगठन इस विजयी रथ को रोकने में कामयाब हो पाते है.